नेपाल पर बयानबाजी से बचें BJP नेता: पार्टी ने जारी किया निर्देश
- बीजेपी ने अपने सभी नेताओं को नेपाल के मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से बोलने से रोका।
- यह निर्देश भारत और नेपाल के बीच संवेदनशील कूटनीतिक संबंधों को ध्यान में रखते हुए दिया गया है।
- सोशल मीडिया पर विशेष रूप से इस मामले पर टिप्पणी न करने के लिए कहा गया है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 11 सितंबर 2025 – नेपाल में हाल ही में हुए राजनीतिक उथल-पुथल और सरकार गिरने के बाद, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने एक बड़ा और रणनीतिक कदम उठाया है। पार्टी ने अपने सभी नेताओं, मंत्रियों, सांसदों और प्रवक्ताओं को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि वे नेपाल के आंतरिक मामलों पर सोशल मीडिया या किसी भी सार्वजनिक मंच पर कोई भी बयान न दें। इस निर्देश का मुख्य उद्देश्य भारत-नेपाल के संवेदनशील कूटनीतिक संबंधों में किसी भी तरह की अनावश्यक हस्तक्षेप से बचना है।
नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता के बाद बीजेपी की सावधानी
बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने अपने नेताओं को स्पष्ट कर दिया है कि नेपाल के घटनाक्रम पर कोई भी टिप्पणी करने से बचें। सूत्रों के अनुसार, यह निर्देश एक अनौपचारिक सर्कुलर के माध्यम से दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि नेपाल एक संप्रभु राष्ट्र है और भारत को उसके आंतरिक मामलों से दूर रहना चाहिए। इस निर्देश के पीछे का कारण यह है कि हाल के दिनों में नेपाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता का व्यापक विरोध प्रदर्शन देखा गया था, जिसके चलते प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा था। ऐसे में, भारत के किसी भी नेता द्वारा की गई छोटी सी टिप्पणी भी दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रभावित कर सकती है।
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विदेश नीति का संवेदनशील पहलू
भारत और नेपाल के बीच न केवल भौगोलिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध भी काफी गहरे हैं। भारत सरकार की “पड़ोस पहले” (Neighborhood First) की नीति में नेपाल एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। ऐसे में, सत्तारूढ़ पार्टी के किसी भी नेता द्वारा नेपाल के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करना कूटनीतिक रूप से गलत माना जाएगा।
विशेष रूप से सोशल मीडिया के युग में, जहां एक छोटी सी टिप्पणी भी वायरल हो सकती है और गलतफहमी पैदा कर सकती है, बीजेपी का यह कदम काफी दूरदर्शी माना जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद और अन्य मुद्दों पर तनाव देखा गया था। हाल ही में दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार हुआ है। बीजेपी का यह निर्देश यह सुनिश्चित करता है कि राजनीतिक बयानबाजी से इस सुधार पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
नेपाल में हाल का राजनीतिक घटनाक्रम
नेपाल में हाल ही में भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके कारण प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार गिर गई। इन विरोध प्रदर्शनों में जनता का गुस्सा साफ देखा गया था। एक संप्रभु राष्ट्र होने के नाते, नेपाल अपने आंतरिक राजनीतिक संकट को सुलझाने के लिए स्वतंत्र है। भारत सरकार और उसकी सत्ताधारी पार्टी के लिए यह सबसे अच्छी रणनीति है कि वे नेपाल के घटनाक्रम पर कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी न करें और केवल आधिकारिक कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से ही संवाद करें। यह कदम न केवल नेपाल के प्रति सम्मान दिखाता है, बल्कि भारत की विदेश नीति की परिपक्वता को भी दर्शाता है।
बीजेपी का यह निर्देश स्पष्ट करता है कि पार्टी अपने नेताओं को अंतर्राष्ट्रीय मामलों में संयम बरतने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। यह दिखाता है कि बीजेपी, जो केंद्र में सत्ता में है, कूटनीतिक संबंधों की नाजुकता को समझती है और इस बात को मानती है कि घरेलू राजनीति और विदेश नीति को अलग रखना आवश्यक है।
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