- Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए समर्थन दिया।
- वह नेपाल की पहली और एकमात्र महिला मुख्य न्यायाधीश रही हैं।
- उनकी उम्मीदवारी राजनीतिक संकट को हल करने में मदद कर सकती है।
समग्र समाचार सेवा
काठमांडू, 10 सितंबर 2025 – नेपाल में चल रहे राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए एक मजबूत दावेदार के रूप में उभरा है। देश में चल रहे Gen-Z विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक अस्थिरता ने एक ऐसे नेतृत्व की मांग पैदा कर दी है जो देश को वर्तमान संकट से बाहर निकाल सके। युवाओं के बीच उनकी स्वीकार्यता और उनके बेदाग न्यायिक रिकॉर्ड ने उन्हें इस महत्वपूर्ण पद के लिए एक नई उम्मीद बना दिया है।
क्यों है सुशीला कार्की की उम्मीदवारी खास?
नेपाल में पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली के इस्तीफे और राजनीतिक संकट के बाद एक नया नेतृत्व चुनने की चुनौती सामने आई है। शुरुआती दौर में Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू के मेयर बालेन शाह का समर्थन किया था, लेकिन उनकी मांगों पर सहमति नहीं बनने के बाद अब सुशीला कार्की के नाम पर आम सहमति बनती दिख रही है। नेपाल सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव के अनुसार, पांच हजार से अधिक Gen-Z युवाओं की एक वर्चुअल बैठक में सुशीला कार्की को सबसे ज्यादा समर्थन मिला। उनकी साख और स्वच्छ छवि उन्हें इस नाजुक समय में नेतृत्व संभालने के लिए आदर्श उम्मीदवार बनाती है।
कौन हैं सुशीला कार्की?
सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को विराटनगर में हुआ था। वह नेपाल की न्यायिक प्रणाली में एक प्रतिष्ठित हस्ती हैं। 2016 से 2017 तक वह नेपाल की पहली और एकमात्र महिला मुख्य न्यायाधीश रहीं। उनका करियर दशकों तक फैला हुआ है और उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं। उनकी शिक्षा का भारत से भी गहरा संबंध है; उन्होंने 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। 1979 में उन्होंने कानून के क्षेत्र में अपना करियर शुरू किया और 2009 में वह सुप्रीम कोर्ट में एक तदर्थ न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुईं, जिसके बाद उन्होंने नेपाल के न्यायिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा।
सुशीला कार्की की उम्मीदवारी को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि वह एक गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि से आती हैं। ऐसे समय में जब पारंपरिक राजनीतिक दल जनता का विश्वास खो रहे हैं, एक स्वतंत्र और सम्मानित व्यक्ति का नेतृत्व संभालना देश के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है। उनकी नियुक्ति से न केवल राजनीतिक स्थिरता की उम्मीद है, बल्कि यह भी माना जा रहा है कि वह न्यायपालिका और सरकार के बीच एक स्वस्थ संबंध स्थापित कर सकती हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नेपाल के राजनेता और प्रदर्शनकारी उनके नाम पर सहमत हो पाते हैं। यदि वह अंतरिम प्रधानमंत्री बनती हैं, तो यह नेपाल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ होगा। उनकी कानूनी विशेषज्ञता और नैतिक सिद्धांतों का उपयोग कर, वह देश को लोकतांत्रिक प्रक्रिया की ओर वापस ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। यह एक ऐसा समय है जब नेपाल को एक मजबूत, निष्पक्ष और सक्षम नेतृत्व की आवश्यकता है, और सुशीला कार्की इस भूमिका के लिए एक आदर्श उम्मीदवार के रूप में उभरी हैं।