- सोमवार तक एनडीए में सीट बंटवारे का फॉर्मूला हो सकता है साफ।
- बीजेपी और जेडीयू बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमत, लेकिन जेडीयू को चाहिए एक सीट ज्यादा।
- चिराग पासवान की लोजपा 40 सीटों की मांग कर रही है, लेकिन 20 तक सीटें मिलने की संभावना।
समग्र समाचार सेवा
पटना, 10 सितंबर 2025 – बिहार विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सीट बंटवारे को लेकर हलचल तेज हो गई है। आगामी सोमवार तक इस विवाद के सुलझने और सीट बंटवारे के फार्मूले के आधिकारिक ऐलान होने की संभावना है। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू) के बीच ‘बड़ा भाई’ बनने की खींचतान अब भी जारी है। सूत्रों की मानें तो दोनों प्रमुख घटक दल बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमत हो सकते हैं, लेकिन जेडीयू प्रतीकात्मक रूप से एक सीट ज्यादा पाने पर जोर दे रही है। वहीं, छोटे सहयोगी दल जैसे लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) भी अपने लिए सम्मानजनक हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं।
JDU का ‘बड़ा भाई’ वाला दांव
बिहार में एनडीए का नेतृत्व कौन करेगा, इसे लेकर हमेशा से ही विवाद रहा है। लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने के बाद, जेडीयू ने अब विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व पर जोर दिया है। एक वरिष्ठ जेडीयू नेता के मुताबिक, “जब लोकसभा चुनाव पीएम मोदी के नेतृत्व में लड़ा गया था, तब बीजेपी ने 17 और हमने 16 सीटों पर चुनाव लड़ा था। अब जब विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में हो रहा है, तो स्वाभाविक है कि हमें कम से कम एक सीट ज्यादा मिले।” यह मांग केवल सीटों की संख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गठबंधन में जेडीयू के ‘बड़ा भाई’ होने का प्रतीकात्मक संदेश भी है। इस पर बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पार्टी सूत्रों का मानना है कि वे इस पर सहमत हो सकते हैं ताकि गठबंधन में एकता का संदेश जाए।
छोटे सहयोगियों की बढ़ी हुई महत्वाकांक्षाएं
बीजेपी और जेडीयू के अलावा, चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) (लोजपा-रा) भी सीट बंटवारे में एक मजबूत दावेदार के रूप में उभरी है। 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग होकर लड़ने के बावजूद, लोजपा ने कई सीटों पर जेडीयू को भारी नुकसान पहुंचाया था। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने पांच सीटें जीतीं, जिसके आधार पर अब चिराग पासवान 40 सीटों की मांग कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी और जेडीयू लोजपा को 20 से अधिक सीटें देने के मूड में नहीं हैं।
इसी तरह, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम-एस) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोम) जैसे अन्य सहयोगी दल भी अपने लिए सम्मानजनक सीटें चाहते हैं। इन छोटे दलों को समायोजित करना बीजेपी और जेडीयू के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। पिछले चुनाव में जीतन राम मांझी को 7 और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को 11 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार समीकरण बदल गए हैं।
कैसे सुलझेगा पेच?
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी और जेडीयू के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत अंतिम दौर में है। दोनों दलों के नेता छोटे सहयोगियों को संतुष्ट करने के लिए एक आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह माना जा रहा है कि बीजेपी और जेडीयू लगभग 100 से 105 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। शेष सीटें लोजपा (रामविलास) और हम जैसे छोटे दलों के बीच बांटी जाएंगी।
गठबंधन के नेताओं का मानना है कि सभी दलों को मिलकर काम करने की जरूरत है, ताकि विपक्ष के ‘इंडिया’ गठबंधन को मजबूत चुनौती दी जा सके। हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यह सीट बंटवारा एक नाजुक संतुलन का खेल है, जहां किसी भी सहयोगी की नाराजगी गठबंधन को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। अगले कुछ दिनों में होने वाली बैठकों से ही यह साफ हो पाएगा कि कौन सा दल कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा और क्या एनडीए एक एकजुट मोर्चा बनाकर चुनाव मैदान में उतर पाएगा।