- धर्म परिवर्तन का दबाव: अलवर के एक हॉस्टल में दो पादरी 50 से अधिक बच्चों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर कर रहे थे।
- बच्चों को डराया गया: 6 से 17 साल के बच्चों को हिंदू देवी-देवताओं को ‘फर्जी’ बताकर और ‘नरक में जलने’ की धमकी देकर डराया जा रहा था।
- पुलिस की कार्रवाई: पुलिस ने छापा मारकर दोनों पादरियों को गिरफ्तार कर लिया और हॉस्टल से बाइबिल और अन्य ईसाई सामग्री जब्त की।
समग्र समाचार सेवा
अलवर, 7 सितंबर 2025: राजस्थान के अलवर में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहाँ एक ईसाई मिशनरी हॉस्टल के दो पादरियों पर 50 से अधिक गरीब बच्चों को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने का आरोप लगा है। बच्चों को मुफ्त शिक्षा का लालच देकर हॉस्टल में लाया गया था, जहाँ उन्हें हिंदू देवी-देवताओं को ‘फर्जी’ बताकर उन्हें त्यागने और ईसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव डाला जा रहा था। पुलिस ने हॉस्टल पर छापा मारकर दोनों पादरियों को गिरफ्तार कर लिया है और हॉस्टल से धार्मिक सामग्री जब्त की है।
यह घटना तब सामने आई जब स्थानीय लोगों को अलवर के एक ईसाई मिशनरी हॉस्टल में चल रही संदिग्ध गतिविधियों के बारे में जानकारी मिली। लोगों ने बताया कि हॉस्टल में रहने वाले बच्चों को नियमित रूप से डराया-धमकाया जा रहा था और उन्हें हिंदू धर्म के खिलाफ बातें सिखाई जा रही थीं। इसके बाद, पुलिस को इस मामले की जानकारी दी गई और एक टीम ने तुरंत हॉस्टल पर छापा मारा।
पुलिस के छापे के दौरान, हॉस्टल में रहने वाले बच्चों ने बताया कि हॉस्टल के दो पादरी, जो हॉस्टल का संचालन कर रहे थे, उन्हें नियमित रूप से हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करने से रोकते थे। बच्चों ने आरोप लगाया कि उन्हें बताया गया था कि हिंदू देवी-देवता ‘नकली’ हैं और उनकी पूजा करने से ‘नरक में जलना’ पड़ता है। इसके बजाय, उन्हें केवल बाइबिल पढ़ने और ईसाई प्रार्थनाएं करने के लिए मजबूर किया जाता था।
पुलिस ने बताया कि हॉस्टल में 50 से अधिक बच्चे रह रहे थे, जिनकी उम्र 6 से 17 साल के बीच है। इन बच्चों को उनके गरीब परिवारों से यह कहकर लाया गया था कि हॉस्टल में उन्हें मुफ्त शिक्षा और रहने की सुविधा मिलेगी। हालांकि, बाद में उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित किया जाने लगा।
पुलिस टीम ने मौके से बाइबिल, क्रॉस और अन्य ईसाई धर्म से संबंधित सामग्री जब्त की है। दोनों पादरियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और धर्म स्वातंत्र्य कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इस घटना के बाद, स्थानीय लोगों में भारी गुस्सा है और उन्होंने इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की है। कई सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने भी इस कृत्य की निंदा की है और सरकार से ऐसी मिशनरी संस्थाओं पर कड़ी निगरानी रखने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि धर्म परिवर्तन के लिए बच्चों को डराना एक गंभीर अपराध है और इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
पुलिस अब इस मामले की गहनता से जांच कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस हॉस्टल के पीछे कौन से संगठन हैं और क्या इस तरह की और भी संस्थाएं इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। यह घटना एक बार फिर से धार्मिक स्वतंत्रता और जबरन धर्म परिवर्तन के संवेदनशील मुद्दे को सामने ले आई है।