राष्ट्रपति ने किया शिक्षकों को सम्मानित, शिक्षा में समानता पर जोर
- राष्ट्रपति ने 45 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया।
- उन्होंने शिक्षा में लैंगिक समानता और ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों के बीच संतुलन की सराहना की।
- राष्ट्रपति ने कहा कि बेटियों की शिक्षा में निवेश परिवार और राष्ट्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण निवेश है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 06 सितंबर 2025: राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्रदान किए और अपने संबोधन में शिक्षा में समानता, समावेश और महिला शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्कूल स्तर पर महिला शिक्षकों और ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षकों की प्रभावशाली संख्या देखकर उन्हें खुशी है, जो शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव का संकेत है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शिक्षक दिवस पर दिए अपने संबोधन में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे चाहते थे कि देशवासी उन्हें एक शिक्षक के रूप में याद रखें, इसीलिए उनकी जयंती को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रपति ने ‘आचार्य देवो भव’ की प्राचीन परंपरा का जिक्र करते हुए शिक्षकों के योगदान को सर्वोपरि बताया।
उन्होंने अपने जीवन के उस समय को याद किया जब वह एक शिक्षिका थीं, और कहा कि वह उसे अपने जीवन का सबसे सार्थक कालखंड मानती हैं। उन्होंने एक छोटे आवासीय विद्यालय की स्थापना का भी जिक्र किया, जहां अनाथ और वंचित बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं, जिससे उन्हें बहुत संतोष मिलता है।
राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि शिक्षा व्यक्ति की गरिमा और सुरक्षा के लिए भोजन और आवास जितनी ही अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि एक संवेदनशील शिक्षक बच्चों में गरिमा और आत्मविश्वास की भावना पैदा करने का काम करता है। उन्होंने शिक्षकों को सलाह दी कि वे केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहें, बल्कि बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास करें।
शिक्षकों के लिए आचरण का महत्व
अपने संबोधन में, राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षकों का आचरण विद्यार्थियों के लिए एक मार्गदर्शक का काम करता है। उन्होंने प्राचीन भारत की शिक्षा परंपरा का उदाहरण देते हुए कहा कि आचार्यों ने शिष्यों को केवल अच्छे कार्यों का अनुकरण करने की सलाह दी थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि शिक्षकों को भी अपने आचरण को अनुकरणीय बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक अच्छे शिक्षक में भावना और बुद्धि का समन्वय होना चाहिए।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति और आधुनिक शिक्षा
राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सराहना की, जिसमें शिक्षा को बोझिल बनाने वाले अनावश्यक तथ्यों को कम करने पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट बोर्ड और आधुनिक सुविधाओं का महत्व है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण ‘स्मार्ट टीचर्स’ होते हैं, जो विद्यार्थियों की जरूरतों को समझते हैं और स्नेह के साथ सीखने की प्रक्रिया को रोचक और प्रभावी बनाते हैं।
महिला शिक्षा और कौशल विकास पर जोर
राष्ट्रपति मुर्मू ने बालिकाओं की शिक्षा को सर्वाधिक महत्व देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि बेटियों की शिक्षा में निवेश राष्ट्र के निर्माण में एक अमूल्य निवेश है। उन्होंने आधुनिक भारत की निर्माता सावित्रीबाई फुले को याद करते हुए महिला शिक्षा के क्षेत्र में उनके क्रांतिकारी कदम की सराहना की। उन्होंने कहा कि ‘वूमेन लेड डेवलपमेंट’ को प्रोत्साहित करने का सबसे प्रभावी माध्यम बेटियों को अच्छी शिक्षा देना है।
उन्होंने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त की कि उच्च शिक्षा में ‘ग्रॉस एनरोलमेंट रेश्यो’ में पिछले कुछ वर्षों में बेटियों की संख्या अधिक रही है, और STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) पाठ्यक्रमों में 43% तक पहुंच गई है। उन्होंने शिक्षकों से उन विद्यार्थियों पर विशेष ध्यान देने का अनुरोध किया जो संकोची स्वभाव के हैं या वंचित पृष्ठभूमि से आते हैं।
अंत में, राष्ट्रपति ने भारत को ‘स्किल कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड’ बनाने की राष्ट्रीय प्राथमिकता पर भी बात की। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य भारत को एक ‘ग्लोबल नॉलेज सुपरपावर’ बनाना है, और इसमें शिक्षकों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने विश्वास जताया कि हमारे शिक्षक इस लक्ष्य को प्राप्त करने में निर्णायक योगदान देंगे।