चीन में बोले पुतिन: भारत ‘आर्थिक दिग्गज’, कहा बहुध्रुवीय दुनिया है

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समग्र समाचार सेवा
बीजिंग, 4 सितंबर – रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चीन में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय मंच से भारत की प्रशंसा करते हुए उसे “आर्थिक दिग्गज” बताया। पुतिन ने कहा कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में बहुध्रुवीय व्यवस्था ही भविष्य है और ऐसी व्यवस्था में किसी एक देश का वर्चस्व नहीं हो सकता।
पुतिन ने अपने संबोधन में कहा, “बहुध्रुवीय दुनिया में कोई hegemon नहीं होता। हर देश के समान अधिकार होते हैं। चाहे भारत हो या चीन जैसे आर्थिक दिग्गज, BRICS जैसे मंच कभी राजनीतिक या सुरक्षा मामलों में प्रभुत्व की बात नहीं करते।”

भारत की भूमिका पर जोर

रूस के राष्ट्रपति का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत वैश्विक स्तर पर लगातार अपनी आर्थिक और रणनीतिक शक्ति का लोहा मनवा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में भारत की तेज़ विकास दर, डिजिटल क्रांति, ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और मजबूत विदेशी नीति ने उसे बड़े आर्थिक खिलाड़ियों की कतार में खड़ा कर दिया है। पुतिन ने यह भी इशारा किया कि भारत केवल एशिया ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में एक संतुलनकारी शक्ति के रूप में उभर रहा है।

पश्चिमी वर्चस्व को चुनौती

पुतिन ने अपने भाषण में यह स्पष्ट किया कि पश्चिमी देशों द्वारा दशकों से बनाए गए “एकध्रुवीय वर्चस्व” का दौर अब समाप्त हो रहा है। उनके अनुसार, अब किसी भी देश के लिए यह संभव नहीं कि वह अकेले वैश्विक राजनीति या अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करे। उन्होंने भारत और चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ भी सहयोग और साझेदारी के मॉडल को प्राथमिकता देती हैं, न कि प्रभुत्व को।

BRICS का ज़िक्र

अपने बयान में पुतिन ने विशेष रूप से BRICS संगठन का उल्लेख किया, जिसमें भारत, रूस, चीन, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। उन्होंने कहा कि BRICS का मकसद सहयोग और विकास है, न कि किसी प्रकार की राजनीतिक या सुरक्षा वर्चस्व की नीति। उनके मुताबिक, यह मंच उन देशों के लिए एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो समानता और आपसी सहयोग में विश्वास रखते हैं।

भारत के लिए कूटनीतिक जीत

विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन का यह बयान भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत है। रूस जैसे पुराने और भरोसेमंद मित्र द्वारा भारत को “आर्थिक दिग्गज” कहना न केवल भारत की बढ़ती शक्ति को स्वीकार करना है बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश देना भी है कि भारत की अनदेखी अब असंभव है।

निष्कर्ष

पुतिन के बयान से स्पष्ट है कि वैश्विक राजनीति का स्वरूप तेज़ी से बदल रहा है। एकध्रुवीय व्यवस्था से निकलकर दुनिया बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रही है, और इसमें भारत की भूमिका केंद्रीय होती जा रही है। भारत को ‘आर्थिक दिग्गज’ बताना इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में भारत न केवल एशिया बल्कि पूरी दुनिया की शक्ति-संतुलन संरचना में निर्णायक स्थान रखेगा।

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