इज़राइल और यहूदी समुदाय : छोटी आबादी, बड़ा प्रभाव

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    • इज़राइल और यहूदी समुदाय की वैश्विक स्थिति
    • जनसंख्या का छोटा होना लेकिन प्रभाव का अत्यधिक होना
    • इज़राइल की अर्थव्यवस्था, तकनीकी योगदान, और नोबेल पुरस्कारों में स्थान
    • बड़ी कंपनियों (Google, Microsoft, Oracle, Dell आदि) में यहूदियों की भागीदारी
    • इज़राइल की सैन्य और राष्ट्रभक्ति संस्कृति बनाम भारत की स्थिति

    पूनम शर्मा
    दुनिया के नक्शे पर इज़राइल भले ही एक छोटा सा देश हो, लेकिन इसका महत्व और वैश्विक प्रभाव अनुपात से कहीं अधिक है। यह देश और यहाँ का यहूदी समुदाय आज विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था और रक्षा जैसे क्षेत्रों में इतनी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं कि लगभग हर महाद्वीप किसी न किसी रूप में इनसे प्रभावित होता है। सवाल यह है कि आखिर इतनी कम जनसंख्या के बावजूद यह समुदाय दुनिया में इतना प्रभावशाली कैसे है?

    यहूदी जनसंख्या : संख्या कम, पर शक्ति अपार

    2021 के आँकड़ों के अनुसार पूरी दुनिया में यहूदियों की कुल आबादी लगभग डेढ़ करोड़ (15 मिलियन) है। इनमें से करीब 75–80 लाख यहूदी इज़राइल में रहते हैं, जबकि लगभग 57 लाख यहूदी अमेरिका में रहते हैं। बाकी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, भारत और अन्य देशों में बिखरे हुए हैं।

    इस संख्या को भारत से तुलना करें तो यह बेहद छोटी है। भारत की कुल आबादी लगभग 140 करोड़ है। यानी भारत की तुलना में यहूदियों की आबादी 100 से भी अधिक गुना कम है। लेकिन इसके बावजूद यह समुदाय विज्ञान, उद्योग, मीडिया और राजनीति में कहीं अधिक प्रभावी साबित हुआ है।

    इज़राइल की आर्थिक मजबूती

    इज़राइल का कुल क्षेत्रफल लगभग 20,000 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें से 60% हिस्सा रेगिस्तानी है। खेती योग्य भूमि भी बहुत सीमित है। इसके बावजूद इज़राइल ने अपने ज्ञान और तकनीकी विकास के बल पर एक मजबूत अर्थव्यवस्था खड़ी की है।

    इज़राइल की GDP लगभग 5,00,000 करोड़ डॉलर (2021) के आसपास है।

    पर कैपिटा आय के मामले में यह दुनिया के शीर्ष 40 विकसित देशों में शामिल है।

    कृषि से लेकर रक्षा और टेक्नोलॉजी तक, इस देश ने अपनी पहचान बनाई है।

    इस तुलना में भारत, जिसकी आबादी 140 करोड़ है और GDP 3.5 ट्रिलियन डॉलर (2021) रही, आज भी विकासशील देशों की श्रेणी में आता है।

    टेक्नोलॉजी और इनोवेशन की ताकत

    इज़राइल को दुनिया का स्टार्टअप नेशन कहा जाता है। यहाँ प्रति व्यक्ति स्टार्टअप की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। दुनिया की कई प्रमुख टेक्नोलॉजी कंपनियों की जड़ें यहूदियों तक पहुँचती हैं।

    Google के संस्थापक लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन, दोनों यहूदी मूल के हैं।

    Microsoft के शुरुआती निवेशक और लंबे समय तक कंपनी से जुड़े शीर्ष अधिकारी भी यहूदी रहे।

    Oracle, Dell, और कई अन्य टेक कंपनियों के संस्थापकों या बड़े निवेशकों की पृष्ठभूमि यहूदी रही है।

    आज हम जिन तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं — चाहे वह स्मार्टफोन का कैमरा हो, साइबर सिक्योरिटी हो या मेडिकल इंस्ट्रूमेंट्स — उनमें इज़राइल का योगदान प्रमुख है।

    नोबेल पुरस्कार और बौद्धिक क्षमता

    दुनिया में जितने भी नोबेल पुरस्कार दिए गए हैं, उनमें यहूदी समुदाय की हिस्सेदारी अत्यधिक है।

    विश्व की कुल आबादी में यहूदियों की हिस्सेदारी केवल 0.2% है।

    लेकिन अब तक मिले नोबेल पुरस्कारों में उनकी हिस्सेदारी लगभग 20% है।

    भारत, जिसकी आबादी 140 करोड़ है, ने अब तक केवल 12 नोबेल विजेता दिए हैं। जबकि यहूदियों ने 13 से अधिक नोबेल विजेता केवल इज़राइल से ही दिए हैं।

    सैन्य शक्ति और राष्ट्रभक्ति

    इज़राइल केवल टेक्नोलॉजी और विज्ञान में ही नहीं, बल्कि सैन्य शक्ति के मामले में भी दुनिया में मजबूत है। यहाँ हर नागरिक को सेना में अनिवार्य सेवा करनी होती है। बड़ी-बड़ी टेक कंपनियों में काम करने वाले यहूदी भी जब देश को ज़रूरत होती है, तो नौकरी छोड़कर सेना में शामिल हो जाते हैं।

    हाल ही में देखा गया कि अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में काम कर रहे यहूदी युवा अपने हाई-प्रोफाइल जॉब्स छोड़कर इज़राइल लौट आए ताकि युद्ध के समय अपने देश की रक्षा कर सकें। यह राष्ट्रभक्ति और समर्पण भारतीय युवाओं के लिए एक प्रेरणा है।

    भारत में अक्सर देखा जाता है कि प्रतिभाशाली छात्र आईआईटी या आईआईएम से पढ़ाई करने के बाद विदेशी कंपनियों में नौकरी कर लेते हैं। लेकिन इज़राइल में स्थिति इसके विपरीत है — वहाँ के लोग अपनी विशेषज्ञता का उपयोग पहले अपने देश के लिए करते हैं।

    क्यों दुनिया इज़राइल को महत्व देती है

    पश्चिमी देश, विशेषकर अमेरिका, इज़राइल के सबसे बड़े समर्थक हैं। इसके पीछे कारण केवल रणनीतिक नहीं, बल्कि आर्थिक और बौद्धिक भी हैं।

    अमेरिका की टेक कंपनियों और रिसर्च संस्थानों में यहूदियों का वर्चस्व है।

    यहूदी समुदाय वैश्विक वित्त और निवेश जगत में भी बेहद प्रभावशाली है।

    इन कारणों से अमेरिका और यूरोप के कई देशों की नीतियाँ इज़राइल समर्थक होती हैं।

    भारत और इज़राइल : तुलना और सीख

    भारत को इज़राइल से कई बातें सीखने की ज़रूरत है:

    जनसंख्या पर नियंत्रण से अधिक ध्यान गुणवत्ता पर
    – छोटी आबादी के बावजूद इज़राइल ने अपने नागरिकों को विश्वस्तरीय शिक्षा और अवसर दिए।
    राष्ट्रभक्ति और कर्तव्यबोध
    – नौकरी और निजी लाभ से पहले देश का हित सर्वोपरि।
    विज्ञान और तकनीक में निवेश
    – रेगिस्तान जैसी परिस्थितियों में भी इज़राइल ने तकनीक का उपयोग कर आत्मनिर्भरता हासिल की।
    शिक्षा और अनुसंधान पर बल
    – यही कारण है कि वे नोबेल पुरस्कारों में शीर्ष पर हैं।
    निष्कर्ष

    इज़राइल और यहूदी समुदाय का उदाहरण यह साबित करता है कि संख्या से अधिक मायने रखती है गुणवत्ता। दुनिया की 0.2% आबादी रखने वाला यह समुदाय विज्ञान, तकनीक, वित्त और रक्षा में दुनिया को दिशा दे रहा है।

    भारत जैसे बड़े देश के लिए यह एक सबक है कि केवल जनसंख्या और संसाधनों के आधार पर महान राष्ट्र नहीं बना जा सकता। असली ताकत शिक्षा, नवाचार, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति में है। यदि भारत इन क्षेत्रों में इज़राइल से प्रेरणा ले, तो अपनी जनसंख्या और संसाधनों के बल पर कहीं बड़ी ताकत बन सकता है।

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