‘बियॉन्ड होराइजन’ में भारत ने दिखाया अपना तकनीकी विजन

भारत ने दिखाया AI और ऑटोनॉमस टेक्नोलॉजी का दम

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  • भारत ने यरूशलम में आयोजित ‘बियॉन्ड होराइजन’ (Beyond Horizon) सम्मेलन में अपनी उभरती हुई तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन किया।
  • भारत ने रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोनॉमस सिस्टम में अपनी प्रगति को उजागर किया।
  • यह सम्मेलन भारत के बढ़ते तकनीकी कौशल और इजरायल के साथ उसकी मजबूत साझेदारी का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।

समग्र समाचार सेवा
यरूशलम, 03 सितंबर 2025: यरूशलम में आयोजित प्रतिष्ठित ‘बियॉन्ड होराइजन’ सम्मेलन में भारत ने अपनी उभरती प्रौद्योगिकियों के विजन को मजबूती से पेश किया है। इस वैश्विक मंच पर, जहां दुनिया भर के रक्षा और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ इकट्ठा हुए थे, भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ऑटोनॉमस सिस्टम, और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण प्रगति को दिखाया। भारत की भागीदारी ने न केवल अपनी तकनीकी क्षमताओं को प्रदर्शित किया बल्कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी दर्शाया।

इस कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व प्रमुख रक्षा अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों ने किया। उन्होंने बताया कि कैसे भारत राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रहा है। उन्होंने विशेष रूप से साइबर सुरक्षा और डेटा विश्लेषण में भारत के प्रयासों पर जोर दिया, जो आधुनिक युद्ध के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारत के प्रतिनिधियों ने बताया कि AI और मशीन लर्निंग जैसी प्रौद्योगिकियां अब केवल सैद्धांतिक अवधारणाएं नहीं हैं, बल्कि वे सैन्य और नागरिक दोनों अनुप्रयोगों में वास्तविक समाधान प्रदान कर रही हैं।

इजरायल के साथ मजबूत होती साझेदारी

‘बियॉन्ड होराइजन’ सम्मेलन में भारत की सक्रिय भागीदारी इजरायल के साथ उसकी रणनीतिक साझेदारी का एक और प्रमाण है। भारत और इजरायल लंबे समय से रक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं। इस सम्मेलन ने दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत किया है। इजरायली अधिकारियों ने भारत की तकनीकी प्रगति की सराहना की और भविष्य में दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की।

इस तरह के सम्मेलन भारत को वैश्विक तकनीकी मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत करने का अवसर देते हैं। यह भारत के लिए न केवल अपने तकनीकी कौशल को प्रदर्शित करने का मौका है, बल्कि यह भी जानने का मौका है कि दुनिया के अन्य देश किन तकनीकों पर काम कर रहे हैं। इससे भारत को अपनी अनुसंधान और विकास (R&D) रणनीतियों को और बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

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