SCO में मोदी की दोस्ती से ट्रंप को लगी ‘मिर्ची’, भारत पर दिया बड़ा बयान

पीएम मोदी के चीन दौरे के बाद अमेरिका ने भारत से रिश्तों पर उठाए सवाल

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  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन में शी जिनपिंग और पुतिन के साथ मुलाकात के बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर बड़ा बयान दिया है।
  • ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका और भारत के बीच का रिश्ता लंबे समय से ‘एकतरफा’ रहा है, जिसमें भारत को ज्यादा फायदा हुआ है।
  • उन्होंने भारत द्वारा रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने की भी आलोचना की और कहा कि भारत को ऐसा करना सालों पहले बंद कर देना चाहिए था।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 02 सितंबर 2025: चीन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति और उनकी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई द्विपक्षीय बैठकों ने अमेरिका में हलचल मचा दी है। सम्मेलन के ठीक बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को लेकर एक बड़ा बयान दिया है, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में आया तनाव और गहरा हो गया है। ट्रंप ने भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को ‘एकतरफा’ और ‘आपदा’ बताया है।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, “भारत के साथ हमारा व्यापारिक रिश्ता कई दशकों से पूरी तरह से एकतरफा रहा है। वे हमें भारी मात्रा में सामान बेचते हैं, जबकि हम उन्हें बहुत कम बेचते हैं। अमेरिका उनका सबसे बड़ा ‘ग्राहक’ है, लेकिन भारत ने हम पर इतने ऊंचे टैरिफ लगाए हैं कि हमारे व्यवसाय वहां सामान नहीं बेच पाते।” उन्होंने भारत द्वारा रूस से तेल और सैन्य उत्पाद खरीदने की भी आलोचना की और इसे यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में ‘गलत’ बताया। ट्रंप ने दावा किया कि भारत ने अब टैरिफ कम करने की पेशकश की है, लेकिन उनके अनुसार, “अब देर हो चुकी है।”

ट्रंप की बौखलाहट और अमेरिका के भीतर का विवाद

विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान पीएम मोदी की चीन यात्रा और शी जिनपिंग व पुतिन के साथ उनकी मुलाकात से उपजी बेचैनी का नतीजा है। अमेरिका यह देख रहा है कि भारत, जिसे वह चीन के खिलाफ एक मजबूत सहयोगी के रूप में देखता है, अब रूस और चीन के साथ भी अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है। ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने तो यहां तक कहा कि “मोदी का दो सबसे बड़े तानाशाहों, पुतिन और शी जिनपिंग, के साथ देखा जाना बेहद शर्म की बात है।”

ट्रंप की नीतियों को लेकर अमेरिका के भीतर भी विवाद है। अमेरिकी मीडिया ने ट्रंप पर ही आरोप लगाया है कि उनकी अस्थिर और एकतरफा नीतियों ने भारत को चीन और रूस जैसे देशों की तरफ धकेल दिया है। कुछ अमेरिकी विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की व्यापार नीतियां भारत जैसे महत्वपूर्ण साझेदारों को नाराज कर रही हैं, जिससे अमेरिका के दीर्घकालिक रणनीतिक हितों को नुकसान हो रहा है।

भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का प्रदर्शन

इस पूरे मामले में भारत का रुख अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर आधारित है। भारत ने बार-बार स्पष्ट किया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार ही फैसले लेगा, चाहे वह किसी भी देश से तेल खरीदना हो या अन्य देशों के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित करना हो। पीएम मोदी की एससीओ में सक्रियता को अमेरिका की ‘टैरिफ वाली दादागिरी’ का जवाब भी माना जा रहा है। भारत ने अमेरिका को यह संदेश दिया है कि उसके पास कई विकल्प मौजूद हैं और वह किसी भी देश के दबाव में आकर अपनी नीति नहीं बदलेगा।

यह घटना यह भी दर्शाती है कि वैश्विक राजनीति अब सिर्फ ‘एकल ध्रुवीय’ नहीं रही है। भारत जैसे देश अब अपने हितों को साधने के लिए कई शक्तियों के साथ संबंध स्थापित कर रहे हैं, जो अमेरिका जैसे देशों के लिए एक नई चुनौती पेश कर रहा है।

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