‘सार्वजनिक स्थान’ पर उपयोग न होने वाले वाहनों पर टैक्स नहीं लगेगा

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
  • सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि यदि किसी वाहन का उपयोग सार्वजनिक स्थान पर नहीं होता, तो उस पर मोटर वाहन कर नहीं लगाया जा सकता।
  • न्यायालय ने कहा कि मोटर वाहन कर प्रकृति में प्रतिपूरक है और इसका उद्देश्य सार्वजनिक सड़कों के उपयोग के लिए भुगतान करना है।
  • यह फैसला आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के एक फैसले को बरकरार रखते हुए दिया गया, जो एक कंपनी द्वारा दायर अपील पर आधारित था।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 02 सितंबर 2025: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मोटर वाहन मालिकों को एक बड़ी राहत देते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी मोटर वाहन का उपयोग ‘सार्वजनिक स्थान’ पर नहीं हो रहा है, तो उस पर मोटर वाहन कर नहीं लगाया जा सकता है। यह फैसला जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने सुनाया है। न्यायालय ने कहा कि मोटर वाहन कर की प्रकृति प्रतिपूरक (compensatory) है, जिसका मतलब है कि यह कर उन लोगों से वसूला जाता है जो सार्वजनिक बुनियादी ढांचे जैसे सड़कों और राजमार्गों का उपयोग करते हैं।

यह फैसला आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के दिसंबर 2024 के एक निर्णय के खिलाफ दायर अपील पर आया। मामला एक कंपनी से संबंधित था, जो राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (RINL) के विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के केंद्रीय डिस्पैच यार्ड में 36 वाहनों का उपयोग करती थी। कंपनी ने तर्क दिया कि यह यार्ड एक चारदीवारी से घिरा हुआ है और यह कोई सार्वजनिक स्थान नहीं है। इसलिए, कंपनी ने आंध्र प्रदेश मोटर वाहन कराधान अधिनियम, 1963 की धारा 3 के तहत कर से छूट की मांग की थी।

उच्च न्यायालय का फैसला हुआ बरकरार

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसके बाद प्राधिकरण ने इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। प्राधिकरण ने तर्क दिया कि भले ही वाहन का उपयोग निजी परिसर में हो रहा हो, लेकिन चूंकि वे सड़कों पर पंजीकरण के लिए योग्य हैं, इसलिए उन पर कर लगाया जाना चाहिए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा।

न्यायालय ने कहा कि कर का औचित्य तभी होता है जब कोई व्यक्ति सार्वजनिक सड़कों का उपयोग करता है। चूंकि संबंधित वाहन केवल एक निजी और चारदीवारी वाले क्षेत्र में उपयोग किए जा रहे थे, इसलिए उन पर कर लगाना अनुचित है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन सभी व्यक्तियों और कंपनियों के लिए एक मिसाल बनेगा, जो अपने वाहनों का उपयोग केवल निजी परिसरों में करते हैं, जैसे कि फैक्ट्रियां, खदानें या बड़े गोदाम।

फैसले के निहितार्थ

इस फैसले से उन सभी वाहन मालिकों को फायदा होगा, जिन्हें अपने वाहनों पर कर का भुगतान करना पड़ता था, भले ही उनका उपयोग सार्वजनिक सड़कों पर न होता हो। यह फैसला भारत के मोटर वाहन कराधान कानून में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है और भविष्य में इस तरह के मामलों के लिए एक स्पष्ट दिशा-निर्देश तय करेगा। यह निर्णय यह भी बताता है कि कानून का उद्देश्य किसी वाहन के अस्तित्व पर कर लगाना नहीं, बल्कि उसके सार्वजनिक उपयोग पर कर लगाना है।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.