पप्पु यादव फिर हुए दरकिनार, क्या आरजेडी से बढ़ रही दूरी?

कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के मंच पर नहीं मिली जगह, सड़क पर कुर्सी लगाकर बैठे, समर्थक नाराज

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  • बिहार में कांग्रेस और आरजेडी के साझा कार्यक्रम में जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव को मंच पर जगह नहीं मिली।
  • राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की मौजूदगी वाले इस कार्यक्रम में उन्हें मंच से दूर सड़क पर आम लोगों के बीच बैठना पड़ा।
  • यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी उन्हें महागठबंधन के बड़े नेताओं के कार्यक्रमों से दूर रखा गया है।

समग्र समाचार सेवा
पटना, 02 सितंबर 2025: बिहार की सियासत में अपनी अलग पहचान रखने वाले जन अधिकार पार्टी (जाप) के अध्यक्ष और पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव एक बार फिर चर्चा में हैं। पटना में हुई ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के समापन समारोह में उन्हें मंच पर जगह नहीं दी गई। इस कार्यक्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव सहित महागठबंधन के कई बड़े नेता मौजूद थे। पप्पू यादव को मंच से दूर सड़क पर आम लोगों के बीच एक कुर्सी पर बैठकर भाषण सुनने को मजबूर होना पड़ा, जिसने उनके समर्थकों में भारी नाराजगी पैदा कर दी है।

राजनीतिक गलियारों में यह घटना कई सवालों को जन्म दे रही है। क्या यह सिर्फ एक संयोग है, या फिर पप्पू यादव और लालू-तेजस्वी परिवार के बीच चल रही पुरानी खींचतान का नतीजा है? यह घटना इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि इससे पहले 9 जुलाई को भी पप्पू यादव को राहुल गांधी की कार में साथ चलने की अनुमति नहीं दी गई थी। ये घटनाएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है, खासकर तब जब पप्पू यादव जैसे नेता को बार-बार नजरअंदाज किया जा रहा है।

पप्पू यादव ने 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद उन्हें पूर्णिया से टिकट नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और महागठबंधन के उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की। यह जीत उनकी लोकप्रियता और जनाधार का प्रमाण है। इसके बावजूद, उन्हें लगातार नजरअंदाज किया जाना एक बड़ी राजनीतिक पहेली है।

यह घटना न सिर्फ पप्पू यादव के समर्थकों को निराश कर रही है, बल्कि महागठबंधन की एकजुटता पर भी सवाल उठा रही है। जब बड़े नेता एक मंच पर आकर एकता का संदेश देना चाहते हैं, तब एक प्रमुख सहयोगी नेता को इस तरह से दरकिनार करना क्या दिखाता है? यह बिहार की राजनीति में एक नया समीकरण पैदा कर सकता है। अगर यह स्थिति बनी रहती है तो इसका असर भविष्य के चुनावों पर भी पड़ सकता है।

पप्पू यादव का सड़क पर बैठकर भाषण सुनना दिखाता है कि वह अपने समर्थकों के साथ खड़े हैं और नेताओं के भेदभावपूर्ण रवैये से निराश हैं। इस घटना ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि बिहार की राजनीति में व्यक्तिगत संबंध और समीकरण अभी भी अहम भूमिका निभाते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस घटना के बाद कांग्रेस और आरजेडी के बीच के रिश्ते किस दिशा में जाते हैं और पप्पू यादव का अगला कदम क्या होता है।

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