ट्रंप को सीधा संदेश, पाकिस्तान को चेतावनी, चीन को याद दिलाए वादे

पीएम मोदी की चीन यात्रा ने अमेरिका और पड़ोसियों को दिया कड़ा संदेश

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अशोक कुमार
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में लौटने के बाद से ही भारत और अमेरिका के संबंधों में एक नया तनाव आ गया है। ट्रंप प्रशासन ने भारत से आयात होने वाले कई उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाया है, जिसमें रूसी तेल खरीद को लेकर लगाया गया अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है। यह कदम भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और उसके राष्ट्रीय हितों पर सीधा हमला माना जा रहा है। इसी पृष्ठभूमि में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में उनकी उपस्थिति ने एक गहरा कूटनीतिक संदेश दिया है।

मोदी की यह यात्रा, सात साल बाद चीन में हुई, यह दिखाती है कि भारत वैश्विक मंच पर अपने हितों की रक्षा के लिए किसी भी देश के दबाव में नहीं झुकेगा। अमेरिका को यह संदेश दिया गया है कि अगर वह भारत को आर्थिक मोर्चे पर नुकसान पहुंचाता है तो भारत के पास अन्य विकल्पों को तलाशने की क्षमता है। चीन और रूस के साथ संबंधों को मजबूत करना उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। SCO में पीएम मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई द्विपक्षीय बैठकों को विश्लेषक एक नई धुरी के उदय के रूप में देख रहे हैं, जो अमेरिका की एकतरफा नीतियों का मुकाबला करने के लिए तैयार है। यह अमेरिका के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है कि दुनिया अब ‘एकल शक्ति’ के वर्चस्व में काम नहीं करेगी।

आतंकवाद पर पाकिस्तान को कड़ा संदेश

एसईओ शिखर सम्मेलन में भारत ने आतंकवाद पर अपना कड़ा रुख कायम रखा। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि पीएम मोदी ने शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक में सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा उठाया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि एससीओ के आधिकारिक बयान में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र किया गया। यह एक बड़ी कूटनीतिक जीत है क्योंकि महज 68 दिन पहले चीन और पाकिस्तान ने इसी तरह के प्रस्ताव को जी20 की बैठक में शामिल नहीं होने दिया था।

पहलगाम का जिक्र, जो अब एससीओ के सदस्य देशों द्वारा अनुमोदित है, पाकिस्तान के लिए एक कड़ा और सीधा संदेश है। यह दिखाता है कि पाकिस्तान अब आतंकवाद को लेकर चीन का बेतुका समर्थन भी नहीं पा सकेगा, जैसा वह पहले करता रहा है। एससीओ के साझा घोषणापत्र में आतंकी फंडिंग, कट्टरपंथ और सीमा पार आतंकवाद को लेकर कड़ी कार्रवाई का आह्वान किया गया है, जो सीधे तौर पर पाकिस्तान की नीतियों पर हमला है। पीएम मोदी ने ‘दोहरे मापदंड’ के बिना आतंकवाद से लड़ने की अपील की, जो उन देशों के लिए एक स्पष्ट संदेश था जो अपनी राजनीतिक सुविधा के अनुसार आतंकवाद को परिभाषित करते हैं।

चीन को सीमाओं पर याद दिलाई शांति

पीएम मोदी की चीन यात्रा का एक और महत्वपूर्ण पहलू चीन के लिए एक कूटनीतिक याद दिलाना था। गलवान संघर्ष के बाद दोनों देशों के संबंध बेहद तनावपूर्ण रहे हैं। हालांकि, एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर हुई बैठक में पीएम मोदी ने शी जिनपिंग से साफ कहा कि भारत-चीन संबंधों के सामान्यीकरण के लिए सीमाओं पर शांति और स्थिरता बेहद जरूरी है। यह बयान इस बात को पुख्ता करता है कि भारत सीमा विवाद को रिश्तों में सामान्यता की शर्त मानता है और इस पर कोई समझौता नहीं करेगा।

शी जिनपिंग ने भी पीएम मोदी के साथ बातचीत में संबंधों को ‘रणनीतिक और दीर्घकालिक’ नजरिए से देखने की बात कही। उन्होंने कहा कि ‘ड्रैगन और हाथी’ को साथ आना चाहिए। हालांकि, भारत का रुख स्पष्ट है कि शब्दों से ज्यादा कार्रवाई मायने रखती है। सीमा पर शांति स्थापित करने के लिए चीन को ठोस कदम उठाने होंगे। पीएम मोदी की यह यात्रा चीन को यह भी याद दिलाती है कि भारत केवल अमेरिका के साथ ही नहीं, बल्कि चीन सहित सभी बड़ी शक्तियों के साथ संवाद स्थापित करने और अपने हितों को साधने में सक्षम है।

भारत की नई कूटनीतिक रणनीति

कुल मिलाकर, पीएम मोदी की चीन यात्रा और एससीओ शिखर सम्मेलन में उनकी भूमिका ने एक साथ कई मोर्चों पर कूटनीतिक सफलता हासिल की है।

अमेरिका: ट्रंप के टैरिफ और एकतरफा नीतियों के जवाब में भारत ने अपनी रणनीतिक स्वायत्तता का प्रदर्शन किया और चीन-रूस के साथ संबंधों को मजबूत कर अमेरिका को एक स्पष्ट संदेश दिया।

पाकिस्तान: आतंकवाद पर सख्त रुख और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहलगाम का जिक्र कराके भारत ने पाकिस्तान की नीति को बेनकाब किया और वैश्विक समर्थन हासिल किया।

चीन: सीमा विवाद पर शांति के लिए अपनी शर्त दोहराकर भारत ने चीन को स्पष्ट संदेश दिया कि दोस्ती तभी संभव है जब वह अपनी हरकतों पर लगाम लगाए।

इस तरह, भारत की कूटनीति अब अधिक आत्मविश्वास, लचीलेपन और निडरता के साथ आगे बढ़ रही है। यह सिर्फ एक-दूसरे से निपटने के बारे में नहीं है, बल्कि दुनिया की एक प्रमुख शक्ति के रूप में भारत की पहचान को स्थापित करने के बारे में भी है।

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