पीटर नवारो को कांग्रेस का साथ : ब्राह्मण विरोध, समाज को बाँटने की साजिश

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पूनम शर्मा
भारत आज वैश्विक मंच पर नई ऊँचाइयाँ छू रहा है। ऊर्जा सुरक्षा, कूटनीति और आर्थिक नीतियों के मोर्चे पर सरकार लगातार बड़ी उपलब्धियाँ हासिल कर रही है। लेकिन इसी बीच, कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर अपनी असली तस्वीर सामने रख दी है—एक ऐसी तस्वीर जो राष्ट्रहित के बजाय केवल विभाजनकारी राजनीति पर टिकी है।

फॉक्स टीवी पर पीटर नवारो  का ब्राह्मण विरोध

अमेरिका के व्हाइट हाउस से जुड़े सलाहकार पीटर नवारो ने फॉक्स टीवी पर भारत को लेकर चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत सस्ते तेल से मुनाफा कमा रहा है और इस लाभ का फायदा आम भारतीयों को नहीं मिल रहा। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने ब्राह्मणों पर सीधा हमला बोलते हुए दावा किया कि भारत का तेल कारोबार और आर्थिक लाभ केवल “ब्राह्मणों” की जेब में जा रहा है।
यह बयान केवल आर्थिक मुद्दा नहीं था, बल्कि भारत के समाज को जाति के नाम पर तोड़ने की खुली कोशिश थी। एक विदेशी सलाहकार का यह कहना कि भारत की आर्थिक नीतियाँ जातिवादी हैं, दरअसल भारत के सामाजिक ढांचे पर चोट थी।

कांग्रेस का समर्थन – राष्ट्रहित से गद्दारी

ऐसे बयान पर हर भारतीय राजनीतिक दल को एकजुट होकर विरोध करना चाहिए था। लेकिन कांग्रेस नेताओं ने उल्टा रास्ता चुना। उन्होंने न केवल नवारो की इस ब्राह्मण-विरोधी टिप्पणी की आलोचना से किनारा किया, बल्कि उसे सही ठहराने की कोशिश की।
यह वही कांग्रेस है जो पहले भी राहुल गांधी के विदेशी दौरों में भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बदनाम करने वाले बयानों के लिए चर्चा में रही है। अब वही कांग्रेस विदेशी सलाहकारों के जातिगत ज़हर घोलने वाले विचारों पर भी ताली बजा रही है।

उदित राज का विवादास्पद समर्थन

कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने तो हद ही कर दी। उन्होंने नवारो के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि भारत में आर्थिक लाभ और अवसर वास्तव में दलितों और पिछड़ों तक नहीं पहुँचते, सब ऊँची जातियों के कब्ज़े में हैं।
यह बयान न केवल झूठ और भ्रामक है बल्कि देश की एकता पर सीधा हमला है। जब एक राष्ट्रीय दल का नेता खुलेआम यह कहे कि भारत की तरक्की केवल ब्राह्मणों तक सीमित है, तो इसका मतलब साफ है—कांग्रेस सत्ता के लिए समाज में जातिगत जहर घोलना चाहती है।

विदेशी एजेंडा और कांग्रेस का साथ

स्पष्ट है कि पीटर नवारो जैसे विदेशी सलाहकारों का असली मकसद भारत को जाति के नाम पर विभाजित करना है। यह वही औपनिवेशिक सोच है जिसने कभी “फूट डालो और राज करो” की नीति से भारत को गुलाम बनाया था।
दवालो का बयान इसी मानसिकता का हिस्सा है। और कांग्रेस का रवैया बता रहा है कि वह इस विदेशी एजेंडे की सहयोगी बन चुकी है।

क्या विपक्ष का मतलब देशद्रोह है?

लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका जरूरी है। लेकिन कांग्रेस ने इसे राष्ट्रविरोधी रुख बना दिया है। सरकार की हर नीति का विरोध, भारत की हर उपलब्धि पर सवाल, और समाज में हर जगह जाति-धर्म का ज़हर—यही कांग्रेस का एजेंडा है।
आज जब पूरा देश एकजुट होकर वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहा है, कांग्रेस विदेशी ताकतों और उनके जातिगत षड्यंत्रों के साथ खड़ी दिख रही है।

जनता समझ चुकी है कांग्रेस की चाल

कांग्रेस चाहे कितनी भी कोशिश कर ले, जनता अब उसकी असलियत पहचान चुकी है। आम भारतीय जानता है कि सस्ते तेल की खरीद से देश की अर्थव्यवस्था को लाभ हुआ है, महंगाई पर काबू पाया गया है और ऊर्जा सुरक्षा मज़बूत हुई है। लेकिन कांग्रेस और उसके नेता केवल जातिवादी नैरेटिव बनाकर जनता को गुमराह करना चाहते हैं।

निष्कर्ष

पीटर नवारो का एंटी-ब्राह्मण वाला  बयान और उदित राज का उसका समर्थन, यह साबित करता है कि कांग्रेस आज विदेशी षड्यंत्रकारियों के सुर में सुर मिलाने वाली पार्टी बन चुकी है। उसका मकसद न तो गरीब की चिंता है, न किसान की—बल्कि केवल समाज को बाँटना  और सत्ता की भूख मिटाना है।
कांग्रेस जितना भी ब्राह्मण-विरोध या जातिगत राजनीति का सहारा ले, भारत की जनता अब एकजुट होकर ऐसे विभाजनकारी एजेंडे को नकार रही है।

आज का सवाल यही है—क्या कांग्रेस सचमुच विपक्ष है, या फिर भारत के खिलाफ खड़ी होने वाली सबसे बड़ी “राष्ट्रविरोधी” पार्टी बन चुकी है?

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