ट्रंप के सलाहकार का भारत पर बड़ा हमला: रूसी तेल पर जातिगत टिप्पणी
पीटर नवारो ने कहा- ब्राह्मण कर रहे हैं मुनाफाखोरी, अमेरिका नाराज
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत पर रूसी तेल खरीद को लेकर कड़ा हमला बोला है।
- नवारो ने भारत पर रूसी तेल से मुनाफाखोरी करने और जातिगत आरोप लगाते हुए कहा कि इससे ‘ब्राह्मणों को फायदा हो रहा है’।
- यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका के बीच रूसी तेल आयात और अमेरिकी टैरिफ को लेकर पहले से ही तनाव चल रहा है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 01 सितंबर 2025: भारत और अमेरिका के बीच रूसी तेल आयात को लेकर चल रहे तनाव के बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने एक बार फिर भारत पर तीखा हमला बोला है। एक इंटरव्यू में नवारो ने भारत के रूसी कच्चे तेल खरीदने पर न केवल आपत्ति जताई, बल्कि एक विवादित जातिगत टिप्पणी भी की। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय रिफाइनर रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीदकर उसे महंगे दामों पर निर्यात कर रहे हैं, जिससे मुनाफाखोरी हो रही है।
नवारो ने अपने बयान में कहा, “भारतीय जनता को यह समझना चाहिए कि यहां क्या हो रहा है। आपके यहां ब्राह्मण हैं जो भारतीय लोगों की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं।” उनका यह बयान न केवल भारत के व्यापारिक हितों पर हमला है, बल्कि यह भारत की सामाजिक संरचना पर भी एक विभाजनकारी टिप्पणी है, जिसकी भारत में कड़ी आलोचना हो रही है। इस बयान को अमेरिका की बढ़ती बौखलाहट का संकेत माना जा रहा है क्योंकि भारत रूस से तेल खरीद जारी रखे हुए है, जबकि अमेरिका चाहता है कि वह ऐसा न करे।
‘मोदी एक महान नेता, फिर भी…’, अमेरिकी बौखलाहट की वजह
पीटर नवारो ने अपने बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘महान नेता’ कहा, लेकिन साथ ही उनकी नीतियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “मुझे समझ नहीं आता कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेतृत्व करने के बावजूद मोदी, पुतिन और जिनपिंग के साथ क्यों घुल-मिल रहे हैं।” उनका यह बयान भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर अमेरिका की नाराजगी को दर्शाता है। अमेरिका चाहता है कि भारत रूस और चीन के खिलाफ उसके साथ खड़ा हो, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार ही काम करेगा।
नवारो ने यह भी दावा किया कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से पहले भारत के कुल तेल आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी 1% से भी कम थी, जो अब 30% से अधिक हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस तेल से होने वाली कमाई सीधे रूस के सैन्य खजाने में जा रही है। उन्होंने भारत पर “घमंडी” होने का भी आरोप लगाया, क्योंकि भारत अपनी संप्रभुता का हवाला देते हुए अमेरिकी दबाव में नहीं झुक रहा है।
अमेरिकी टैरिफ और भारत पर दबाव
अमेरिका ने भारत पर पहले ही 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया हुआ है। नवारो ने कहा कि अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देता है तो यह टैरिफ कम किया जा सकता है। भारत ने अमेरिकी टैरिफ को अनुचित बताया है और स्पष्ट किया है कि वह किसी दबाव में अपनी नीति नहीं बदलेगा। कई अमेरिकी विशेषज्ञ और यहूदी समूहों ने भी नवारो के बयान की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि इस तरह के बयान भारत-अमेरिका संबंधों में दशकों की कड़ी मेहनत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
भारत के दृष्टिकोण से, अमेरिका का यह दोहरा मानदंड है। अमेरिका और यूरोप के कई देश भी रूस से ऊर्जा खरीद रहे हैं। भारत ने हमेशा कहा है कि उसका तेल आयात उसकी आर्थिक जरूरतों से प्रेरित है, न कि किसी राजनीतिक एजेंडे से।