दिल्ली को मिला ‘भगवान बिरसा मुंडा भवन’, जनजातीय गौरव का केंद्र
जनजातीय धरोहर के संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम
- दिल्ली में ‘भगवान बिरसा मुंडा भवन’ (जनजातीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र) का लोकार्पण हुआ, जो जनजातीय समाज को समर्पित है।
- लोकार्पण समारोह में आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर और किरेन रिजिजू समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
- यह भवन जनजातीय संस्कृति के संरक्षण, युवा नेतृत्व के विकास और अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा।
कुमार राकेश
नई दिल्ली, 1 सितम्बर , 2025: अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा निर्मित ‘भगवान बिरसा मुंडा भवन’—एक जनजातीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र—का भव्य लोकार्पण समारोह रविवार शाम को दिल्ली के पुष्प विहार में संपन्न हुआ। यह भवन महान जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की स्मृति में बनाया गया है और इसे समाज के लिए समर्पित किया गया। लोकार्पण समारोह में कई केंद्रीय मंत्रियों, आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों और विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष श्री सत्येन्द्र सिंह ने कहा कि भारतीय जनजातीय समाज ने आदिकाल से ही प्रकृति का संरक्षण किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कल्याण आश्रम का लक्ष्य जनजातीय अस्मिता और अस्तित्व की रक्षा करते हुए उनके सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करना है।

सरकार का सहयोग और प्रतिबद्धता
मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि यह भवन जनजातीय समाज के लिए अनुसंधान, प्रशिक्षण और नेतृत्व विकास का केंद्र बनेगा, जो समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने सरकार की ओर से जनजातीय समाज के लिए अधोसंरचना और कल्याणकारी योजनाओं के प्रति प्रतिबद्धता भी व्यक्त की।
केंद्रीय राज्यमंत्री दुर्गादास उइके ने कहा कि भारतीय सभ्यता में जनजातीय समाज का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है और यह नया भवन उनकी संस्कृति को उजागर करने में अहम भूमिका निभाएगा। वहीं, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि भारत के सभी जनजातीय समुदाय देश की मुख्यधारा का अभिन्न अंग हैं और वनवासी कल्याण आश्रम ने उनके साथ भाई-बंधुओं जैसा रिश्ता कायम किया है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज ने प्राचीन काल से भारत की सीमाओं की रक्षा की है।
आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी समाज का संकल्प
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह और मुख्य वक्ता दत्तात्रेय होसबाले ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की राष्ट्रीय पहचान के निर्माण में जनजातीय धरोहर का महत्व अत्यधिक है। उन्होंने कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम का संकल्प एक सक्षम, स्वाभिमानी और आत्मनिर्भर जनजातीय समाज का निर्माण करना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि विकास कार्य ऐसे होने चाहिए जो जनजातीय समाज को सशक्त बनाएं, न कि उन्हें विस्थापित करें। उन्होंने यह भी कहा कि जनजातीय समाज को सिर्फ संग्रहालय की वस्तु नहीं, बल्कि एक जीवंत संस्कृति के रूप में देखा जाना चाहिए।
इस समारोह में पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि जी महाराज ने आशीर्वचन दिए और इस पहल को जनजातीय समाज और पूरे राष्ट्र के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि प्रकृति की कीमत पर होने वाला विकास वास्तव में विनाश है। आयोजकों ने बताया कि यह भवन जनजातीय ज्ञान परंपराओं को संरक्षित करने के साथ ही युवा नेतृत्व के प्रशिक्षण और जनजागरण कार्यक्रमों का केंद्र बनेगा। यह पहल विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि देश भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहा है।
 
			