भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में 15 अगस्त 2025 को, लाल किले से दिए गए अपने भाषण में, भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने घोषणा की कि –
“आज, मैं राष्ट्र को एक गंभीर चिंता और चुनौती के बारे में चेतावनी देना चाहता हूँ । एक सोची-समझी साजिश के हिस्से के रूप में, देश की जनसांख्यिकी (demography) को बदलने का प्रयास किया जा रहा है। एक नये संकट के बीज बोए जा रहे हैं। घुसपैठिए हमारे युवाओं की आजीविका छीन रहे हैं। ये घुसपैठिए हमारी बहनों और बेटियों को निशाना बना रहे हैं। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ये घुसपैठिए निर्दोष आदिवासियों को गुमराह कर रहे हैं और उनकी जमीनें हड़प रहे हैं। राष्ट्र इसे सहन नहीं करेगा। जब जनसांख्यिकीय परिवर्तन होता है, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संकट पैदा करता है। यह देश की एकता, अखंडता और प्रगति को खतरा पहुँचाता है। यह सामाजिक तनाव के बीज बोता है। कोई देश खुद को घुसपैठियों के हवाले नहीं कर सकता। दुनिया का कोई राष्ट्र ऐसा नहीं करता – तो हम भारत को कैसे ऐसा करने दें? हमारे पूर्वजों ने बलिदान देकर स्वतंत्रता प्राप्त की; उन्होंने हमें एक स्वतंत्र भारत दिया। उन महान आत्माओं के प्रति हमारा कर्तव्य है कि हम अपने राष्ट्र के भीतर ऐसे कुकृत्यों को स्वीकार न करें। यह हमारे हजारों स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इसलिए, आज लाल किले के प्राचीर से मैं घोषणा करता हूं कि हमने एक उच्च-शक्ति जनसांख्यिकी मिशन शुरू करने का निर्णय लिया है। इस मिशन के माध्यम से, भारत पर मंडरा रहे गंभीर संकट को सोच-समझकर और समयबद्ध तरीके से संबोधित किया जाएगा। हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।”
जब प्रधानमंत्री राष्ट्र को अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में ऐसा भाषण देते हैं, तो देश के नागरिकों को मामले की गंभीरता को समझना चाहिए! चिंतन करें। अपना मानसिकता बदलें। और उसके अनुसार कार्य करें। भारत की जनसांख्यिकी बहुत तेजी से बदल रही है, जिसमें हिंदू आबादी तेजी से घट रही है। 2024 में प्रकाशित अध्ययन “Share of Religious Minorities – A Cross-Country Analysis (1950-2015)” जिसका नेतृत्व डॉ. शमिका रवि, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) की सदस्य द्वारा किया गया था, के अनुसार भारत में बहुसंख्यक हिंदू और ‘अल्पसंख्यक’ मुस्लिम आबादी, 65 वर्षों (1950-2015) की अवधि में निम्नानुसार बदल गई:
हिंदू – 84.68% से घटकर 78.06% (घटाव की दर 7.82%)
मुस्लिम – 9.84% से बढ़कर 14.09% (वृद्धि की दर 43.15%)
“भारत ने बहुसंख्यक आबादी में सबसे बड़ी गिरावट (7.82 प्रतिशत) देखी है”
2011 की जनगणना के अनुसार, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय में ईसाई आबादी 70% से भी अधिक थी। कई अन्य राज्यों में जैसे लक्षद्वीप, जम्मू और कश्मीर, केरल, असम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड आदि में मुस्लिम एक बहुसंख्यक हिस्सा हैं।
जुलाई 2025 में, उत्तर प्रदेश के बलरामपुर के जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा का रैकेट, जो अवैध सामूहिक धर्मांतरण का कथित मास्टरमाइंड था, उजागर हुआ और उसे गिरफ्तार किया गया। इस अवैध धर्मांतरण बाबा ने विदेश (मध्य पूर्व के इस्लामी देशों) से कई सौ करोड़ रुपये प्राप्त करने और विभिन्न अन्य स्रोतों से दान प्राप्त करने की बात स्वीकार की। वह भारत के 600 जिलों में अपना नेटवर्क होने का आरोपित है, जिनमें उसने लगभग 5,000 मुस्लिम लड़कों की सेना बनाई थी, लव-जिहाद के लिए !! इन 5,000 लड़कों का काम है – स्कूल-कॉलेजों, कार्यालयों के आस-पास घूमना, हिंदू लड़कियों को लव-जिहाद (प्रेमजाल) के जाल में फँसाने साना, प्रत्येक मुस्लिम लड़के को कई हिंदू लड़कियों से बलात्कार करना, उन्हें गर्भवती बनाना और उन्हें इस्लाम में परिवर्तित करना। कहने की आवश्यकता नहीं कि यह भारत में एकमात्र जमालुद्दीन नहीं है, न जाने प्रत्येक जिले में कितने और धर्मांतरण बाबा अभी भी सक्रिय हैं! संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि कई प्रभावशाली लोग भी इस नेक्सस से जुड़े हों! इस नेक्सस के कारण, सरकार के चाहने पर भी तंत्र को साफ करना मुश्किल हो जाता है। और यह सब क्यों हो रहा है? क्योंकि हमारे देश में, ऐसे अवैध धर्मांतरण गिरोहियों से निपटने के लिए कोई सख्त कानून नहीं है और अदालती प्रक्रियाएँ बहुत लंबी हैं!
जब तक अपराधियों में कानून का डर नहीं होगा, तब तक हमारा भारत और उसके नागरिक सुरक्षित नहीं रह सकते।
प्रति दिन हजारों हिंदू बेटियां लव जिहाद की शिकार हो जाती हैं, लाखों हिंदू बहनें और बेटियां प्रति वर्ष गायब हो जाती हैं, हजारों हिंदू परिवार अन्य धर्मों में परिवर्तित हो रहे हैं। बच्चों को जन्म देने के लिए भी फंडिंग प्रदान की जा रही है – गैर-हिंदू बच्चे को जन्म देने के लिए 2-3 लाख रुपये प्रदान करना। 10 मुस्लिम बच्चों को जन्म दो, 20-30 लाख रुपये प्राप्त करो। छांगुर द्वारा ब्राह्मण, जैन, अग्रवाल, माहेश्वरी, सिख, यादव, पटेल, कुशवाहा, OBC, SC, ST, दलित बेटियों को इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए कई लाख रुपये की दर तय की गई थी। अगर एक मुस्लिम लड़का एक वर्ष में दो हिंदू लड़कियों को भी लव -जिहाद में फंसा ले, तो वह प्रति वर्ष 30 लाख रुपये कमाता है। हर वर्ष, कई हजार करोड़ रुपये विदेशी देशों से भारत को नष्ट/तबाह करने के लिए आते हैं, धर्म परिवर्तन के लिए। और यह पैसा एफसीआरए (FCRA – Foreign Contribution Regulation Act) में खामियों के कारण आ रहा है। जब तक FCRA को अधिक सख्त नहीं बनाया जाता, संशोधित नहीं किया जाता, तब तक लव-जिहाद, अवैध/बलपूर्वक धर्मांतरण जैसी गतिविधियों के लिए विदेशी फंडिंग नहीं रुकेगी।
धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार अन्य धर्म के लोगों को परिवर्तित करने का मौलिक अधिकार शामिल नहीं करता
समाज के कमजोर वर्गों सहित महिलाओं और आर्थिक तथा सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए, और अवैध/बलपूर्वक धर्मांतरण के नियंत्रण के लिए, सख़्त कानूनों की आवश्यकता हैं। विभिन्न साधनों (प्रलोभन, उपहार-जाल, धोखा, दान) से अवैध/बलपूर्वक धर्मांतरण,
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता), 21 (जीवन और स्वतंत्रता), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है।
भारत में जनसांख्यिकीय असंतुलन (demographic imbalance) के पीछे कुछ कारण हैं – पड़ोसी देशों से मुस्लिम अवैध आप्रवासी और उनमें जनसंख्या विस्फोट, हिंदू आबादी का इस्लाम और ईसाई धर्म में बलपूर्वक/अवैध धर्मांतरण, लव जिहाद, लैंड जिहाद और नशीली दवाओं का दुरुपयोग (युवा नपुंसक हो रहे हैं और नशीली दवाओं के व्यवसाय से प्राप्त धन छांगुर जैसे लोगों द्वारा उपयोग किया जा रहा है)। एक समग्र बहु-आयामी समाधान के रूप में,
कानूनों में परिवर्तन, न्यायिक प्रणाली तथा प्रशासनिक सुधार, पुलिस तंत्र में सुधार, लोगों की मानसिकता में परिवर्तन
की आवश्यकता है। छांगुर जैसे लोग भारत में अपनी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियां कैसे चला सकते हैं? उनका इकोसिस्टम क्या है? कौन उनकी गतिविधियों को सुविधाजनक बनाता है? ऐसे लोगों को रोकने और उन्हें कठोर दंड देने के लिए अभी भी कोई कानून क्यों नहीं है? हिंदू स्वयं इन लोगों के कुकर्मों के भागीदार क्यों बन जाते हैं? सिर्फ कुछ पैसे के लिए वे अपनी आत्मा बेच देते हैं? ये ऐसे प्रश्न हैं जो हर भारतीय को आज पूछने चाहिए।
सख्त/संशोधित FCRA – तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1976 में आपातकाल के दौरान FCRA प्रस्तुत किया। पश्चिमी देशों (ईसाई धर्म में परिवर्तन के लिए) और खाड़ी (इस्लाम में परिवर्तन के लिए) से भारत में भारी फंडिंग FCRA के माध्यम से आ रही है। 2024 के रिकॉर्ड के अनुसार, भारत सरकार ने कहा कि कई NGO कथित अवैध धर्मांतरण गतिविधियों में शामिल थी । पहली बार, भारत के गृह मंत्रालय ने भारत में काम करने वाले कुछ गैर-सरकारी संगठनों (NGOs ) की विदेशी फंडिंग को ब्लॉक करने के कारण सूचीबद्ध किए – विरोध प्रदर्शनों को उकसाना, बलपूर्वक/अवैध धर्मांतरण और एंटी-डेवलपमेंट माने जाने वाली गतिविधियों में भाग लेना। कई NGOs के लाइसेंस को नवीनीकरण से इनकार किया गया क्योंकि यह “सार्वजनिक हित” और “धार्मिक, जातीय, सामाजिक, भाषाई, क्षेत्रीय समूहों, जातियों या समुदायों के बीच सदभाव” को प्रभावित करेगा। FCRA को नवीन संशोधनों और सख्त बनाने की आवश्यकता है ताकि अवैध और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियां रोकी जा सकें जो राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करती हैं।
केंद्रीय एंटी-कन्वर्जन कानून – भारत में बलपूर्वक/अवैध धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने वाला कोई केंद्रीय कानून नहीं है। भारतीय संविधान, विशेष रूप से सातवीं अनुसूची, “सार्वजनिक व्यवस्था” और “पुलिस” को राज्य विषयों के रूप में स्थापित करती है । इसलिए, “धर्मांतरण के आंकड़े केंद्रीय रूप से नहीं रखे जाते,” जैसा कि केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दिसंबर 2021 में लोकसभा में कहा था। हालांकि, कई राज्यों ने बलपूर्वक/अवैध धर्मांतरण को प्रतिबंधित करने के लिए अपने स्वयं के कानून बनाए हैं। कम से कम 10 भारतीय राज्य, जिनमें अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, झारखंड और ओडिशा शामिल हैं, में कानून हैं जो बल, धोखा, प्रलोभन या लालच से बलपूर्वक/अवैध धर्मांतरण को प्रतिबंधित करते हैं। इन कानूनों में अक्सर व्यक्तियों को धर्मांतरण से पहले जिला अधिकारियों को सूचित करने की आवश्यकता होती है (lawchakra.in)। यूपी में राज्य सरकार जिहादियों के खिलाफ NSA (UAPA) का उपयोग कर रही है, अन्य राज्यों में यह क्यों नहीं किया जा सकता? बलपूर्वक/अवैध धर्मांतरण पूरे भारत में हो रहे हैं, इसलिए इनके खिलाफ कानून केंद्रीय सरकार द्वारा बनाया जाना चाहिए, पूरे देश में समान कार्यान्वयन के लिए। भारतीय संविधान का
अनुच्छेद 25 विवेक की स्वतंत्रता और धर्म को स्वतंत्र रूप से मानने, अभ्यास करने और प्रचार करने का अधिकार सुनिश्चित करता है। हालांकि, यह अधिकार सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले फैसलों में कहा है कि “धर्म प्रचार” करने का अधिकार दूसरों को जबरदस्ती या धोखे से परिवर्तित करने का अधिकार नहीं देता ।
समुदाय सेवा: जमीनी स्तर पर काम – शिक्षा और स्वास्थ्य, दो “जादुई शब्द” हैं – अगर हिंदू इन दो बुनियादी सुविधाओं को जन जन तक पहुँचा सके, तो मिशनरी गायब हो जायेंगी। हमें पिछड़े वर्ग, कमजोर वर्गों जैसे दलितों, SC, ST, जनजाति (आदिवासी) लोगों, और महिलाओं/विधवाओं को सशक्त बनाना चाहिए, जोकि कमजोर वर्ग हैं। उनमें से कई तक अभी भी जीवन की बुनियादी सुविधाओं जैसे शिक्षा और स्वास्थ्य की पहुँच नहीं है और इसीलिए वे धर्मांतरण के शिकार हो जाते हैं। उनके उत्थान के लिए, हमें जमीनी स्तर पर अधिक काम की आवश्यकता है – हिंदुओं द्वारा हिंदुओं के लिए नियमित रूप से समुदाय सेवा की आवश्यकता है, समुदायों में जाना और उनकी समस्याओं का समाधान करना। समुदाय सेवा को स्कूल से ही पाठ्यक्रम में लाया जा सकता है। पिछड़े वर्ग, कमजोर, वंचित वर्गों से संबंधित लोग ही हिंदुत्व और भारत को बचा सकते हैं।
जनसांख्यिकीय असंतुलन से लड़ने का एक संभावित दिशानिर्देश (रोडमैप), जो एक सामान्य भारतीय (नागरिक) के मन-मस्तिष्क में आ सकता है:
• लोगों की मानसिकता बदलनी होगी – हिंदुओं को जाति, भाषा, आदिवासी/गैर-आदिवासी आदि के विभाजनों के खिलाफ एकजुट होना ही होगा । अपने अस्तित्व को बचाने की इच्छा शक्ति अपने भीतर से आनी होगी – समाज को जागना और उठना होगा उसके लिए। सरकारें अकेले सब कुछ नहीं कर सकतीं! सरकार केवल प्रक्रियात्मक कदम उठा सकती है; ठोस, जमीनी स्तर पर कार्रवाई जन मानस को ही करनी होगी। जब समाज जागता है और ठोस कदम उठाता है, तो कोई भी असंभव मिशन पूरा किया जा सकता है!
• सख्त/संशोधित FCRA – गृह मंत्रालय (MHA) को FCRA को अधिक सख्त बनाना चाहिए, और इसमें आवश्यक संशोधन लाने चाहिए। विदेशी देशों से आने वाले धन के स्रोत पर सख्त निगरानी रखी जाए । भारत में इस धन का उपयोग कहाँ और कैसे हो रहा है, इस पर कड़ी निगरानी रखी जाये। इन मुद्दों को न्यायपालिका, राजनीतिक, कार्यकारी स्तर पर कार्रवाई के स्तर पर लाना चाहिए। यदि अवैध धार्मिक रूपांतरण और लव-जिहाद के लिए फंडिंग रुक जाती है, तो ये गतिविधियां स्वयं ही रुक जाएँगी । अति शीघ्र।
• केंद्रीय एंटी-कन्वर्जन कानून – बलपूर्वक धार्मिक रूपांतरण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, और इस खतरे से लड़ने के लिए, एंटी-कन्वर्जन कानून केंद्रीय सरकार के स्तर पर आवश्यक है, यह केवल राज्य सरकार का मामला नहीं हो सकता।
• कड़े क़ानून – छांगुर जैसे लोगों, और जो लोग लव जिहाद और हिंदू बेटियों से बलात्कार के दोषी पाए जाते हैं, उनसे निपटने के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए। हमारी पीड़ित बेटियां उस दोषी पुरुष के घरों के अंदर कई सामूहिक बलात्कारों से पीड़ित होती हैं, अमानवीय स्थितियों में बंद रखी जाती हैं और मानसिक/शारीरिक/यौन यातनाओं का सामना करती हैं। वे हमारी बेटियों के साथ ऐसे पशु-समान कृत्य कैसे कर सकते हैं? केवल कानून का डर ही ऐसे जघन्य कृत्यों पर अंकुश लगा सकता है।
• सरकारी सुविधाएँ और कल्याण योजना केवल दो बच्चों वाले परिवार तक सीमित हों ।
• अवैध प्रवासियों के मतदान अधिकारों को रोका जाना चाहिए। NRC को पूरे भारत में सख्ती से लागू किया जाना चाहिए और उस प्रक्रिया में, भ्रष्ट तरीकों से, अवैध रूप से प्राप्त आधार कार्ड की मान्यता को समाप्त किया जाए। ध्यान दें कि भारत के संविधान के अनुसार, केवल नागरिकों को मतदान अधिकार हो सकता है, और आधार कार्ड नागरिकता की गारंटी नहीं देता, यह केवल एक पहचान पत्र है। ECI (भारत निर्वाचन आयोग) द्वारा चुनाव से पहले मतदाता सूचियों का SIR (विशेष गहन संशोधन) अवैध मतदाताओं की पहचान के लिए आवश्यक है।
• दलितों, SC/ST, जनजाति (आदिवासी) और अन्य वंचित वर्गों को अपनाएँ , सशक्त बनाएँ । उनके लिए जीवन की बुनियादी सुविधाओं में सुधार करें – जैसे अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अवसर।
• सभी समुदायों और धर्मों पर समान रूप से लागू जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम बनाया जाये।
सीमा पर भ्रष्टाचार को रोकने और अवैध आप्रवासी को रोकने के और प्रयास किए जायें। अवैध आप्रवासी नदी पार करके भी सीमा पार कर भारत में प्रवेश करते हैं। लोगों को भूमि के अवैध अतिक्रमण के बारे में सतर्क रहना चाहिए और ऐसे मामलों की तुरंत संबंधित अधिकारियों को रिपोर्ट करनी चाहिए।
जब तक भारत में हिंदू बहुमत है, तब तक भारत का संविधान, लोकतंत्र और स्वतंत्रता बचे रहेंगे। यह धर्म-युद्ध है, और हमें इसे जीतना है। केवल हिंदुत्व और हजारों वर्ष पुराना सनातन धर्म ही मानवता को बचा सकता है और पूरे विश्व को कल्याण, सह-अस्तित्व और ज्ञानोदय का मार्ग दिखा सकता है। इसलिए भारत में हिंदू को बहुमत के रूप में सरंक्षित रखना ही होगा, और इस यज्ञ में हम सबको योगदान करना हमारा धर्म है।