मोदी का जवाब : ट्रंप की धमकियां  और झूठे दावे भारत के सामने हुए बेअसर

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पूनम शर्मा
अमेरिका और भारत के रिश्तों में इन दिनों जिस तरह की हलचलें देखने को मिल रही हैं, उसने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार यह दावा किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की, पाकिस्तान को धमकाया और कुछ ही घंटों में भारत-पाक तनाव खत्म करवा दिया। मगर हकीकत इसके उलट है। भारत सरकार के आधिकारिक बयानों से साफ हो गया कि ट्रंप का यह दावा पूरी तरह झूठ था।

ट्रंप की रहस्यमयी बीमारी और अजीब दावे

ट्रंप की हाल की तस्वीरों में उनके हाथ पर काला धब्बा दिखाई दिया, जिसके बाद उनकी रहस्यमयी बीमारी की चर्चा तेज हो गई। व्हाइट हाउस ने माना कि उन्हें क्रॉनिक वेन्स इनसफिशिएंसी की समस्या है, जिससे पैरों और हाथों में सूजन रहती है। ऐसे समय में जब अमेरिकी राष्ट्रपति की सेहत सवालों के घेरे में है, उनकी लगातार झूठी बयानबाज़ी ने अमेरिकी मीडिया और गवर्नरों तक को परेशान कर दिया। कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूज़म ने यहां तक कह डाला कि ट्रंप 42 बार झूठ बोल चुके हैं।

मोदी पर ट्रंप का झूठा बयान

सबसे बड़ा विवाद तब खड़ा हुआ जब ट्रंप ने कहा कि उन्होंने मोदी से फोन पर बात की, पाकिस्तान को धमकी दी और पांच घंटे में मसला सुलझा दिया। हकीकत यह है कि 22 अप्रैल से 16 जून तक प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। खुद मोदी ने संसद में बयान देकर साफ कहा कि 9 तारीख की रात उन्हें अमेरिकी उपराष्ट्रपति का फोन आया था, न कि ट्रंप का। यानी ट्रंप ने पूरी दुनिया के सामने झूठ गढ़ा।

जर्मन अखबार का खुलासा

जर्मनी के प्रतिष्ठित अखबार FAZ ने हाल ही में बड़ा खुलासा किया कि ट्रंप ने चार बार मोदी को फोन किया, लेकिन मोदी ने कॉल रिसीव तक नहीं किया। अखबार ने लिखा कि अमेरिका की तमाम धमकियों और दबाव के बावजूद भारत झुका नहीं। मोदी ने घरेलू उद्योग और किसानों के हितों को सर्वोपरि रखा और अमेरिकी दबाव में कोई समझौता करने से इनकार कर दिया। रिपोर्ट का शीर्षक ही था – “Trump calls, Modi doesn’t answer” यानी ट्रंप कॉल करते रहे, मोदी ने जवाब नहीं दिया।

भारत की मज़बूत रणनीति

अखबार ने यह भी लिखा कि भारत का यह रुख दक्षिण एशिया में उसकी बढ़ती ताकत को दिखाता है। अमेरिका एशिया में चीन की चुनौती से निपटने के लिए भारत को अहम मानता है, लेकिन भारत अब किसी दबाव में नहीं आना चाहता। मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि अमेरिका हो या यूरोप – भारत केवल अपने राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर ही फैसले करेगा।

अमेरिका का झुकता रुख

हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50% तक टैरिफ लगा दिया, जिससे भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्ते और तनावपूर्ण हो गए। लेकिन हैरानी की बात यह है कि अमेरिका अब खुद भारत के सामने झुकता दिखाई दे रहा है। भारत ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत रद्द कर दी और कहा कि समझौता तभी होगा जब शर्तें बराबरी की हों। यही वजह है कि अमेरिका में भी मीडिया और नेता यह मानने लगे हैं कि ट्रंप की धमकी की रणनीति भारत पर बेअसर हो चुकी है।

मोदी का करारा   जवाब

मोदी का एक बयान संसद में खूब चर्चा में रहा जब उन्होंने कहा कि “अगर पाकिस्तान हमला करेगा तो उसे बहुत महँगा  पड़ेगा।” यह बयान ट्रंप के झूठे दावों के ठीक उलट था और साबित करता था कि भारत अपनी सुरक्षा और विदेश नीति में पूरी तरह आत्मनिर्भर है। दरअसल, मोदी ने ट्रंप को सीधे शब्दों में करारा तमाचा जड़ दिया – न कॉल रिसीव करके, न झूठे मध्यस्थता के दावों पर ध्यान देकर।

नतीजा : बदलता वैश्विक समीकरण

ट्रंप के झूठ और धमकियों ने अमेरिका की साख को झटका दिया है। वहीं, मोदी ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत अब किसी दबाव में झुकने वाला नहीं। यह घटना केवल एक कूटनीतिक विवाद नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती वैश्विक ताकत और आत्मविश्वास का प्रतीक है। आज जब अमेरिका खुद अपने आंतरिक संकटों और राष्ट्रपति की बीमारी से जूझ रहा है, भारत मज़बूती से दुनिया में अपनी अलग पहचान गढ़ रहा है।

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