कैसे मोदी ने ट्रंप के 50% टैरिफ को बना दिया वैश्विक व्यापार का अवसर

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पूनम शर्मा
जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% तक का अभूतपूर्व टैरिफ लगाया, तो व्हाइट हाउस को भरोसा था कि नई दिल्ली दबाव में झुक जाएगी। लेकिन हुआ इसके बिल्कुल उल्टा। भारत ने 24 घंटे के भीतर ही पलटवार करते हुए अपनी पूरी सप्लाई लाइन रूस, चीन, जापान और 15 से ज्यादा देशों की ओर मोड़ दी और अमेरिका को पूरी तरह अलग-थलग कर दिया।

यह कोई अचानक लिया गया कदम नहीं था, बल्कि मोदी सरकार की पहले से तय की गई रणनीति थी। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अंदेशा था कि ट्रंप भारत पर भारी टैरिफ का हथियार चलाएँगे। इसलिए वैकल्पिक बाज़ार पहले ही तैयार कर लिए गए थे। जिस हथियार से ट्रंप भारत को कमजोर करना चाहते थे, उसी ने भारत के लिए नए दरवाजे खोल दिए और अमेरिका को वैश्विक मंच पर असहज बना दिया।

व्हाइट हाउस में झटका

जर्मनी की एक बड़ी रिपोर्ट के अनुसार, टैरिफ लगाने के बाद ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को चार बार फ़ोन किया। लेकिन मोदी ने एक बार भी कॉल रिसीव नहीं किया। यह पहली बार था जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति को इस तरह का अपमान झेलना पड़ा।

अमेरिका को लगा था कि भारत बातचीत की भीख मांगेगा, लेकिन भारत ने सीधा संदेश दिया—हम झुकने वाले नहीं हैं। यही कारण है कि अब व्हाइट हाउस में अफरा-तफरी का माहौल है। अमेरिकी कंपनियां और आम जनता खुद ट्रंप की नीति के खिलाफ सड़क पर उतर आई हैं।

भारत के साथ खड़ा हुआ विश्व

भारत के इस साहसिक कदम को वैश्विक समर्थन भी मिलने लगा है। ब्रिटेन, जापान और यूरोप के कई देशों समेत 15 से अधिक देशों ने भारत से कहा कि जो सामान वह पहले अमेरिका को बेचता था, वही हमें बेचो—हमारे दरवाजे भारत के लिए खुले हैं।

सबसे बड़ा झटका अमेरिका को तब लगा जब नाटो ने ऐलान किया कि वह अब अमेरिका के एकतरफा प्रतिबंधों या टैरिफ का समर्थन नहीं करेगा। यह वही नाटो है जो कभी वाशिंगटन के इशारे पर युद्ध में कूद जाता था। लेकिन अब परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं। दुनिया मान रही है कि भारत ही भविष्य की असली शक्ति है।

मोदी की आर्थिक चाल

मोदी सरकार ने केवल अमेरिकी दबाव का सामना नहीं किया, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर शानदार चाल चली। भारत ने ऐलान किया कि रोज़मर्रा की वस्तुएँ—खाद्य सामग्री, कपड़े और ऊर्जा—अब सस्ती होंगी। यानी अमेरिकी टैरिफ से आम भारतीय जनता को कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

भारत का फार्मा सेक्टर अमेरिका के लिए बेहद अहम है। यही वजह है कि ट्रंप ने दवाओं पर टैरिफ नहीं लगाया। लेकिन भारत ने अब साफ कर दिया है कि वह दवाओं की सप्लाई रूस, चीन और यूरोप की ओर बढ़ाएगा। इससे अमेरिका की दवा व्यवस्था भारत के हाथों में बंधक बन सकती है।

उल्टा पड़ा अमेरिकी दांव

ट्रंप को भरोसा था कि दो चरणों में लगाए गए टैरिफ (पहले 25% और फिर 25% अतिरिक्त) भारत को झुका देंगे। लेकिन भारत ने इसका जवाब वैकल्पिक बाज़ार बनाकर दिया। अमेरिका भारत को अलग-थलग करना चाहता था, लेकिन अब खुद ही दुनिया से कटता जा रहा है।

अमेरिकी कंपनियों को भी भारी नुकसान हुआ है। ट्रंप ने सोचा था कि भारतीय किसानों और छोटे उद्योगों को तोड़कर अमेरिकी कृषि कंपनियों को बाज़ार दिलाया जाएगा। लेकिन मोदी ने साफ कर दिया—भारत अपने किसानों और लघु उद्योगों से समझौता नहीं करेगा।

भारत की नई व्यापारिक दिशा

गुजरात और महाराष्ट्र के बंदरगाहों से अब रोज़ाना हज़ारों कंटेनर यूरोप और एशिया की ओर रवाना हो रहे हैं। मसाले, समुद्री उत्पाद, पेट्रोलियम, टेक्सटाइल और दवाएँ अब सीधे नए बाज़ारों तक पहुँच रही हैं।

इसी बीच, ऐप्पल और सैमसंग जैसी दिग्गज कंपनियाँ भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग बेस बढ़ा रही हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात से “मेड इन इंडिया” मारुति सुज़ुकी इलेक्ट्रिक कार को हरी झंडी दिखाई, जिसकी बिक्री 100 से ज्यादा देशों में होगी। यह भारत के ऑटो सेक्टर के लिए ऐतिहासिक कदम है।

अमेरिकी दबदबे का अंत?

ट्रंप का सबसे बड़ा भ्रम यही था कि अमेरिका की आर्थिक ताकत से भारत झुक जाएगा। लेकिन अब तस्वीर बिल्कुल बदल चुकी है। नाटो तक ने साफ कर दिया है कि वह अमेरिका की हर बात पर आँख मूंदकर साथ नहीं देगा।

भारत की रणनीति और आत्मविश्वास ने यह साबित कर दिया है कि नया भारत किसी भी तथाकथित सुपरपावर के सामने झुकने वाला नहीं है। अमेरिका की “दादागीरी” का दौर खत्म हो रहा है और भारत अब वैश्विक व्यापार का नया ध्रुव बनकर उभर रहा है।

निष्कर्ष: नया भारत, नई ताकत

अंततः, ट्रंप के 50% टैरिफ अमेरिका के लिए आत्मघाती साबित हो रहे हैं। भारत न सिर्फ़ बचा है बल्कि और मज़बूत होकर उभरा है। मोदी का साफ संदेश है—यह नया भारत है, जो दबाव में झुकेगा नहीं।

जो टैरिफ भारत को कमजोर करने के लिए लगाए गए थे, उन्होंने ही अमेरिका की वैश्विक साख को कमजोर कर दिया। दुनिया अब भारत की तरफ़ देख रही है और अमेरिका धीरे-धीरे हाशिये पर जा रहा है।

भारत ने दिखा दिया है कि जब 140 करोड़ लोग आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान की भावना के साथ खड़े होते हैं, तो दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें झुका नहीं सकती।

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