- असम के धुबरी जिले में ‘देखते ही गोली मारने’ का आदेश दुर्गा पूजा तक लागू रहेगा, जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने की है।
- यह आदेश जून में बकरीद के बाद हुए सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं के बाद लगाया गया था।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा चिंताओं और जिले में शांति बनाए रखने के लिए एहतियाती तौर पर उठाया गया है।
समग्र समाचार सेवा
गुवाहाटी, 28 अगस्त, 2025: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने घोषणा की है कि धुबरी जिले में लागू “देखते ही गोली मारने” का आदेश आगामी दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान भी जारी रहेगा। यह आदेश, जो जून से लागू है, जिले में सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए एक एहतियाती उपाय के रूप में जारी किया गया है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि हालांकि फिलहाल जिले में कोई अशांति या हिंसा की घटना नहीं हुई है, लेकिन किसी भी प्रकार के उपद्रव को रोकने के लिए यह निर्देश प्रभावी रहेगा।
जून में क्यों लागू हुआ था यह आदेश?
यह आदेश पहली बार 13 जून को धुबरी में सांप्रदायिक तनाव बढ़ने के बाद लगाया गया था। यह तनाव बकरीद के बाद हनुमान मंदिर के पास गोमांस फेंके जाने की घटना से शुरू हुआ था। इस घटना के बाद, हालांकि दोनों समुदायों के नेताओं ने शांति की अपील की, लेकिन तनाव और बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप पथराव और हिंसा की घटनाएं हुईं। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने उस समय कहा था कि उनकी सरकार धार्मिक स्थलों का अपमान करने वालों के प्रति ‘जीरो-टॉलरेंस’ की नीति अपनाएगी। इस घटना के बाद 150 से अधिक असामाजिक तत्वों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से कई दूसरे राज्यों से थे।
बॉर्डर पर सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं
मुख्यमंत्री सरमा ने दुर्गा पूजा के दौरान आदेश को जारी रखने के पीछे की वजह भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा को लेकर नई चिंताओं को बताया। उन्होंने कहा कि धुबरी और दक्षिण सालमारा जैसे सीमावर्ती जिले संवेदनशील हैं और यहां किसी भी तरह की अशांति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सनातन धर्म के अनुयायी, जो धुबरी में अल्पसंख्यक हैं, उनकी सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस की जांच में यह सामने आया है कि इलाके के कुछ लोगों को बांग्लादेश से धमकी भरे फोन कॉल आ रहे थे, जो एक और चिंता का विषय है।
कदम पर उठे सवाल, विपक्ष ने बताया राजनीतिक
मुख्यमंत्री के इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ स्थानीय मुस्लिम और हिंदू नेताओं ने इस कदम की आलोचना की है। उनका कहना है कि धुबरी हमेशा से धार्मिक सौहार्द का प्रतीक रहा है और यहां दुर्गा पूजा हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से मनाई जाती है। इन नेताओं ने कहा कि इस तरह के कड़े आदेश अनावश्यक हैं और समुदायों के बीच अविश्वास पैदा कर सकते हैं। उनका आरोप है कि यह फैसला 2026 में होने वाले चुनावों से पहले हिंदू-मुस्लिम समुदायों को विभाजित करने की एक राजनीतिक कोशिश है। हालांकि, मुख्यमंत्री ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनका एकमात्र लक्ष्य राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखना है और किसी भी सांप्रदायिक शक्ति को शांति भंग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।