नंदीग्राम में बीजेपी का चला जादू, सहकारी चुनाव में TMC को 12-0 से हराया
सहकारी चुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत से बीजेपी उत्साहित, टीएमसी के लिए खतरे की घंटी।
- पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में सहकारी समिति चुनाव में बीजेपी समर्थित पैनल ने 12-0 से बड़ी जीत हासिल की है।
- इस जीत के बाद नंदीग्राम में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया, वहीं तृणमूल कांग्रेस के साथ राजनीतिक तनाव बढ़ गया है।
- यह जीत स्थानीय स्तर पर बीजेपी की बढ़ती पैठ को दर्शाती है और इसे 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
समग्र समाचार सेवा
नंदीग्राम, 27 अगस्त 2025: पश्चिम बंगाल की राजनीति का केंद्र माने जाने वाले नंदीग्राम में एक बार फिर बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिला है। नंदीग्राम की दीनबंधु सहकारी कृषि विकास सोसाइटी के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) समर्थित पैनल ने 12-0 से शानदार जीत दर्ज की है। इस एकतरफा जीत के बाद से जहां बीजेपी कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल है, वहीं इलाके में राजनीतिक तनाव भी बढ़ गया है। यह परिणाम इसलिए भी खास है क्योंकि यह उस नंदीग्राम में आया है, जहां 2021 के विधानसभा चुनावों में शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हराया था।
सहकारी समिति चुनाव में निर्विरोध जीत
यह जीत और भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि बीजेपी समर्थित पैनल के उम्मीदवारों ने यह जीत निर्विरोध हासिल की है। खबरों के अनुसार, चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस (TMC) के किसी भी उम्मीदवार ने इन 12 सीटों के लिए पर्चा दाखिल नहीं किया था, जिसके कारण बीजेपी समर्थकों को निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया गया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि टीएमसी का इन सीटों पर उम्मीदवार न उतारना यह दर्शाता है कि स्थानीय स्तर पर बीजेपी की पकड़ कितनी मजबूत हो चुकी है। यह जीत केवल एक सहकारी समिति के चुनाव तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे नंदीग्राम की राजनीति में शक्ति संतुलन के बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
जीत के बाद जश्न और तनाव का माहौल
जैसे ही बीजेपी की जीत की खबर सामने आई, नंदीग्राम में पार्टी कार्यकर्ताओं ने जमकर जश्न मनाया। ढोल-नगाड़े बजाए गए, रंग-गुलाल उड़ाया गया और जीत के नारे लगाए गए। बीजेपी के झंडों से पूरा इलाका पटा हुआ था। हालांकि, इस जश्न के बीच तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों के साथ तनाव भी बढ़ गया है। दोनों पार्टियों के बीच पहले से ही राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और झड़पें होती रही हैं। इस नई जीत ने दोनों पक्षों के बीच तनाव को और हवा दे दी है, जिससे आने वाले दिनों में और अधिक राजनीतिक खींचतान की संभावना है।
शुभेंदु अधिकारी की पकड़ मजबूत
इस जीत को बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी की नंदीग्राम में मजबूत होती पकड़ का भी संकेत माना जा रहा है। नंदीग्राम उनकी राजनीतिक कर्मभूमि रही है और विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को हराने के बाद से ही उन्होंने यहां अपनी स्थिति और मजबूत की है। यह सहकारी चुनाव परिणाम दिखाता है कि शुभेंदु अधिकारी का प्रभाव न केवल विधानसभा सीटों तक सीमित है, बल्कि स्थानीय स्तर पर भी उनकी पकड़ काफी मजबूत है। बीजेपी इस जीत को 2027 के आगामी विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़ा नैतिक जीत के रूप में देख रही है।
2027 के लिए बड़ा संकेत
नंदीग्राम का परिणाम पश्चिम बंगाल की राजनीति के लिए एक बड़ा संकेत हो सकता है। यह दिखाता है कि ग्रामीण और स्थानीय स्तर पर भी बीजेपी अपनी जड़ें जमा रही है। टीएमसी के लिए यह एक चेतावनी है कि उसे अपने गढ़ में भी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। यह परिणाम साबित करता है कि नंदीग्राम, जो कभी वामपंथी शासन के खिलाफ आंदोलन का केंद्र था, अब बीजेपी के लिए एक मजबूत गढ़ बन रहा है।