सलवा जुडूम पर रेड्डी बोले- ‘सर्वोच्च न्यायालय का फैसला’

उपराष्ट्रपति उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी ने सलवा जुडूम पर अमित शाह के बयान पर दी सधी हुई प्रतिक्रिया।

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  • उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी ने सलवा जुडूम पर अमित शाह की टिप्पणी पर सीधा जवाब देने से इनकार किया।
  • उन्होंने कहा कि सलवा जुडूम पर फैसला सर्वोच्च न्यायालय का था, उनका नहीं।
  • रेड्डी ने जातिगत जनगणना और संविधान की रक्षा के मुद्दों पर भी बात की।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23 अगस्त, 2025: उपराष्ट्रपति पद के विपक्षी उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सलवा जुडूम पर की गई आलोचना पर सावधानीपूर्वक प्रतिक्रिया दी है। रेड्डी ने स्पष्ट किया कि सलवा जुडूम को लेकर जो भी फैसला आया था, वह सर्वोच्च न्यायालय का था और वह इस मुद्दे पर गृह मंत्री के साथ वाद-विवाद में नहीं पड़ना चाहते। उन्होंने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को आपसी बातचीत में शिष्टता बनाए रखनी चाहिए। रेड्डी की यह टिप्पणी अमित शाह के उस बयान के बाद आई है, जिसमें शाह ने सलवा जुडूम को प्रतिबंधित करने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर सवाल उठाया था।

क्या था सलवा जुडूम पर अमित शाह का बयान?

हाल ही में एक कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह ने सलवा जुडूम को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय ने सलवा जुडूम जैसे कदम को प्रतिबंधित कर दिया, जिसके कारण छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई कमजोर पड़ गई। सलवा जुडूम एक नागरिक मिलिशिया थी, जिसे छत्तीसगढ़ सरकार ने 2005 में नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई के लिए बनाया था। इसमें स्थानीय युवाओं को हथियार दिए गए थे। हालांकि, मानवाधिकारों के उल्लंघन की शिकायतों के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 2011 में इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया था। शाह का यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया था।

रेड्डी की सधी हुई प्रतिक्रिया

अमित शाह की टिप्पणी के बाद जब सुदर्शन रेड्डी से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बहुत ही संतुलित जवाब दिया। उन्होंने कहा, “सर्वोच्च न्यायालय ने सलवा जुडूम पर फैसला सुनाया था, यह मेरा फैसला नहीं था। मैं एक संवैधानिक पद के लिए चुनाव लड़ रहा हूँ और इस तरह के मामले पर गृह मंत्री के साथ सार्वजनिक तौर पर बहस नहीं करना चाहता।” रेड्डी ने यह भी कहा कि अगर वे इस पद पर चुने जाते हैं तो उनका लक्ष्य भारतीय संविधान की रक्षा करना होगा, जिसके सिद्धांतों पर इस समय कई तरह के हमले हो रहे हैं। उन्होंने यह कहकर अपने रुख को स्पष्ट किया कि यह चुनाव दो व्यक्तियों के बीच नहीं, बल्कि दो अलग-अलग विचारधाराओं के बीच की लड़ाई है।

जातिगत जनगणना और संविधान की रक्षा पर जोर

सुदर्शन रेड्डी ने उपराष्ट्रपति चुनाव को एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया बताते हुए कहा कि उनकी उम्मीदवारी विविधता का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने कहा कि उनकी उम्मीदवारी को 64% से अधिक आबादी का समर्थन मिला है। उन्होंने जातिगत जनगणना की आवश्यकता पर भी जोर दिया, ताकि सामाजिक और आर्थिक नीतियों को बेहतर ढंग से तैयार किया जा सके। रेड्डी ने कहा कि यह जनगणना न केवल पिछड़े और कमजोर वर्गों को लाभ पहुँचाएगी, बल्कि देश के विकास में भी मददगार होगी। उन्होंने यह भी दोहराया कि उनका मुख्य ध्यान भारतीय संविधान की रक्षा करना है और वे हर कीमत पर इसकी अखंडता को बनाए रखने का प्रयास करेंगे।

चुनाव का बदलता समीकरण

सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी को विपक्षी दलों ने एकजुट होकर पेश किया है। वे एक अनुभवी राजनेता हैं जिन्होंने विभिन्न पदों पर काम किया है। उनकी प्रतिक्रिया, जिसमें उन्होंने सीधे टकराव से बचने की कोशिश की, एक परिपक्व राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। वे जानते हैं कि उपराष्ट्रपति का पद एक संवैधानिक पद है और उस पर रहते हुए उन्हें दलगत राजनीति से ऊपर उठना होगा। सलवा जुडूम पर उनके बयान ने यह संकेत दिया है कि वह एक संवैधानिक गरिमा के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं, न कि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में उलझना।

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