अंतरिक्ष में भारत का ‘मिशन 100’: अगले 15 साल में 100 से ज्यादा सैटेलाइट लॉन्च करेगा ISRO

2040 तक इसरो की महायोजना: 100 से ज्यादा सैटेलाइट लॉन्च, अंतरिक्ष में छाने की तैयारी।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
  • इसरो अगले 15 वर्षों में 100 से अधिक सैटेलाइट लॉन्च करने की तैयारी में है, जो अंतरिक्ष में भारत की क्षमता को कई गुना बढ़ाएगा।
  • इन सैटेलाइट्स का उद्देश्य मुख्य रूप से पृथ्वी अवलोकन, नेविगेशन और संचार से जुड़ी देश की जरूरतों को पूरा करना है।
  • यह महत्वाकांक्षी योजना इसरो के ‘विजन 2047’ का हिस्सा है, जिसमें गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन जैसे बड़े मिशन भी शामिल हैं।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23 अगस्त 2025: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष की दुनिया में एक बड़ा एलान किया है। ‘लांचर किंग’ के रूप में अपनी पहचान बना चुका इसरो अब अंतरिक्ष में सैटेलाइट भेजने की अपनी रफ्तार को कई गुना बढ़ाने की तैयारी में है। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के मौके पर इसरो ने घोषणा की है कि वह अगले 15 वर्षों में 100 से अधिक उपग्रहों को लॉन्च करेगा। यह कदम भारत की बढ़ती हुई अंतरिक्ष जरूरतों को पूरा करने और दुनिया में अपनी अंतरिक्ष शक्ति को और मजबूत करने के लिए उठाया गया है।

क्यों है यह लक्ष्य इतना महत्वपूर्ण?

इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने बताया कि यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य पूरी तरह से भारत की आवश्यकताओं पर आधारित है। अब तक इसरो एक साल में औसतन 5 से 6 ही प्रक्षेपण कर पाता था। हालाँकि, साल 2016 में यह संख्या बढ़कर 9 तक पहुँची थी। अब 100 से अधिक सैटेलाइट लॉन्च करने का लक्ष्य यह दिखाता है कि भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। इन उपग्रहों का उपयोग मुख्य रूप से पृथ्वी अवलोकन, उपग्रह-आधारित संचार और नेविगेशन सेवाओं के लिए किया जाएगा। इनमें से लगभग 80 सैटेलाइट केवल भूमि-आधारित प्रयोगों के लिए होंगे, जबकि बाकी समुद्र और वायुमंडलीय अध्ययनों के लिए इस्तेमाल किए जाएँगे।

निजी क्षेत्र की भागीदारी पर जोर

इसरो की इस विशाल योजना को केवल सरकारी प्रयासों से पूरा करना संभव नहीं है। इसलिए इसरो ने स्वदेशीकरण और निजी क्षेत्र की भागीदारी पर जोर दिया है। इसरो का मानना है कि उभरते हुए निजी उद्योग इस मिशन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे। निजी कंपनियाँ रॉकेट और सैटेलाइट के निर्माण में इसरो की मदद करेंगी, जिससे प्रक्षेपण की लागत कम होगी और गति बढ़ेगी। यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत अंतरिक्ष क्षेत्र को एक नई दिशा देगा।

‘विजन 2047’ का रोडमैप: सिर्फ सैटेलाइट नहीं, और भी बहुत कुछ

100 सैटेलाइट्स को लॉन्च करने की यह योजना इसरो के ‘विजन 2047’ का एक हिस्सा है। इस रोडमैप में कई और बड़े मिशन भी शामिल हैं, जो भारत को अंतरिक्ष में एक महाशक्ति के रूप में स्थापित करेंगे:

गगनयान मिशन: भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के तहत तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को 2026 तक अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इससे पहले 2025 के अंत तक मानवरहित उड़ानें (G1, G2, G3) पूरी की जाएंगी।

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS): इसरो ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का मॉडल भी प्रदर्शित किया है। इस स्टेशन का पहला मॉड्यूल 2028 तक लॉन्च करने का लक्ष्य है, जबकि 2035 तक इसे पूरी तरह से तैयार कर लिया जाएगा।

चंद्रयान मिशन: चंद्रयान-3 की सफलता के बाद, 2028 में चंद्रयान-4 के तहत चंद्रमा की सतह से नमूने लाने का एक महत्वाकांक्षी मिशन है। इसके बाद, चंद्रयान-5, 6, 7 और 8 भी लॉन्च किए जाएँगे, जिसका अंतिम लक्ष्य 2040 तक भारतीय को चाँद पर भेजना है।

मंगल और शुक्र मिशन: इसरो ने मंगल ग्रह पर लैंडर मिशन और 2025 में शुक्र ग्रह के अध्ययन के लिए ‘शुक्रयान’ मिशन की भी योजना बनाई है।

इसरो के ये सभी मिशन न केवल भारत की तकनीकी क्षमता को दर्शाते हैं, बल्कि देश के भविष्य के विकास के लिए भी एक मजबूत नींव रखेंगे। 100 से अधिक सैटेलाइटों के साथ, भारत पृथ्वी पर संचार, मौसम और कृषि जैसे क्षेत्रों में अपनी स्थिति को और भी मजबूत कर पाएगा।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.