1. रिपोर्ट की मुख्य जानकारी और डेटा
Human Rights Congress for Bangladesh Minorities (HRCBM) की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2025 की पहली तिमाही में— अर्थात् जनवरी से मार्च की अवधि में— 342 बलात्कार की घटनाएँ दर्ज की गईं
इनमें से 87% पीड़ित लड़कियाँ थीं जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम थी, और इनमें 40 पीड़ित छह वर्ष या उससे भी कम उम्र की बच्चियाँ थीं
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अधिकांश मामलों में बलात्कार सामूहिक थे (gang rapes)
HRCBM ने यह चेतावनी भी दी है कि ये आंकड़े सिर्फ बरफ का शीर्ष हिस्सा हैं, और असली संख्या शायद कहीं अधिक हो, जो चुप्पी, डर और राज्य की निष्क्रियता के चलते छिपी हुई है।
2. अल्पसंख्यकों के खिलाफ संरचनात्मक असुरक्षा
रिपोर्ट विशेष रूप से यह उजागर करती है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों—हिंदू, ईसाई, बौद्ध—विशेष रूप से लड़कियों और महिलाओं—पर असमान रूप से यौन हिंसा हो रही है
ख़ासतौर पर अल्पसंख्यक परिवारों में न्याय प्रणाली और लोक प्रशासन द्वारा धार्मिक पूर्वाग्रह के चलते, यह विश्वास टूट गया है कि पीड़ितों को न्याय मिल सकेगा—जिसकी वजह से बहुत से मामले रिपोर्ट ही नहीं होते
3. सरकार की भूमिका और राजनीतिक संदर्भ
यह रिपोर्ट मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत जारी की गई है, जिसे HRCBM ने आंदोलनात्मक रूप से निष्क्रिय और उदासीन बताया है
दिसंबर 2024 में छपी एक रिपोर्ट में यह उजागर हुआ था कि यूनुस सरकार इस्लामवादी चरमपंथी समूहों—जैसे Hizb ut-Tahrir, Hefazat-e-Islam, Jamaat-e-Islami—के प्रभाव से प्रभावित हो सकती है । नया यौन अपराधी लहर इसी राजनीतिक वातावरण में उभरी है, जिससे सरकार की घोर जवाबदेही और प्रभावशीलता पर सवाल उठते हैं।
4. न्याय प्रणाली की चुनौतियाँ और सामाजिक भय
बांग्लादेश में “two-finger टेस्ट” जैसी पुरातन और अपमानजनक पद्धतियाँ अब न्याय प्रणाली से हटा दी गई हैं
, लेकिन पुराने दौर की पुलिस व न्यायिक मानसिकता और सामाजिक कलंक अब भी व्यापक रूप से प्रभावशाली हैं।
अल्पसंख्यक समुदाय के भीतर पुलिस में धार्मिक असहिष्णुता की आशंका और सामाजिक प्रतिष्ठा का डर—इन सब से पीड़ित और उनके परिवार रिपोर्ट करने से कतराते हैं।
कई मामलों में तनावपूर्ण निष्पक्षता और डर की वजह से की गई रिपोर्टिंग भी न्याय के स्तर तक नहीं पहुँच पाती।
5. PIL (Public Interest Litigation) की पहल
HRCBM ने बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट की उच्च न्यायालय भाग—High Court Division—में PIL दायर की है, जिसमें अल्पसंख्यक लड़कियों पर बढ़ते यौन अपराधों पर तत्काल न्यायिक जांच की मांग की गई है
इस PIL के माध्यम से, HRCBM संरचनात्मक सुधार, विशेष सुरक्षा उपाय और प्रणालीगत जवाबदेही की मांग कर रही है—एक हाई-पावर इंक्वायरी स्थापित करने, जिससे पीड़ितों को न्याय मिले, और भविष्य में ऐसे अपराधों को रोका जा सके।
6. ऐतिहासिक और संरचनात्मक संदर्भ
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों—विशेषकर हिंदुओं—के खिलाफ हिंसा कोई नया इतिहास नहीं है। 1971 के ऑपरेशन सर्चलाइट से लेकर नियमित धार्मिक-आधारित हमलों तक, अल्पसंख्यक समुदाय पर हिंसात्मक संरचना रही है
इस समय, राजनीतिक अस्थिरता और धार्मिक कट्टरता ने इस संरचनात्मक कमजोर स्थिति को और खतरनाक बना दिया है—जहाँ अल्पसंख्यक समुदाय के महिलाएं और बच्चे सबसे अधिक शिकार बन रहे हैं।
निष्कर्ष
बांग्लादेश में 2025 की पहली तिमाही में दर्ज 342 बलात्कारों की संख्या—जिसमें बहुत से पीड़ित कम उम्र की लड़कियाँ और बच्चे थे—एक राष्ट्रीय आपदा की चेतावनी है। यह सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि संस्थागत असंवेदनशीलता, धार्मिक विभाजन, न्याय प्रणाली की असमर्थता और एक राजनीतिक व सामाजिक संरचना को दर्शाता है, जो अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के लिए मौन सहमति प्रस्तुत करती है।
HRCBM का PIL जरूरी कदम है—यह एक न्यायिक जांच और सुधार की दिशा में पहला कदम हो सकता है। लेकिन व्यापक परिवर्तन केवल न्यायालयी कार्रवाई से ही नहीं आएगा; इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति, पुलिस सुधार, न्याय प्रणाली की धार्मिक असेंसिटलता, सामाजिक जागरूकता एवं अल्पसंख्यक सशक्तिकरण सभी जरूरी हैं।
अंतत: यह एक चेतावनी है: जब महिलाएँ और बच्चे—सबसे कमजोर समाज—सुरक्षा की चाह में शब्दहीन हों, तो वहाँ इंसानियत और राज्य की नींव पर उतना ही संकट मंडरा रहा है।