पूर्व SC जज मार्कंडेय काटजू का विवादित बयान: महिला वकीलों को दी ‘आंख मारने’ की सलाह
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने सोशल मीडिया पर एक महिला वकील को लेकर ऐसी टिप्पणी की है, जिस पर बवाल मच गया है। उन्होंने कथित तौर पर कहा कि महिला वकीलों को पक्ष में आदेश पाने के लिए जजों को 'आंख मारना' चाहिए।
- सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने सोशल मीडिया पर एक विवादित पोस्ट लिखकर महिला वकीलों और न्यायपालिका का अपमान किया है, जिसके बाद उनकी चौतरफा आलोचना हो रही है।
- काटजू ने अपनी पोस्ट में कथित तौर पर कहा कि महिला वकीलों को अनुकूल आदेश पाने के लिए जजों को ‘आँख मारना’ चाहिए।
- उनके इस बयान को कानूनी बिरादरी, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और आम जनता ने misogynistic और आपत्तिजनक बताते हुए कड़े शब्दों में निंदा की है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22 अगस्त, 2025: पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू, जो पहले भी अपने बयानों से विवादों में रहे हैं, एक बार फिर अपने एक नए पोस्ट को लेकर सुर्खियों में हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक महिला वकील के बारे में टिप्पणी करते हुए कथित तौर पर कहा कि उन्हें अपने मामलों में अनुकूल आदेश पाने के लिए जजों को ‘आंख मारना’ चाहिए। इस पोस्ट में उन्होंने यह भी लिखा कि अगर जज भी जवाबी कार्रवाई में ‘आंख मारते’ हैं, तो मामला उनके पक्ष में आ सकता है।
यह टिप्पणी तुरंत वायरल हो गई और इसे व्यापक रूप से misogynistic, अपमानजनक और न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला माना गया। लोगों ने कहा कि यह न केवल महिला वकीलों का अपमान है, बल्कि यह भी दिखाता है कि न्यायिक प्रक्रिया को किस तरह से देखा जाता है।
कानूनी बिरादरी में कड़ी प्रतिक्रिया
काटजू के इस बयान पर सबसे तीखी प्रतिक्रिया कानूनी बिरादरी से आई। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने इस टिप्पणी की कड़ी निंदा करते हुए इसे ‘अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और न्यायपालिका की पवित्रता के खिलाफ’ बताया। BCI ने कहा कि एक पूर्व न्यायाधीश का ऐसा बयान महिला वकीलों के संघर्ष और पेशे में उनकी जगह को कम करने की कोशिश है।
कई वरिष्ठ महिला वकीलों और कानून के छात्रों ने भी इस बयान की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी महिला वकीलों को उनकी योग्यता और कड़ी मेहनत के बजाय उनके बाहरी दिखावे के आधार पर आंका जाना दर्शाता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह बयान एक ऐसी मानसिकता को दर्शाता है जो महिलाओं को केवल एक वस्तु के रूप में देखती है।
महिलाओं का अपमान या सिर्फ एक और विवादित बयान?
मार्कंडेय काटजू का विवादित बयानों से पुराना नाता रहा है। वे पहले भी कई मौकों पर अपने बालतर्कों और विवादास्पद विचारों के लिए आलोचना के शिकार हुए हैं। हालांकि, इस बार का बयान सीधे तौर पर महिला वकीलों और न्यायिक प्रक्रिया की अखंडता पर हमला है। उनके इस पोस्ट पर महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने भी सवाल उठाए हैं और इसे लैंगिक समानता के खिलाफ बताया है।
कई लोगों का मानना है कि ऐसे बयान न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को भी धूमिल करते हैं, जो भारत में न्याय की आखिरी उम्मीद मानी जाती है। यह घटना इस बात पर बहस छेड़ती है कि क्या सार्वजनिक हस्तियों, खासकर पूर्व न्यायाधीशों को अपनी सोशल मीडिया टिप्पणियों में अधिक जिम्मेदारी दिखानी चाहिए, और क्या उनके ऐसे बयानों पर कानूनी या पेशेवर कार्रवाई होनी चाहिए।