योगी का ट्रिलियन डॉलर सपना: इंफोसिस के पूर्व CFO और IIT प्रोफेसर बने ‘ड्रीम टीम’ का हिस्सा
उत्तर प्रदेश को $1 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 'ड्रीम टीम' में दिग्गज शामिल हुए हैं। इन्फोसिस के पूर्व CFO वी. बालाकृष्णन और IIT दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. आरके त्रिपाठी निवेशकों को आकर्षित करने की रणनीति बनाएंगे।
- उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए राज्य सरकार ने इन्फोसिस के पूर्व सीएफओ वी. बालाकृष्णन और IIT दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. आरके त्रिपाठी जैसे दिग्गजों को अपनी ‘ड्रीम टीम’ में शामिल किया है।
- ये विशेषज्ञ एक महत्वपूर्ण ‘इंपैक्ट इन्वेस्टर मीट’ का हिस्सा बनेंगे, जिसका उद्देश्य उन निवेशकों को आकर्षित करना है जो केवल वित्तीय लाभ ही नहीं, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव को भी प्राथमिकता देते हैं।
- इस पहल का लक्ष्य उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास को गति देना, रोजगार के नए अवसर पैदा करना और राज्य को भारत के आर्थिक मानचित्र पर एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करना है।
समग्र समाचार सेवा
लखनऊ, 21 अगस्त, 2025: भारत की सबसे अधिक आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश, अब एक अभूतपूर्व आर्थिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, जो भारत के $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। इस सपने को साकार करने के लिए, राज्य सरकार ने सिर्फ सरकारी अधिकारियों पर निर्भर रहने के बजाय, निजी क्षेत्र के दिग्गजों और शैक्षणिक विशेषज्ञों की एक विशेष टीम तैयार की है। यह टीम ‘इनवेस्टमेंट अट्रैक्शन’ और ‘पॉलिसी मेकिंग’ में सरकार की मदद करेगी। इस रणनीतिक पहल से, राज्य को पारंपरिक निवेश से परे, ‘इंपैक्ट इन्वेस्टिंग’ की दुनिया में एक बड़ा भागीदार बनने की उम्मीद है।
कौन हैं योगी की ‘ड्रीम टीम’ के सदस्य?
इस ‘ड्रीम टीम’ के दो प्रमुख सदस्य हैं, जिनकी विशेषज्ञता और अनुभव पर सरकार को पूरा भरोसा है।
1. वी. बालाकृष्णन (Infosys के पूर्व CFO): बालाकृष्णन इन्फोसिस के वित्तीय प्रमुख के रूप में अपनी भूमिका के लिए विश्व स्तर पर जाने जाते हैं। उनकी वित्तीय समझ, कॉर्पोरेट प्रशासन में दक्षता और वैश्विक निवेशकों को समझने की क्षमता इस टीम के लिए अमूल्य है। वह विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने, वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने और मजबूत वित्तीय नीतियों का खाका तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
2. डॉ. आर.के. त्रिपाठी (IIT दिल्ली के प्रोफेसर): डॉ. त्रिपाठी एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद और शोधकर्ता हैं, जिनकी विशेषज्ञता आर्थिक मॉडलिंग और नीति विश्लेषण में है। वह राज्य की मौजूदा आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करेंगे और डेटा-संचालित रणनीतियों को विकसित करने में मदद करेंगे। उनका ज्ञान यह सुनिश्चित करेगा कि सरकार की योजनाएं केवल महत्वाकांक्षी ही नहीं, बल्कि व्यवहारिक और वैज्ञानिक रूप से भी सही हों।
क्या है ‘इंपैक्ट इन्वेस्टर मीट’? क्यों है ये खास?
यह ‘इंपैक्ट इन्वेस्टर मीट’ एक पारंपरिक निवेशक सम्मेलन से बिल्कुल अलग है। इसमें उन निवेशकों को आमंत्रित किया जाएगा जो सिर्फ पैसा लगाने से मतलब नहीं रखते, बल्कि यह भी देखते हैं कि उनके निवेश का समाज और पर्यावरण पर क्या सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ये निवेशक अक्सर उन परियोजनाओं में रुचि रखते हैं जो ग्रामीण विकास, नवीकरणीय ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में बदलाव लाती हैं। इस तरह के निवेशकों को आकर्षित करके, उत्तर प्रदेश केवल पूंजी नहीं बल्कि एक स्थायी और समावेशी विकास मॉडल भी हासिल कर सकता है। यह मीट राज्य को एक जिम्मेदार और दूरदर्शी निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करेगा।
आर्थिक विकास के लिए रणनीतिक योजनाएं
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने $1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक बहु-आयामी रणनीति तैयार की है, जिसमें कई क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है:
1. इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास: एक्सप्रेसवे, हवाई अड्डे, और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFCC) जैसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स राज्य की कनेक्टिविटी को बढ़ा रहे हैं, जिससे उद्योग और व्यापार के लिए एक अनुकूल माहौल बन रहा है।
2. कृषि और खाद्य प्रसंस्करण: उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है। सरकार का लक्ष्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में निवेश को बढ़ाकर किसानों की आय बढ़ाना है। यह न केवल रोजगार पैदा करेगा, बल्कि कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा।
3. औद्योगिक और डिफेंस कॉरिडोर: राज्य में औद्योगिक कॉरिडोर और डिफेंस कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है, जो विनिर्माण (manufacturing) क्षेत्र को बढ़ावा देगा। यह विदेशी और घरेलू कंपनियों को निवेश करने के लिए आकर्षित करेगा।
4. MSMEs और स्टार्टअप्स को बढ़ावा: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) किसी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं। सरकार MSMEs को समर्थन दे रही है और एक मजबूत स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने पर काम कर रही है।
5. पर्यटन और सेवा क्षेत्र: अयोध्या, वाराणसी और मथुरा जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र राज्य के पर्यटन क्षेत्र के लिए एक बड़ा अवसर हैं। इसके अलावा, आईटी और सेवा क्षेत्रों में भी निवेश को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
चुनौतियाँ और आगे की राह
हालांकि यह लक्ष्य महत्वाकांक्षी है, पर इसमें कुछ चुनौतियाँ भी हैं। नौकरशाही की धीमी गति, भूमि अधिग्रहण के मुद्दे और कुशल श्रमिकों की कमी जैसी बाधाएं मौजूद हैं। हालांकि, योगी सरकार इन चुनौतियों से निपटने के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है। ‘सिंगल विंडो सिस्टम’ और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ जैसी पहलें निवेशकों के लिए प्रक्रिया को सरल बना रही हैं।
वी. बालाकृष्णन और डॉ. आरके त्रिपाठी जैसे विशेषज्ञों की नियुक्ति इस बात का प्रमाण है कि सरकार अपने लक्ष्य को लेकर गंभीर है। इन विशेषज्ञों का अनुभव और ज्ञान सरकार को सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद करेगा। अगर ये रणनीतियाँ सफलतापूर्वक लागू होती हैं, तो उत्तर प्रदेश न केवल अपनी अर्थव्यवस्था को बदल सकता है, बल्कि भारत के आर्थिक विकास का एक प्रमुख इंजन भी बन सकता है।