टैरिफ की जंग में रूस की एंट्री: भारत के लिए खोला बाजार
अमेरिका के भारी टैरिफ से उपजे तनाव के बीच रूस ने भारत को बड़ा ऑफर दिया है। रूस ने कहा है कि यदि अमेरिकी बाजार बंद होते हैं, तो रूसी बाजार भारतीय उत्पादों के लिए हमेशा खुला है।
- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ से उपजे भारत-अमेरिका तनाव के बीच रूस ने भारत के लिए अपने बाजार के दरवाजे खोलने का ऐलान किया है।
- भारत में रूसी दूतावास के उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने कहा कि अमेरिका द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए भारत पर दबाव बनाना पूरी तरह से “अनुचित” है।
- रूस का यह कदम एक मजबूत संदेश है कि वैश्विक उथल-पुथल के बीच ब्रिक्स जैसे संगठन एक स्थिर शक्ति के रूप में काम कर रहे हैं।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21 अगस्त, 2025: भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर चल रहे तनाव के बीच, रूस ने एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम उठाया है। भारत में रूसी दूतावास के चार्ज डी’अफेयर्स रोमन बाबुश्किन ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि अगर टैरिफ की वजह से भारतीय सामानों के लिए अमेरिकी बाजार के दरवाजे बंद होते हैं, तो रूसी बाजार भारतीय उत्पादों को अपनाने के लिए हमेशा तैयार है। उन्होंने अमेरिका द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर भारत पर डाले जा रहे दबाव को पूरी तरह से अनुचित और एकतरफा करार दिया।
बाबुश्किन ने कहा, “हमें विश्वास है कि बाहरी दबाव के बावजूद भारत-रूस ऊर्जा सहयोग जारी रहेगा। भारत के लिए स्थितियां चुनौतीपूर्ण हैं, लेकिन हमें अपने आपसी संबंधों पर भरोसा है।” उन्होंने पश्चिमी देशों के “नव-औपनिवेशिक रवैये” की आलोचना करते हुए कहा कि वे अपने फायदे के लिए काम करते हैं और यही हाल के वर्षों में स्पष्ट रूप से देखा गया है।
ट्रंप के टैरिफ ने बढ़ाई दोनों देशों की मुश्किलें
यह पूरा घटनाक्रम अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए कड़े टैरिफ के बाद शुरू हुआ। ट्रंप ने भारतीय सामानों पर 25% का बेस टैरिफ और रूस से कच्चा तेल खरीदने पर अतिरिक्त 25% का जुर्माना (टैरिफ) लगाया है। इन भारी टैरिफ को भारत सरकार ने “अनुचित और अव्यावहारिक” बताया है, जिसके कारण 25 अगस्त को होने वाली भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को भी स्थगित कर दिया गया।
ट्रंप ने कहा कि रूसी तेल पर लगाया गया जुर्माना यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत में दबाव बनाने के लिए है। ट्रंप और पुतिन की हाल ही में अलास्का में मुलाकात हुई थी। इस तरह, भारत खुद को दो बड़ी शक्तियों के बीच एक जटिल भू-राजनीतिक स्थिति में फंसा हुआ पा रहा है, जहां एक तरफ उसकी पुरानी और विश्वसनीय दोस्ती है, तो दूसरी तरफ एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार का दबाव।
विकासशील देशों के लिए खतरा है एकतरफा फैसला
रूसी मिशन के उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने इस बात पर भी जोर दिया कि किसी भी देश द्वारा एकतरफा फैसले वैश्विक सप्लाई चेन पर नकारात्मक असर डालते हैं और विकासशील देशों की ऊर्जा सुरक्षा को खतरे में डाल सकते हैं। उन्होंने ब्रिक्स जैसे संगठनों की बढ़ती भूमिका पर भी बात की, जो वर्तमान वैश्विक उथल-पुथल के बीच एक स्थिर और विश्वसनीय शक्ति के रूप में उभर रहे हैं। रूस का यह बयान भारत को न सिर्फ आर्थिक, बल्कि रणनीतिक रूप से भी एक बड़ा सहारा देता है। यह दिखाता है कि भारत की बहुआयामी विदेश नीति को एक मजबूत समर्थक मिला है, जो अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद उसके साथ खड़ा है।