RBI का ऐतिहासिक फैसला: 4 अक्टूबर से चेक क्लियरिंग के नियम बदलेंगे
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चेक भुगतान प्रणाली को और अधिक सुरक्षित और तेज बनाने के लिए नए नियम जारी किए हैं, जो 4 अक्टूबर 2025 से लागू होंगे।
- भारतीय रिजर्व बैंक ने चेक क्लियरिंग प्रक्रिया को दो चरणों में विभाजित करने का नया नियम जारी किया है, जो 4 अक्टूबर 2025 से प्रभावी होगा।
- इस नए सिस्टम का मुख्य लक्ष्य चेक सेटलमेंट को तेज करना, जोखिमों को कम करना और भुगतान प्रणाली में पारदर्शिता लाना है।
- यह नियम सभी बैंकों और उनके ग्राहकों के लिए लागू होगा, जिससे चेक भुगतान की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव आएगा।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21 अगस्त, 2025: आज के डिजिटल युग में भी चेक का उपयोग एक महत्वपूर्ण भुगतान साधन बना हुआ है। हालांकि, मौजूदा चेक क्लियरिंग सिस्टम में कुछ खामियां थीं, जिससे सेटलमेंट में देरी और धोखाधड़ी की संभावना बनी रहती थी। इसे देखते हुए, भारतीय रिजर्व बैंक ने इस प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव करने का निर्णय लिया है। नया नियम, जिसे ‘दो-चरण सेटलमेंट’ मॉडल कहा जाता है, मौजूदा प्रक्रिया की कमियों को दूर करने और एक मजबूत, सुरक्षित और कुशल भुगतान ढांचा बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह कदम बैंकों और ग्राहकों दोनों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकता है।
क्या है RBI का नया दो-चरण सेटलमेंट मॉडल?
4 अक्टूबर 2025 से, चेक क्लियरिंग की पूरी प्रक्रिया दो अलग-अलग चरणों में पूरी की जाएगी:
चरण 1: प्रेजेंटेशन और इमेजिंग (Presentation and Imaging)
इस पहले चरण में, जमा किए गए चेक की इलेक्ट्रॉनिक इमेज और डेटा को प्राप्तकर्ता बैंक द्वारा तुरंत भेजा जाएगा।
यह प्रक्रिया ‘चेक ट्रंकेशन सिस्टम’ (CTS) के तहत होगी, जिसमें फिजिकल चेक की बजाय उसकी डिजिटल इमेज का उपयोग किया जाता है।
यह चरण सुनिश्चित करता है कि चेक की जानकारी जल्दी और सटीक रूप से भेजी जाए, जिससे धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाती है।
चरण 2: सेटलमेंट और भुगतान (Settlement and Payment)
यह दूसरा और अंतिम चरण है, जिसमें बैंकों के बीच वास्तविक वित्तीय लेनदेन होता है।
इमेज और डेटा की पुष्टि के बाद, आरबीआई के माध्यम से या सीधे बैंकों के बीच फंड का सेटलमेंट किया जाएगा।
इस चरण में चेक को मंजूरी दी जाएगी और भुगतान जारी किया जाएगा।
आरबीआई का लक्ष्य है कि ये दोनों चरण एक ही दिन में पूरे हो जाएं, जिससे ग्राहकों को तुरंत पैसा मिल सके।
ग्राहकों और बैंकों पर क्या होगा असर?
यह नया नियम ग्राहकों के लिए कई फायदे लेकर आएगा। सबसे बड़ा फायदा यह है कि चेक क्लियरिंग का समय काफी कम हो जाएगा। जहां पहले चेक क्लियर होने में एक या दो दिन लग जाते थे, वहीं अब यह प्रक्रिया कुछ घंटों में ही पूरी हो सकती है। इससे ग्राहकों को अपने फंड तक जल्दी पहुंच मिलेगी और वे अपने वित्तीय लेन-देन को बेहतर ढंग से प्रबंधित कर पाएंगे।
बैंकों के लिए भी यह एक सकारात्मक बदलाव है। यह नया सिस्टम बैंकों के लिए परिचालन लागत को कम करेगा और धोखाधड़ी के जोखिमों को कम करने में मदद करेगा। इसके अलावा, यह बैंकों को अपनी सेवाओं को और अधिक डिजिटल बनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। कुल मिलाकर, यह कदम भारत की भुगतान प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप लाने में मदद करेगा।