ऑनलाइन गेमिंग पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’: पैसों वाले गेम पर पूर्ण प्रतिबंध
केंद्र सरकार ने ऑनलाइन मनी गेमिंग पर नकेल कसने के लिए नया बिल पेश किया है। इसके तहत ऑपरेटरों से लेकर विज्ञापन करने वालों तक के लिए सख्त सजा का प्रावधान है।
- केंद्र सरकार ने ऑनलाइन मनी गेमिंग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के लिए नया ड्राफ्ट बिल तैयार किया है, जिसे संसद में पेश किया गया है।
- इस कानून के तहत, अधिकारियों को बिना वारंट तलाशी लेने और गिरफ्तारी करने का अधिकार दिया गया है, जिसमें मोबाइल फोन और कंप्यूटर जैसे डिवाइस भी शामिल हैं।
- नियम तोड़ने वालों के लिए 3 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है, जबकि गेमिंग इंडस्ट्री ने इस कदम का कड़ा विरोध किया है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21 अगस्त, 2025: ऑनलाइन गेमिंग पर लगाम लगाने के लिए लाए गए इस नए विधेयक का मुख्य मकसद युवाओं को इसकी लत और इससे होने वाले वित्तीय नुकसान से बचाना है। सरकार का कहना है कि पैसों वाले खेलों ने मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, धोखाधड़ी, और यहां तक कि अपराधों को भी बढ़ावा दिया है। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस बिल का उद्देश्य ऑनलाइन मनी गेमिंग पर रोक लगाना है, जबकि ई-स्पोर्ट्स जैसे ‘स्वस्थ’ गेमिंग फॉर्मेट को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसमें कौशल और प्रतिस्पर्धा पर जोर होता है। यह कदम ‘डिजिटल इंडिया’ के विजन को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
कड़े प्रावधान: सीधे जेल और भारी जुर्माना
इस बिल में ऑनलाइन मनी गेमिंग से जुड़े हर पहलू पर लगाम लगाने की कोशिश की गई है। इसके कुछ सबसे कड़े प्रावधान इस प्रकार हैं:
संचालन पर प्रतिबंध: कोई भी व्यक्ति या कंपनी ऑनलाइन मनी गेमिंग की सेवा नहीं दे सकती। ऐसा करने पर 3 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। यह अपराध गैर-जमानती होगा।
विज्ञापन पर भी बैन: जो लोग या कंपनियां इन गेम्स का विज्ञापन या स्पॉन्सरशिप करते हैं, उन्हें भी 2 साल की जेल या 50 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।
डिजिटल तलाशी का अधिकार: सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अधिकारियों को अब बिना वारंट किसी भी जगह (घर, ऑफिस) पर तलाशी लेने का अधिकार होगा। वे मोबाइल फोन, कंप्यूटर और सर्वर जैसे डिजिटल डिवाइस की जांच कर सकेंगे और पासवर्ड या सिक्योरिटी कोड न मिलने पर उन्हें क्रैक भी कर सकते हैं।
पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर भी दायरे में: जो वित्तीय संस्थाएं या पेमेंट गेटवे इन अवैध गेम्स के लिए ट्रांजेक्शन कराएंगे, उन्हें भी ऑपरेटर के बराबर सजा मिल सकती है।
इंडस्ट्री में हाहाकार: ‘बड़ा नुकसान होगा, ऐसा मत करो’
हालांकि, इस बिल का ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री ने जोरदार विरोध किया है। इंडस्ट्री के संगठनों का कहना है कि यह पूर्ण प्रतिबंध भारत सरकार के ‘1 ट्रिलियन डॉलर डिजिटल इकोनॉमी’ के विजन को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा। उनके मुताबिक, इस सेक्टर में फिलहाल 2 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं और इसमें 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का विदेशी निवेश आया है। संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर यह कानून लागू होता है तो सरकार को हर साल 20,000 करोड़ रुपये तक के टैक्स का नुकसान हो सकता है और करीब 45 करोड़ भारतीय यूजर्स अवैध विदेशी प्लेटफॉर्म पर चले जाएंगे, जिन्हें नियंत्रित करना और भी मुश्किल होगा। ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन ने गृह मंत्री अमित शाह से अपील की है कि इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाए।