समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली/गुवाहाटी, 21 अगस्त: भारत-म्यांमार सीमा पर फ्री मूवमेंट रेजीम (FMR) और सीमा पर बाड़ लगाने के फैसले को लेकर अब केन्द्र सरकार ने पहल तेज कर दी है। सरकार ने मणिपुर की शीर्ष नागा संस्था यूनाइटेड नागा काउंसिल (UNC) को 26 अगस्त को दिल्ली में बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। यह निमंत्रण गृह मंत्रालय के उत्तर-पूर्व सलाहकार ए.के. मिश्रा द्वारा UNC के अध्यक्ष एनजी लोरहो के नाम भेजा गया है।
यह बैठक ऐसे समय तय की गई है जब 16 अगस्त को UNC प्रतिनिधिमंडल ने मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से इम्फाल राजभवन में मुलाकात की थी। उसके बाद से इस मुद्दे को लेकर राज्य के राजनीतिक और सामाजिक संगठनों में हलचल तेज हो गई है।
FMR की पृष्ठभूमि
फ्री मूवमेंट रेजीम (FMR) को 1968 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य भारत-म्यांमार सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोगों को आने-जाने की सुविधा देना था क्योंकि इनके बीच गहरे जातीय और पारिवारिक संबंध हैं।
शुरुआत में सीमा से 40 किलोमीटर तक का क्षेत्र इस सुविधा के अंतर्गत था। 2004 में इसे घटाकर 16 किलोमीटर किया गया और पिछले वर्ष इसे और घटाकर केवल 10 किलोमीटर कर दिया गया। अब केन्द्र सरकार ने इसे पूरी तरह खत्म करने और 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का निर्णय लिया है। मणिपुर का हिस्सा इस सीमा में 398 किलोमीटर तक फैला है।
नागा संगठनों का विरोध
यूनाइटेड नागा काउंसिल (UNC) और अन्य नागा संगठन, जैसे नगा वुमेंस और ऑल-नगा स्टूडेंट्स यूनियन, मणिपुर ने केन्द्र के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। इन संगठनों का कहना है कि यह कदम सीमा के दोनों ओर रहने वाले समुदायों के रिश्तों और आजीविका पर गहरा असर डालेगा।
22 जुलाई को UNC और अन्य संगठनों ने एक संयुक्त ज्ञापन राज्यपाल के माध्यम से केन्द्र को सौंपा था, जिसमें सीमा पर बाड़ लगाने की योजना को तुरंत रोकने की मांग की गई थी।
मिजो समाज भी खिलाफ
नागाओं के अलावा मणिपुर में मिजो समुदाय ने भी FMR समाप्त करने और सीमा पर बाड़ लगाने का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह निर्णय स्थानीय लोगों की सांस्कृतिक एकता और सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करेगा।
राजनीतिक हलचल और विवाद
इसी बीच मणिपुर की राजनीति में भी एक नया विवाद सामने आया है। राज्यसभा सांसद और मणिपुर के शाही परिवार से जुड़े संजाओबा लेशेम्बा के खिलाफ सोशल मीडिया पर की गई एक टिप्पणी ने माहौल गर्मा दिया है। एक स्थानीय व्यक्ति, सनातन मैतेई ने पोस्ट किया कि अराम्बाई तेंग्गोल संगठन सांसद की निजी सेना है।
सांसद के कार्यालय ने इस पोस्ट को अत्यंत आपत्तिजनक बताते हुए इम्फाल ईस्ट जिले के पोरमपाट थाने में शिकायत दर्ज कराई है। सांसद के निजी सचिव मैसनम शिवदत्ता के अनुसार, “अराम्बाई तेंग्गोल केवल एक सांस्कृतिक संगठन है, इसे सांसद की निजी सेना कहना असत्य और मानहानिकारक है।”
उन्होंने यह भी कहा कि सांसद संजाओबा लेशेम्बा लगातार विस्थापित लोगों के मुद्दों को उठाते रहे हैं और संसद में मणिपुर से जुड़े कई विषयों पर आवाज बुलंद की है।
आगे की राह
26 अगस्त को होने वाली बैठक से उम्मीद की जा रही है कि नागा संगठनों और केन्द्र सरकार के बीच सीमा विवाद और FMR को लेकर कोई ठोस समाधान निकल सकेगा। फिलहाल UNC और अन्य संगठनों का रुख स्पष्ट है कि सीमा पर बाड़ और FMR खत्म करना उनकी पहचान, संस्कृति और परंपराओं के लिए बड़ा खतरा है।
दूसरी ओर केन्द्र सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और अवैध घुसपैठ रोकने के लिए आवश्यक मान रही है। अब देखना यह है कि बातचीत से किस तरह का संतुलन निकलता है—क्या सांस्कृतिक रिश्तों को बनाए रखते हुए सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी या फिर दोनों पक्षों के बीच टकराव और गहराएगा।