मानहानि मामला: दिल्ली कोर्ट ने टाइम्स नाउ की नविका कुमार पर जांच के आदेश दिए
अर्नब गोस्वामी की कंपनी ने दायर किया था मानहानि का केस, टीआरपी घोटाले को लेकर किए गए थे आरोप। कोर्ट ने पुलिस से फरवरी 2026 तक रिपोर्ट मांगी।
- दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने टाइम्स नाउ की ग्रुप एडिटर-इन-चीफ नविका कुमार के खिलाफ मानहानि मामले में पुलिस जांच का आदेश दिया है।
- यह मामला अर्नब गोस्वामी की कंपनी एआरजी आउट्लायर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर किया गया था, जिसमें टीआरपी घोटाले से संबंधित टिप्पणियों को लेकर आरोप लगाए गए हैं।
- अदालत ने यह आदेश इसलिए दिया, क्योंकि नविका कुमार दिल्ली के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहती हैं, जिसके लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 225 के तहत जांच अनिवार्य है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 20 अगस्त, 2025: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने एक अहम फैसले में टाइम्स नाउ की ग्रुप एडिटर-इन-चीफ नविका कुमार के खिलाफ दायर मानहानि मामले में जांच के आदेश दिए हैं। यह मामला अर्नब गोस्वामी की कंपनी एआरजी आउट्लायर मीडिया ने दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया है कि नविका कुमार ने टीआरपी घोटाले को लेकर गोस्वामी के खिलाफ झूठे और मानहानिकारक बयान दिए थे। कोर्ट का यह आदेश इस मामले में एक बड़ा कदम है, क्योंकि यह पुलिस जांच का रास्ता खोलता है, जिसके बाद ही अदालत यह तय करेगी कि आरोपी को समन जारी किया जाए या नहीं।
टीआरपी घोटाले के तार, मानहानि का आधार
शिकायत के मुताबिक, यह मामला टीआरपी (टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट) घोटाले से जुड़ा है। मुंबई पुलिस की चार्जशीट में दावा किया गया था कि इस घोटाले के कारण टाइम्स नाउ को ₹431 करोड़ का भारी नुकसान हुआ, जबकि इसका फायदा रिपब्लिक टीवी को मिला था। इसी पृष्ठभूमि में, एआरजी आउट्लायर मीडिया का आरोप है कि 18 जनवरी 2020 को रात 9 बजे टाइम्स नाउ के ‘न्यूज़ आवर’ कार्यक्रम में नविका कुमार ने मुंबई पुलिस की चार्जशीट को गलत तरीके से पेश किया। कंपनी का आरोप है कि नविका कुमार की टिप्पणियों का एकमात्र मकसद अर्नब गोस्वामी की साख और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना था। ये टिप्पणियां सीधे तौर पर गोस्वामी के व्यवसाय और सम्मान को प्रभावित करती हैं, और इसीलिए इसे मानहानि के दायरे में रखा गया है।
कानूनी प्रक्रिया और अगला कदम
अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि चूँकि नविका कुमार दिल्ली अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहती हैं, इसलिए सीधे समन जारी करने के बजाय पहले पुलिस जांच कराना आवश्यक है। यह कदम भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 की धारा 225 के प्रावधानों के अनुरूप है। यह प्रावधान मजिस्ट्रेट को अधिकार देता है कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए जांच कराए कि शिकायत में आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला बनता है या नहीं। एसीजेएम सिद्धांत सिहाग ने इस मामले में दिल्ली पुलिस को जांच करने और अगली सुनवाई की तारीख, 26 फरवरी 2026 तक एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। इस दौरान, पुलिस को आरोपों की सत्यता और प्रासंगिकता की जांच करनी होगी।
निष्कर्ष और राजनीतिक मायने
यह मामला न केवल दो प्रमुख मीडिया घरानों के बीच की प्रतिद्वंद्विता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि मानहानि के मामलों में कानूनी प्रक्रिया किस तरह से काम करती है। एक तरफ जहां एआरजी आउट्लायर मीडिया को लगता है कि उन्हें गलत तरीके से बदनाम किया गया, वहीं नविका कुमार को अपने बचाव का पूरा मौका मिलेगा। कोर्ट के आदेश के बाद, अब गेंद दिल्ली पुलिस के पाले में है। पुलिस की जांच रिपोर्ट ही यह तय करेगी कि यह मामला आगे किस दिशा में बढ़ेगा और क्या नविका कुमार को अदालत में पेश होना पड़ेगा।