ट्रंप की टैरिफ धमकी के बीच भारत-चीन करीब, चीनी विदेश मंत्री का दिल्ली दौरा
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की; कहा- अमेरिका की नीतियों के खिलाफ मिलकर काम करने की जरूरत, भारत को अहम चीजों की आपूर्ति का दिया भरोसा।
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकी के बीच चीनी विदेश मंत्री वांग यी भारत के दौरे पर हैं, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने का एक बड़ा संकेत है।
- वांग यी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को आश्वासन दिया है कि चीन भारत को उर्वरक, रेयर अर्थ और सुरंग बनाने वाली मशीनों की आपूर्ति करेगा।
- जयशंकर ने वांग यी से कहा कि मतभेद को विवाद नहीं बनने देना चाहिए और दोनों देशों को आपसी सम्मान व हित को ध्यान में रखना होगा।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 19 अगस्त, 2025: भारत और चीन के बीच पिछले कुछ वर्षों से जारी सीमा तनाव के बाद, चीनी विदेश मंत्री वांग यी का भारत दौरा कूटनीतिक हलकों में बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन पर लगाए गए नए टैरिफ के कारण वैश्विक भू-राजनीति में हलचल मची हुई है। वांग यी ने अपने भारतीय समकक्ष विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच बिगड़े संबंधों में सुधार लाना और आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है। इस मुलाकात में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।
ट्रंप के टैरिफ से बढ़ेगी भारत-चीन की दोस्ती?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वांग यी का यह दौरा अमेरिका की हालिया नीतियों की प्रतिक्रिया है। रिपोर्ट के अनुसार, वांग यी ने अपनी बातचीत में जयशंकर से कहा कि दुनिया एकतरफा फैसलों का सामना कर रही है, जो एक तरह से अमेरिकी नीतियों की ओर इशारा था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन को मिलकर काम करना चाहिए ताकि दोनों देश मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं से निपट सकें। ट्रंप की व्यापार नीतियां, जिनमें चीन और भारत दोनों को निशाना बनाया जा रहा है, ने दोनों एशियाई दिग्गजों को एक-दूसरे के करीब आने का मौका दिया है। वांग यी ने भरोसा दिया कि चीन भारत को उर्वरकों, रेयर अर्थ और टनल बोरिंग मशीनों की आपूर्ति जारी रखेगा, जो भारत की विकास योजनाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
संबंधों में सुधार के लिए तीन मंत्र
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी मुलाकात में वांग यी को यह स्पष्ट कर दिया कि भारत और चीन के संबंधों ने एक “कठिन दौर” देखा है। उन्होंने संबंधों में सुधार के लिए तीन प्रमुख मूल्यों पर जोर दिया: “आपसी सम्मान”, “आपसी संवेदनशीलता”, और “आपसी हित”। जयशंकर ने कहा कि मतभेदों को विवाद में नहीं बदलना चाहिए और प्रतिस्पर्धा को संघर्ष में नहीं बदलना चाहिए। यह भारत का स्पष्ट संदेश है कि सीमा पर शांति और स्थिरता के बिना, द्विपक्षीय संबंधों में सामान्यता लाना मुश्किल है।
सीमा विवाद और भविष्य के रोडमैप पर चर्चा
वांग यी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल से भी मुलाकात की, जहां सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता हुई। यह वार्ता पूर्वी लद्दाख में 2020 के गतिरोध के बाद से रुकी हुई थी। दोनों देशों के बीच लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक अभी भी सीमा पर तैनात हैं, इसलिए इस तरह की बातचीत का महत्व बहुत अधिक है। वांग यी की यात्रा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए चीन जाने की उम्मीद है। यह दौरा न केवल सीमा विवाद को सुलझाने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच व्यापार, अर्थव्यवस्था और लोगों के बीच संपर्क को फिर से बहाल करने का रास्ता भी खोल सकता है।