‘सर्वपल्ली राधाकृष्णन’ जैसा बनाने की उम्मीद में रखा था नाम: मां
एनडीए के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के नाम के पीछे की अनसुनी कहानी, जिसे उनकी मां ने साझा किया, जानें उनका पूरा सफर।
- एनडीए के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के नाम के पीछे उनके माता-पिता की बड़ी उम्मीदें थीं।
- उनकी मां जानकी अम्माल ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे का नाम देश के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के नाम पर रखा था।
- यह नामकरण इस उम्मीद से किया गया था कि उनका बेटा एक दिन देश के लिए कुछ बड़ा करेगा और शीर्ष पदों तक पहुंचेगा।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 18 अगस्त, 2025: एनडीए द्वारा सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद, पूरे देश में उनके बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ गई है। इसी बीच, उनके गृह नगर तमिलनाडु के तिरुपुर में जश्न का माहौल है। इस खुशी के मौके पर, उनकी 86 वर्षीय मां जानकी अम्माल ने एक बेहद भावनात्मक और अनसुनी कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि किस उम्मीद से उन्होंने और उनके पति ने अपने बेटे का नाम ‘राधाकृष्णन’ रखा था। यह कहानी न सिर्फ एक मां की खुशी को दर्शाती है, बल्कि एक बेटे के संघर्ष और सफलता की यात्रा को भी बयां करती है।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन से जुड़ाव
जानकी अम्माल ने परिवार और पार्टी कार्यकर्ताओं के सामने कहा, “हमने उनका नाम सीपी राधाकृष्णन इसलिए रखा था, ताकि वो राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे बनें।” उन्होंने कहा कि भगवान सुंदरमूर्ति ने उनकी यह इच्छा पूरी कर दी है और उनके बेटे को इतना बड़ा सम्मान दिया है। यह कहानी बताती है कि उनके माता-पिता ने बचपन से ही उन्हें एक आदर्श और महान व्यक्ति के रूप में देखना चाहा था। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक शिक्षक, दार्शनिक और राजनेता थे, जिनका सम्मान पूरे देश में किया जाता है। उनके नाम पर अपने बेटे का नाम रखना, एक दूरदर्शिता और उच्च उम्मीदों का प्रतीक था।
गांव से राजभवन तक का सफर
सीपी राधाकृष्णन का जीवन उनकी मां के सपने को साकार करने का ही एक उदाहरण है। तमिलनाडु के तिरुप्पुर में जन्मे राधाकृष्णन ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 16 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक स्वयंसेवक के रूप में की थी। उन्होंने 1998 और 1999 में कोयंबटूर से दो बार लोकसभा सांसद के रूप में कार्य किया। वे झारखंड और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के राज्यपाल भी रहे, और अब वे देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद के उम्मीदवार हैं। उनकी राजनीतिक यात्रा न केवल उनकी कड़ी मेहनत को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि उनके माता-पिता का विश्वास और आशीर्वाद कितना महत्वपूर्ण था।
राजनीतिक गलियारों में मजबूत पकड़
सीपी राधाकृष्णन को ‘तमिलनाडु का मोदी’ भी कहा जाता है। इसका कारण उनका भाजपा के प्रति गहरा समर्पण और उनकी संगठनात्मक क्षमता है। उन्होंने 2004 से 2007 तक तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष के रूप में काम किया और दक्षिण भारत में पार्टी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी नियुक्ति को भाजपा की ‘दक्षिण भारत को साधने’ की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिससे पार्टी को न केवल तमिलनाडु में, बल्कि पूरे दक्षिण भारत में अपनी पैठ मजबूत करने में मदद मिलेगी।
मां ने पीएम मोदी को दिया धन्यवाद
अपनी खुशी जाहिर करते हुए, जानकी अम्माल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, “मैं इस सम्मान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करती हूं।” उन्होंने अपने बेटे की जीत के लिए भगवान से प्रार्थना भी की। यह एक ऐसा पल था जब एक मां की निजी खुशी एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम से जुड़ गई।