समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 16 अगस्त –महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दही हांडी उत्सव के मंच से बड़ा राजनीतिक संदेश देते हुए कहा कि “बीएमसी में बदलाव अब तय है। महायुति सरकार ने लूटेरों के पाप की हांडी फोड़ दी है और अब विकास की हांडी शुरू हो चुकी है।” यह बयान सीधे तौर पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) पर निशाना माना जा रहा है।
बीएमसी की राजनीति और “पाप की हांडी”
मुंबई की बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) एशिया की सबसे धनवान नगर निकाय मानी जाती है। 1997 से लेकर 2022 तक इस पर शिवसेना का लगभग 25 वर्षों तक वर्चस्व रहा। भ्रष्टाचार और फंड के दुरुपयोग के आरोप हमेशा ही इस संस्था के कामकाज पर लगे रहे हैं। ऐसे में फडणवीस का “पाप की हांडी” वाला रूपक आने वाले चुनावों से पहले भाजपा और महायुति की रणनीति का हिस्सा समझा जा रहा है।
शिवसेना (उद्धव) और मनसे की नयी समीकरण
फडणवीस का यह बयान ठीक उस समय आया है जब शिवसेना (उद्धव) के नेता संजय राउत ने दावा किया कि उनकी पार्टी मनसे के साथ मिलकर बीएमसी चुनाव लड़ेगी। अगर यह गठजोड़ आकार लेता है तो भाजपा और शिंदे की शिवसेना (मिलकर बनी महायुति) के लिए मुंबई में चुनौती खड़ी हो सकती है। इसलिए विकास बनाम भ्रष्टाचार का नैरेटिव खड़ा करना भाजपा के लिए आवश्यक है।
दही हांडी पर “सुरक्षा” और “शौर्य” का संदेश
फडणवीस ने दही हांडी के धार्मिक और सांस्कृतिक मंच को सिर्फ उत्सव तक सीमित नहीं रखा बल्कि इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जोड़ा।
घाटकोपर में भाजपा विधायक राम कदम ने “ऑपरेशन सिंदूर” में शामिल भारतीय सैनिकों को समर्पित दही हांडी लगाई।
फडणवीस ने कहा कि “हमारे जवानों ने पाकिस्तान की पाप की हांडी फोड़ी, और यह दही हांडी उनके शौर्य को समर्पित है।”
इससे साफ है कि भाजपा इस बार उत्सव को सिर्फ धार्मिक-लोकसांस्कृतिक आयोजन के रूप में नहीं बल्कि राष्ट्रवाद और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में भी प्रस्तुत कर रही है।
शिंदे को “सच्चा शिवसैनिक” बताना
ठाणे के टेंबी नाका कार्यक्रम में फडणवीस ने डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की तारीफ करते हुए उन्हें “बालासाहेब ठाकरे के सच्चे शिवसैनिक” बताया, जो आनंद दिघे की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। यह टिप्पणी भी राजनीतिक तौर पर अहम है, क्योंकि शिंदे गुट और उद्धव गुट में शिवसेना की असली विरासत को लेकर लगातार टकराव है।
चुनावी पृष्ठभूमि में दही हांडी
2022 में महायुति सरकार ने दही हांडी को एडवेंचर स्पोर्ट का दर्जा दिया था और “गोविंदाओं” के लिए बीमा योजना भी लागू की थी। इस बार बारिश और कठिन परिस्थितियों के बावजूद हजारों युवक-युवतियों की भागीदारी से उत्सव में जोश देखने को मिला। लेकिन असल संदेश यह है कि हर राजनीतिक दल ने इस मंच का इस्तेमाल अपनी राजनीतिक ज़मीन मजबूत करने और कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने के लिए किया।
निष्कर्ष
फडणवीस का “पाप की हांडी” फोड़ने वाला बयान सिर्फ उत्सव की भाषा नहीं बल्कि चुनावी शंखनाद है। भाजपा और महायुति जहां बीएमसी में “विकास बनाम भ्रष्टाचार” की लाइन पर चुनाव लड़ना चाहती है, वहीं उद्धव ठाकरे का गुट मनसे संग गठबंधन कर “मराठी अस्मिता और स्थानीय पहचान” के मुद्दे को उभारने की कोशिश करेगा।
आगामी बीएमसी चुनाव न सिर्फ मुंबई की राजनीति का बल्कि महाराष्ट्र की सत्ता संतुलन का भी भविष्य तय कर सकते हैं। दही हांडी का यह चुनावी रंग साफ बताता है कि आने वाले महीनों में मुंबई की गलियां धार्मिक जयघोषों के साथ-साथ राजनीतिक नारों से भी गूंजेंगी।