अफ्रीका में 14 लाख महिलाओं-बालिकाओं को जीवनरक्षक स्वास्थ्य सेवा से वंचित करेगा अमेरिका का कदम

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पूनम शर्मा

अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों और महिला अधिकार समूहों में भारी आक्रोश है, क्योंकि अमेरिकी सरकार ने करीब 9.7 मिलियन डॉलर (लगभग ₹81 करोड़) मूल्य के गर्भनिरोधक उपकरणों और दवाओं को जलाने का निर्णय लिया है। अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन इंटरनेशनल प्लांड पेरेंटहुड फेडरेशन (IPPF) के अनुसार, इस कदम से अफ्रीका के पाँच देशों—कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC), केन्या, तंजानिया, ज़ाम्बिया और माली—में 56,000 असुरक्षित गर्भपात और 1,74,000 अनचाहे गर्भ ठहरने की आशंका है।

तैयार माल, फिर भी बर्बाद करने का निर्णय

IPPF ने बताया कि यह गर्भनिरोधक सामग्री पहले ही निर्मित, पैक और वितरण के लिए तैयार थी, जिनमें से कई की समाप्ति तिथि 2027 या 2029 तक थी। अमेरिका की एजेंसी USAID द्वारा इन्हें स्वीकार न करने के बाद IPPF ने इन्हें नि:शुल्क लेने और पुनर्वितरित करने का प्रस्ताव रखा, ताकि अमेरिकी करदाताओं पर कोई खर्च न आए। लेकिन यह प्रस्ताव ठुकरा दिया गया और इन्हें जलाने का निर्णय लिया गया।

IPPF की अफ्रीका क्षेत्रीय निदेशक, मारी एवलिन पेट्रस-बैरी ने कहा—
“यह निर्णय चौंकाने वाला और अत्यंत अपव्ययी है। ये जीवनरक्षक चिकित्सा सामग्री उन देशों के लिए थी, जहां प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच पहले से ही सीमित है। कुछ मामलों में, यह मानवीय राहत अभियान का हिस्सा भी थी, जैसे कि कांगो में। ऐसे तैयार-टू-यूज़ उत्पादों को नष्ट करना किसी भी तरह से उचित नहीं है।”

अफ्रीका में गंभीर असर

तंजानिया में उमाती (IPPF की सदस्य संस्था) के परियोजना समन्वयक डॉ. बकारी ने बताया कि USAID फंडिंग में कटौती ने पहले ही यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर असर डाला है। खासकर इम्प्लांट्स जैसी गर्भनिरोधक सामग्री की कमी के कारण महिलाओं के पास परिवार नियोजन के विकल्प सीमित हो गए हैं।

माली – 95,800 इम्प्लांट्स और 12 लाख ओरल गर्भनिरोधक गोलियां उपलब्ध नहीं होंगी, जो देश की वार्षिक जरूरत का लगभग 24% है।
ज़ाम्बिया – 48,400 इम्प्लांट्स और 2,95,000 इंजेक्टेबल गर्भनिरोधक की कमी होगी।
केन्या – 1,08,000 महिलाएं गर्भनिरोधक इम्प्लांट्स से वंचित रहेंगी।
DRC और तंजानिया – पहले से ही स्वास्थ्य सेवाओं में कमी है, जिस पर यह निर्णय और चोट करेगा।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

यह मामला पिछले महीने तब और सुर्खियों में आया, जब अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने गर्भनिरोधक सामग्री को नष्ट करने के फैसले की पुष्टि की। महिला अधिकार, नारीवादी और परिवार नियोजन संगठनों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। फ्रांसीसी सरकार ने भी कहा कि वह स्थिति पर नज़र रख रही है, क्योंकि आरोप हैं कि इन गर्भनिरोधकों को फ्रांस में जलाया जाएगा।

स्वास्थ्य व सामाजिक असर

विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भनिरोधक की कमी से अनचाहे गर्भ, असुरक्षित गर्भपात, मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में वृद्धि हो सकती है। अफ्रीका के कई हिस्सों में पहले से ही प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सीमित है—ग्रामीण क्षेत्रों में तो अस्पताल और प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी भी दुर्लभ हैं। ऐसे में तैयार दवाओं और उपकरणों को नष्ट करना न केवल आर्थिक दृष्टि से हानिकारक है, बल्कि मानवीय संकट को और गहरा सकता है।

राजनीतिक और वैचारिक पृष्ठभूमि

विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय केवल तार्किक या आर्थिक कारणों से नहीं, बल्कि अमेरिकी घरेलू राजनीति और वैचारिक मतभेदों से भी प्रभावित है। अमेरिका में कुछ राजनीतिक समूह विदेशी सहायता में परिवार नियोजन या गर्भनिरोधक कार्यक्रमों के वित्तपोषण का विरोध करते हैं, खासकर उन देशों में जहां गर्भपात सेवाएं भी दी जाती हैं। इससे पहले भी कई बार USAID फंडिंग में कटौती इसी कारण की गई है।

एक मानवीय अपील

IPPF और अन्य संगठनों ने अमेरिका से अपील की है कि वह इस निर्णय को वापस ले और गर्भनिरोधक सामग्री को नष्ट करने के बजाय जरूरतमंद देशों में भेजे। संगठन का तर्क है कि यह पहले से निर्मित सामग्री है, जिसे बिना किसी अतिरिक्त लागत के उपयोग में लाया जा सकता है, और इससे लाखों महिलाओं और युवतियों को सुरक्षित और सशक्त जीवन जीने का अवसर मिलेगा।

यह विवाद सिर्फ स्वास्थ्य सेवा के अधिकार से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह वैश्विक न्याय, मानवीय मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भी परीक्षा है। अफ्रीका की महिलाओं के लिए यह सामग्री केवल दवाएं नहीं, बल्कि अपने शरीर और भविष्य पर नियंत्रण का साधन है—जिससे उन्हें अब वंचित किया जा रहा है।

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