पुतिन की युद्ध अर्थव्यवस्था चरमराई, अलास्का में ट्रंप से होगी शांति वार्ता

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पूनम शर्मा

रूस की अर्थव्यवस्था यूक्रेन युद्ध के बोझ तले हांफ रही है। तेल से होने वाली कमाई घट चुकी है, बजट घाटा 30 साल के उच्चतम स्तर पर है, महंगाई और ब्याज दरें ऊंची हैं और बैंकों के भीतर कर्ज संकट की आहट सुनाई देने लगी है। ऐसे माहौल में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अलास्का में मिलने जा रहे हैं, जहां यूक्रेन युद्ध पर संभावित समझौते पर बातचीत होगी।

ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि पुतिन को युद्ध से ज्यादा अपनी बिगड़ती अर्थव्यवस्था सुधारने पर ध्यान देना चाहिए। विश्लेषकों का मानना है कि यह आकलन हल्का हो सकता है, क्योंकि रूसी अर्थव्यवस्था में सैन्य खर्च और तेल राजस्व में गिरावट के कारण गहरे संकट के संकेत दिख रहे हैं।

युद्ध ने तोड़ी आर्थिक रीढ़

2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद पुतिन ने रक्षा उद्योग को प्राथमिकता देते हुए बैंकों को ‘प्राथमिक ऋण’ देने के लिए बाध्य किया। इससे हथियार निर्माण, लॉजिस्टिक्स और इस्पात जैसे क्षेत्रों में भारी निवेश हुआ। 2022 से 2024 के बीच कॉरपोरेट कर्ज में करीब 71% की वृद्धि हुई, जो 460 अरब डॉलर के बराबर है। रक्षा ऋण की निगरानी भी ढीली कर दी गई, जिससे जोखिम बढ़ गया।

शुरुआत में तेल बिक्री, खासकर चीन और भारत को रियायती दरों पर, ने रूस को सहारा दिया। लेकिन 2025 में वैश्विक तेल कीमतें 100 डॉलर से गिरकर लगभग 60 डॉलर रह गईं, और रूसी कच्चा तेल औसतन 55 डॉलर में बिक रहा है। इससे बजट घाटा जुलाई में 4.9 ट्रिलियन रूबल तक पहुंच गया, जो कोविड काल से भी ज्यादा है।

बैंकिंग क्षेत्र में खतरे की घंटी

रूस का केंद्रीय बैंक 2024 में ब्याज दर 21% तक बढ़ाने को मजबूर हुआ, जिससे बैंकों पर दोहरा दबाव पड़ा—महंगे डिपॉजिट और सस्ते युद्ध ऋण। कई बड़े बैंक अब बैलेंस शीट पर वास्तविक नुकसान महसूस कर रहे हैं। VTB बैंक की ब्याज आय 49% गिर चुकी है। कुछ बैंकों ने निजी तौर पर सरकार से संभावित
बेलआउट पर चर्चा की है।

केंद्रीय बैंक प्रमुख एलवीरा नबीउलिना ने संकट की आशंका को “बिना आधार” बताया, लेकिन रिपोर्टों में वित्तीय क्षेत्र में “ऋण जोखिम और खराब प्रदर्शन” जैसी कमजोरियों का उल्लेख है। यहां तक कि रक्षा उद्योग भी कर्ज चुकाने में कठिनाई झेल रहा है।

सैन्य खर्च पर निर्भर अर्थव्यवस्था

कार्नेगी एंडॉवमेंट की शोधकर्ता अलेक्ज़ेंड्रा प्रोकोपेंको के अनुसार, 2025 में रूस का रक्षा और सुरक्षा खर्च 172 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा, जो GDP का लगभग 8% है। उनका कहना है कि यह अस्थायी नहीं, बल्कि दीर्घकालिक रणनीतिक बदलाव है। समस्या यह है कि युद्ध खत्म होने पर यह सैन्य-निर्भर अर्थव्यवस्था भारी झटके का सामना कर सकती है, खासकर कर्ज में डूबे ठेकेदारों के लिए।

आर्थिक गिरावट के संकेत

2024 में जहां रूस की GDP वृद्धि 4% से ऊपर थी, वहीं 2025 की दूसरी तिमाही में यह घटकर 1.1% रह गई। IMF ने इस साल की वृद्धि का अनुमान घटाकर 0.9% कर दिया है। निर्माण और उपभोक्ता मांग में सुस्ती और दिवालिया होने के मामलों में बढ़ोतरी से संकट गहरा रहा है।

अलास्का शिखर सम्मेलन पर निगाहें

तेल प्रतिबंधों के नए अमेरिकी खतरे के बीच पुतिन ने अलास्का में ट्रंप से मिलने की पहल की है। वह पूर्वी डोनबास और क्रीमिया को रूस में मिलाने की मांग के साथ यूक्रेनी सेना की वापसी चाहते हैं। लेकिन कीव और यूरोपीय देशों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

ट्रंप ने हाल ही में कहा, “अगर तेल 10 डॉलर और गिरा तो पुतिन को युद्ध रोकना ही पड़ेगा, क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्था बुरी हालत में है।” यह बयान रूस के भीतर भी कई लोगों की चिंता से मेल खाता है, जो मानते हैं कि ट्रंप के पास पुतिन से ज्यादा दबाव बनाने के अवसर हैं।

अब सबकी निगाहें अलास्का बैठक पर टिकी हैं, जो तय करेगी कि इस कूटनीतिक मुकाबले में किसका पत्ता भारी पड़ता है—ट्रंप का आर्थिक दबाव या पुतिन की सैन्य जिद।

 

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