लद्दाख में आध्यात्मिक मिलन: ब्रह्मर्षि पत्रीजी के अनुयायियों ने भिक्खु संघसेना से की मुलाकात
लद्दाख में ब्रह्मर्षि पत्रीजी के 160 अनुयायियों ने गुरुजी भिक्खु संघसेना के साथ ध्यान किया और उनके धम्म टॉक को सुना।
- आध्यात्मिक यात्रा: ब्रह्मर्षि पत्रीजी के 160 से अधिक अनुयायियों ने लद्दाख की आध्यात्मिक यात्रा की।
- गुरु भिक्खु संघसेना का उद्बोधन: अनुयायियों ने महाबोधि संडे पूजा हॉल में गुरुजी भिक्खु संघसेना का ‘धम्म टॉक’ सुना।
- साझा आध्यात्मिक बंधन: गुरुजी ने ब्रह्मर्षि पत्रीजी के साथ अपने गहरे आध्यात्मिक संबंधों को याद किया और दोनों की शांति का संदेश फैलाने की साझा दृष्टि पर ज़ोर दिया।
समग्र समाचार सेवा
लद्दाख, 14 अगस्त, 2025 : हाल ही में, भारत भर से आए 160 से अधिक आध्यात्मिक साधकों के एक समूह ने लद्दाख की पवित्र भूमि पर एक गहन आध्यात्मिक यात्रा की। ये सभी साधक, पिरामिड स्पिरिचुअल सोसाइटीज मूवमेंट (PSSM) के संस्थापक, पूज्य आध्यात्मिक गुरु ब्रह्मर्षि पत्रीजी के अनुयायी हैं। यह यात्रा उनके आध्यात्मिक विकास और ध्यान को गहरा करने के उद्देश्य से की गई थी। इस यात्रा के दौरान, उन्हें एक दिव्य अवसर मिला जब वे महाबोधि संडे पूजा हॉल में पूज्य गुरुजी भिक्खु संघसेना के एक प्रभावशाली ‘धम्म टॉक’ में शामिल हुए।
गुरु भिक्खु संघसेना का दिल को छू लेने वाला उद्बोधन
अपने प्रबोधक और प्रेरणादायक उद्बोधन में, गुरुजी भिक्खु संघसेना ने अत्यंत प्रेमपूर्वक ब्रह्मर्षि पत्रीजी के साथ अपने गहरे आध्यात्मिक बंधन और आपसी सम्मान को साझा किया। उन्होंने बताया कि किस तरह दोनों महापुरुषों की दृष्टि एक समान थी – दुनिया भर में आंतरिक शांति और आध्यात्मिक जागृति का प्रसार करना। उन्होंने ब्रह्मर्षि पत्रीजी के महान कार्यों और उनके द्वारा शुरू किए गए पिरामिड ध्यान आंदोलन की सराहना की, जिसने लाखों लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से बदला है। गुरुजी ने इस बात पर जोर दिया कि आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले सभी साधकों का उद्देश्य एक ही है, भले ही उनके तरीके अलग-अलग हों।
शक्तिशाली समूह ध्यान सत्र का आयोजन
गुरुजी के ‘धम्म टॉक’ के बाद, एक शक्तिशाली समूह ध्यान सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र का नेतृत्व स्वयं गुरुजी भिक्खु संघसेना ने किया। इस दौरान, सभी 160 साधकों ने एक साथ ध्यान किया, जिससे वातावरण में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार हुआ। इस सामूहिक ध्यान ने सभी साधकों को गहरी शांति और आंतरिक सद्भाव का अनुभव कराया। यह सत्र ब्रह्मर्षि पत्रीजी और गुरुजी भिक्खु संघसेना की साझा शिक्षाओं को एक साथ महसूस करने का एक अनोखा मौका था।
ब्रह्मर्षि पत्रीजी को सम्मानपूर्वक याद किया गया
इस अवसर पर, भिक्खु संघसेना और उनके प्रतिनिधिमंडल ने महान गुरु ब्रह्मर्षि पत्रीजी को बहुत स्नेह और सम्मान के साथ याद किया। उन्होंने कहा कि उनका जीवन और कार्य आध्यात्मिक जागृति की दिशा में एक प्रकाश स्तंभ की तरह है। ब्रह्मर्षि पत्रीजी ने पिरामिड ध्यान के माध्यम से लाखों लोगों को ध्यान से जोड़ा और उन्हें जीवन में आध्यात्मिक सुख और शांति का मार्ग दिखाया। यह मुलाकात और ध्यान सत्र वास्तव में एक दैवीय क्षण था, जहाँ दो महान आध्यात्मिक धाराओं का संगम हुआ। इस तरह के आयोजनों से आध्यात्मिक एकता को बढ़ावा मिलता है और साधकों को अपने मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए नई प्रेरणा मिलती है। लद्दाख, जो स्वयं आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक सौंदर्य का केंद्र है, ऐसे दिव्य मिलन के लिए एक आदर्श स्थान साबित हुआ।