विमान दुर्घटना के पीड़ित ने बोइंग पर किया मुकदमा, अमेरिकी कोर्ट में होगी सुनवाई

न्याय की लड़ाई: एयर इंडिया फ्लाइट 171 के पीड़ित परिवारों ने बोइंग के खिलाफ मोर्चा खोला।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
  • अहमदाबाद में हुए AI-171 विमान दुर्घटना में अपनी मां को खोने वाले हीर प्रजापति ने बोइंग कंपनी के खिलाफ अमेरिका में मुकदमा दायर किया है।
  • इस मुकदमे में बोइंग के खिलाफ विमान के डिजाइन में खामी और लापरवाही का आरोप लगाया गया है।
  • हीर प्रजापति ने यह केस भारत के बजाय अमेरिका में इसलिए दायर किया है, ताकि न्याय की प्रक्रिया जल्द और पारदर्शी हो सके।

समग्र समाचार सेवा
अहमदाबाद, 13 अगस्त – गुजरात के अहमदाबाद में 12 जून 2025 को हुए भयावह विमान हादसे को अभी दो महीने ही हुए हैं, जब एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 उड़ान भरते ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस दर्दनाक हादसे में अपनी मां कल्पना बेन प्रजापति को खोने वाले उनके बेटे हीर प्रजापति ने अब न्याय के लिए अमेरिका का रुख किया है। उन्होंने विमान निर्माता कंपनी बोइंग के खिलाफ अमेरिका की संघीय अदालत में मुकदमा दायर किया है, जिसमें विमान के डिजाइन में खामी और निर्माण में लापरवाही का आरोप लगाया गया है। इस मामले में हीर प्रजापति के अलावा 65 से अधिक अन्य पीड़ित परिवार भी अमेरिकी एविएशन लॉ फर्म के जरिए अपनी आवाज उठा रहे हैं।

क्या है AI-171 विमान दुर्घटना की पूरी कहानी?

12 जून को एयर इंडिया का विमान AI-171, एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के लिए उड़ान भर रहा था। उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद विमान में तकनीकी खराबी आ गई और वह पास के बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल परिसर में जा गिरा। इस हादसे में विमान में सवार 241 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से सिर्फ एक यात्री रमेश कुमार ही जीवित बच पाए। इसके अलावा, जमीन पर मौजूद 19 लोगों की भी इस दुर्घटना में जान चली गई, जिससे मृतकों की कुल संख्या 260 हो गई। शुरुआत में आई रिपोर्ट्स में पायलट की गलती की आशंका जताई गई थी, लेकिन पीड़ित परिवार और उनके वकील इसे मानने को तैयार नहीं हैं। उनका आरोप है कि विमान की तकनीकी खामी ही इस त्रासदी का मुख्य कारण थी।

भारत में क्यों नहीं, अमेरिका में क्यों लड़ा जा रहा केस?

हीर प्रजापति ने बताया कि उन्होंने भारत के बजाय अमेरिका में मुकदमा लड़ने का फैसला इसलिए किया, क्योंकि उन्हें लगता है कि भारत में कानूनी प्रक्रिया बहुत लंबी और धीमी होती है। उन्होंने कहा, “भारत में ट्रायल में वर्षों लग जाते हैं। तारीख पर तारीख चलती रहती है। हम अमेरिका में इसलिए लड़ रहे हैं ताकि फैसला जल्द आ सके।” हीर प्रजापति ने इस केस के लिए अमेरिकी एविएशन लॉ फर्म Beasley Allen के जाने-माने वकील माइक एंड्रयूज को हायर किया है, जिन्होंने पहले भी बोइंग 737 मैक्स से जुड़े मामलों में पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाया था। यह कदम इस बात को भी दर्शाता है कि पीड़ित परिवार भारत की जांच प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं हैं और उन्हें ब्लैक बॉक्स डेटा तक पहुंच की उम्मीद है, ताकि सच्चाई सामने आ सके।

बोइंग पर बढ़ते दबाव और आरोपों का सिलसिला

यह मुकदमा बोइंग के लिए एक और बड़ी कानूनी चुनौती है, जो पिछले कुछ सालों से अपने विमानों की सुरक्षा को लेकर सवालों के घेरे में है। 2018 और 2019 में बोइंग 737 मैक्स से जुड़ी दो बड़ी दुर्घटनाओं के बाद बोइंग पर दुनिया भर में दबाव बढ़ गया था। उन हादसों में भी सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी और बोइंग को भारी जुर्माना और मुआवजा देना पड़ा था। AI-171 का मामला भी उसी तरह ‘उत्पाद दायित्व’ (Product Liability) का मामला माना जा रहा है, जिसमें किसी कंपनी को अपने उत्पादों की खामियों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। अगर इस मामले में भी बोइंग की गलती साबित होती है, तो कंपनी को भारी मुआवजे के साथ-साथ अपनी विश्वसनीयता पर भी एक बड़ा झटका लगेगा।

 

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.