सड़कों से हटेंगे आवारा पशु: राजस्थान हाईकोर्ट ने दिया सख्त आदेश
दुर्घटनाओं और सार्वजनिक सुरक्षा के मद्देनजर कोर्ट का बड़ा फैसला, अधिकारियों को 30 दिन की मोहलत।
- राजस्थान हाईकोर्ट ने सड़कों से सभी आवारा पशुओं को हटाने का सख्त आदेश दिया है।
- कोर्ट ने यह फैसला बढ़ते सड़क हादसों, मौत और कुत्तों के काटने की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए खुद (suo motu) संज्ञान लेते हुए लिया।
- आदेश के अनुसार, नगर निगम और स्थानीय निकाय विशेष अभियान चलाकर सड़कों को आवारा पशुओं से मुक्त कराएंगे।
समग्र समाचार सेवा
जयपुर, 11 अगस्त, 2025 – राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य में सार्वजनिक सड़कों पर आवारा पशुओं की बढ़ती संख्या और उनसे उत्पन्न होने वाले खतरों पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने एक स्वतः संज्ञान याचिका (suo motu plea) पर सुनवाई करते हुए सभी नगर निगमों और स्थानीय निकायों को सड़कों से आवारा पशुओं को हटाने का निर्देश दिया है। यह फैसला राज्य में लगातार बढ़ रहे सड़क हादसों, मौतों और कुत्तों के काटने की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए लिया गया है। कोर्ट ने इस आदेश को लागू करने के लिए एक विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है।
क्यों दिया गया है यह सख्त आदेश?
राजस्थान हाईकोर्ट ने माना है कि सड़कों पर आवारा पशुओं की मौजूदगी सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है। आवारा पशु, खासकर कुत्ते और मवेशी, अक्सर ट्रैफिक जाम का कारण बनते हैं, जिससे लोगों को काफी परेशानी होती है। इसके अलावा, रात के समय या तेज गति से चल रहे वाहनों के सामने अचानक आ जाने से कई गंभीर सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं, जिनमें लोगों की जान जा रही है। कोर्ट ने बढ़ते सड़क हादसों और कुत्तों के काटने की घटनाओं को चिंता का विषय बताया और माना कि स्थानीय निकाय इस समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में विफल रहे हैं।
नगर निगमों की बढ़ी जिम्मेदारी
कोर्ट के आदेश के बाद, अब नगर निगमों और संबंधित स्थानीय अधिकारियों पर बड़ी जिम्मेदारी आ गई है। उन्हें एक विशेष अभियान चलाना होगा, जिसमें सड़कों से आवारा पशुओं को पकड़कर सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाएगा। इस आदेश को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह का एक समान आदेश पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के लिए दिया गया था, जिसे एक मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है।
लागू करने में क्या हैं चुनौतियां?
हालांकि, यह आदेश सार्वजनिक सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे लागू करने में कई चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं। सबसे बड़ी चुनौती है पकड़े गए पशुओं के लिए पर्याप्त शेल्टर और देखभाल की व्यवस्था करना। इसके अलावा, एनिमल वेलफेयर ग्रुप्स इस कार्रवाई को लेकर विरोध जता सकते हैं। स्थानीय निकायों को न केवल पशुओं को पकड़ना होगा, बल्कि उनके पुनर्वास और कल्याण की भी व्यवस्था करनी होगी। इस आदेश के बाद, यह देखना दिलचस्प होगा कि नगर निगम और स्थानीय निकाय किस तरह से इन चुनौतियों का सामना करते हैं।