फतेहपुर मजार विवाद: पुलिस ने सील किया 1 किमी क्षेत्र, ड्रोन से निगरानी

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  • सख़्त सुरक्षा इंतज़ाम: फतेहपुर पुलिस और प्रशासन ने सदी पुरानी नवाब अबू समद की मजार के चारों ओर 1 किलोमीटर का क्षेत्र सील कर सभी रास्तों पर रोक लगा दी और ड्रोन से निगरानी शुरू की।
  • घटना की पृष्ठभूमि: हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने मजार में प्रवेश कर धार्मिक नारे लगाए और दावा किया कि यह स्थान पहले मंदिर था, जिससे माहौल गरमा गया।
  • कानूनी कार्रवाई: पुलिस ने 150 से अधिक लोगों के खिलाफ सार्वजनिक संपत्ति नुकसान और शांति भंग करने का मामला दर्ज किया, जिसमें विभिन्न दलों के नेताओं के नाम शामिल हैं।
  • विरोध और मांग: उलेमा काउंसिल ने इसे राष्ट्रीय धरोहर को नुकसान पहुंचाने का प्रयास बताते हुए सख्त कार्रवाई और सुरक्षा बढ़ाने की मांग की।

समग्र समाचार सेवा
फतेहपुर, 12 अगस्त- उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में सदी पुरानी नवाब अबू समद की मजार को लेकर उपजे विवाद के बाद प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू कर दी है। हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा मजार परिसर में प्रवेश कर धार्मिक नारेबाजी और तोड़फोड़ करने के बाद पुलिस ने पूरे इलाके को सील कर दिया है। एक किलोमीटर के दायरे में आमजन की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है और पूरे क्षेत्र की निगरानी ड्रोन से की जा रही है।

घटना रविवार को उस समय हुई जब बजरंग दल और कुछ अन्य हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता मजार में पहुंचे। उन्होंने दावा किया कि यह स्थल पहले एक मंदिर था और मजार के निर्माण से पहले यहां हिंदू धार्मिक स्थल हुआ करता था। इस दौरान धार्मिक नारे लगाए गए और मजार परिसर के कुछ हिस्सों को नुकसान पहुंचाया गया। मौके पर मौजूद लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद भारी संख्या में पुलिस बल पहुंचा और हालात को नियंत्रण में लिया।

पुलिस-प्रशासन की त्वरित कार्रवाई

जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) अनूप कुमार सिंह ने बताया कि क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए तुरंत कार्रवाई की गई। मजार के क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत रातभर में कर दी गई। वहीं, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रयागराज जोन) संजीव गुप्ता ने घटना स्थल का दौरा किया और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की। उन्होंने पड़ोसी जिलों कौशांबी और प्रयागराज से अतिरिक्त पुलिस बल बुलवाया और क्षेत्र में फ्लैग मार्च का नेतृत्व किया।

150 से अधिक लोगों पर एफआईआर

पुलिस ने इस मामले में 150 से अधिक लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है, जिसमें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और शांति भंग करने के आरोप शामिल हैं। एफआईआर में कई राजनीतिक नेताओं के नाम भी शामिल हैं, जिनमें बजरंग दल के धर्मेंद्र सिंह, भाजपा के अभिषेक शुक्ला और देवनाथ धाकड़, तथा समाजवादी पार्टी के पप्पू चौहान शामिल हैं।

सरकार की सख्त प्रतिक्रिया

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए कहा कि प्रदेश सरकार कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने पुलिस प्रशासन को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

उलेमा काउंसिल की नाराज़गी

इस घटना के बाद उलेमा काउंसिल ने जिला मजिस्ट्रेट को पत्र लिखकर कड़ी निंदा की। काउंसिल ने आरोप लगाया कि कुछ संगठन राष्ट्रीय धरोहर को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं और मंदिर होने का दावा महज़ बहाना है। उन्होंने मांग की कि दोषियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए और इस ऐतिहासिक धरोहर की सुरक्षा के लिए स्थायी व्यवस्था की जाए।

फिलहाल फतेहपुर का यह इलाका सुरक्षा बलों की कड़ी निगरानी में है और प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और शांति बनाए रखें। स्थिति पर पुलिस की पैनी नजर बनी हुई है और दोषियों को जल्द गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया गया है।

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