Tariff War: शशि थरूर की अध्यक्षता वाली समिति को MEA और वाणिज्य मंत्रालय देंगे ब्रीफिंग
वैश्विक व्यापार विवादों में भारत की रणनीति और रुख पर होगी बातचीत, अर्थव्यवस्था पर होगा बड़ा असर।
- शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति को शुल्क युद्ध (Tariff War) पर ब्रीफिंग दी जाएगी।
- यह ब्रीफिंग विदेश मंत्रालय और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा दी जाएगी, जिसमें अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ पर चर्चा होगी।
- अमेरिका के इस कदम से दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ा है, जिस पर भारत की कूटनीतिक और आर्थिक रणनीति पर मंथन होगा।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 11 अगस्त, 2025 – वैश्विक स्तर पर चल रहे ‘शुल्क युद्ध’ (Tariff War) के मद्देनजर भारत की रणनीति और रुख पर संसद में चर्चा होने वाली है। कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति को आज इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण ब्रीफिंग दी जाएगी। यह ब्रीफिंग विदेश मंत्रालय (MEA) और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा दी जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य समिति को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ के बाद पैदा हुई स्थिति से अवगत कराना है। इस घटना ने दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा कर दिया है।
क्या है शुल्क युद्ध और भारत की भूमिका?
‘शुल्क युद्ध’ का अर्थ है, जब दो या दो से अधिक देश व्यापार को नियंत्रित करने के लिए एक-दूसरे के सामानों पर भारी आयात शुल्क (टैरिफ) लगाते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत से आयात होने वाले कुछ उत्पादों पर 50% का भारी टैरिफ लगाया है, जिससे भारत के निर्यातकों को बड़ा नुकसान होने की आशंका है। इसके जवाब में भारत ने भी अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगाने का संकेत दिया है। संसदीय समिति को यह ब्रीफिंग इसलिए दी जा रही है ताकि सांसदों को इस संवेदनशील मुद्दे पर भारत सरकार के रुख, विदेश नीति और आर्थिक रणनीति की पूरी जानकारी मिल सके।
क्यों दी जा रही है ब्रीफिंग?
संसदीय समिति का काम सरकार के कामकाज पर नजर रखना और उसे आवश्यक सुझाव देना होता है। इस ब्रीफिंग के माध्यम से विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय समिति को अमेरिकी टैरिफ के बाद की स्थिति, भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता और दोनों देशों के संबंधों को बहाल करने के प्रयासों की जानकारी देंगे। विदेश मंत्रालय ने समिति को यह भी बताया है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए माध्यमिक प्रतिबंधों ने भारत को एक भू-राजनीतिक संघर्ष में धकेल दिया है। मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि भारत भले ही संबंधों में विश्वास की कमी महसूस कर रहा हो, लेकिन वह अमेरिका के साथ रचनात्मक संबंध बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत की रणनीति और अर्थव्यवस्था पर असर
शुल्क युद्ध का सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। अमेरिका भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है। अमेरिकी टैरिफ से भारत के निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस ब्रीफिंग में सरकार अपनी उस रणनीति को सामने रखेगी, जिसके तहत वह अमेरिकी दबाव का सामना कर रही है और अपने घरेलू उद्योगों की रक्षा कर रही है। समिति इस ब्रीफिंग के आधार पर सरकार को आवश्यक सुझाव दे सकती है ताकि भारत इस वैश्विक व्यापार विवाद से कम से कम नुकसान के साथ बाहर निकल सके।