पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने ट्रंप के टैरिफ पर साधा निशाना, कहा- PM मोदी को झुकना नहीं चाहिए
कर्ट कैंपबेल ने कहा- रूस से तेल खरीदना भारत का राष्ट्रीय हित, अमेरिकी दबाव से संबंध हो सकते हैं खराब।
- अमेरिका के पूर्व उप विदेश मंत्री कर्ट कैंपबेल ने भारत पर लगाए गए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 50% टैरिफ की कड़ी निंदा की है।
- कैंपबेल ने कहा कि यह टैरिफ अमेरिका-भारत संबंधों के लिए एक गंभीर खतरा है, जो 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी है।
- उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सलाह दी है कि वे अमेरिकी दबाव के आगे न झुकें और भारत को अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार फैसले लेने चाहिए।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9 अगस्त – अमेरिका के पूर्व उप विदेश मंत्री कर्ट कैंपबेल ने मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर लगाए गए टैरिफ की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि भारत पर 50% का टैरिफ लगाने का फैसला अमेरिका-भारत संबंधों के लिए एक गंभीर खतरा है, जिसे वह 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारी मानते हैं। कैंपबेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सलाह दी है कि वे इस दबाव के आगे न झुकें और अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को कायम रखें। ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत को रूस से तेल खरीदने से रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है, जिसे कैंपबेल ने गलत बताया है।
कर्ट कैंपबेल ने ट्रंप के टैरिफ पर क्या कहा?
एक बयान में कर्ट कैंपबेल ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप का भारत पर 50% का टैरिफ लगाने का फैसला द्विपक्षीय संबंधों के लिए बेहद हानिकारक है। उन्होंने बताया कि यह 50% टैरिफ दरअसल, मौजूदा टैरिफ पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने का नतीजा है। यह नया टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा। कैंपबेल ने जोर देकर कहा कि इस तरह के ‘दबाव की रणनीति’ भारत जैसे एक संप्रभु राष्ट्र के साथ काम नहीं करेगी। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर अमेरिका भारत को रूस से संबंध तोड़ने के लिए मजबूर करता है, तो भारतीय रणनीतिकार इसका उलटा कर सकते हैं, क्योंकि भारत को इस तरह की धमकियों से दूर रहने की आदत है।
पीएम मोदी को दी गई सलाह का मतलब
कर्ट कैंपबेल ने पीएम मोदी को जो सलाह दी है कि उन्हें इस दबाव के आगे नहीं झुकना चाहिए, यह अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण है। यह दर्शाता है कि अमेरिका के भीतर भी ट्रंप की नीतियों को लेकर एक राय नहीं है। कैंपबेल जैसे अनुभवी राजनयिक जानते हैं कि भारत अपनी विदेश नीति को किसी के कहने पर नहीं बदलता है। भारत का रूस से तेल खरीदना उसके राष्ट्रीय हित में है, क्योंकि इससे देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होती है और घरेलू बाजार में महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। कैंपबेल की सलाह यह भी साबित करती है कि भारत की बहु-आयामी विदेश नीति, जहां वह अमेरिका के साथ क्वाड (QUAD) जैसे समूहों में शामिल है और रूस के साथ अपने पारंपरिक संबंधों को भी बनाए रखता है, सही दिशा में है।
भारत-अमेरिका संबंधों का नया मोड़
कैंपबेल का बयान ऐसे समय में आया है जब भारत-अमेरिका संबंध एक नाजुक मोड़ पर खड़े हैं। एक तरफ, दोनों देशों के बीच रणनीतिक और रक्षा सहयोग लगातार बढ़ रहा है, वहीं ट्रंप की संरक्षणवादी व्यापार नीतियों और रूस को लेकर उनके सख्त रुख ने इन संबंधों में तनाव पैदा कर दिया है। कैंपबेल का बयान भारत के रुख को एक तरह से वैधता देता है और यह दिखाता है कि अमेरिका के भीतर भी कई लोग भारत की स्थिति को समझते हैं और उसका सम्मान करते हैं। यह घटना अमेरिका और भारत के संबंधों को एक नई दिशा दे सकती है, जहां भारत अपने राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करेगा।