बीजेपी का प्रशांत किशोर पर फिर हमला, 2020 के डेटा केस को लेकर विवाद तेज

बीजेपी ने कहा- प्रशांत किशोर ने मतदाताओं की निजता का उल्लंघन किया; कांग्रेस कार्यकर्ता ने 2020 में दर्ज कराया था मामला।

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  • भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर पर 2020 के एक डेटा केस को लेकर अपना हमला फिर से तेज कर दिया है।
  • बीजेपी ने प्रशांत किशोर पर धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक विश्वासघात का आरोप लगाया है।
  • यह मामला प्रशांत किशोर के ‘बात बिहार की’ अभियान के लिए अभियान डेटा की कथित चोरी से संबंधित है, जिसकी जांच अभी भी जारी है।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9 अगस्त, 2025 – बिहार में आगामी चुनावों की सरगर्मी के बीच, बीजेपी ने चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर पर एक बार फिर से निशाना साधा है। बीजेपी के बिहार प्रवक्ता दानिश इकबाल ने प्रशांत किशोर पर 2020 के एक डेटा मामले को लेकर ‘धोखाधड़ी और जालसाजी’ का आरोप लगाया है। यह मामला एक कांग्रेस कार्यकर्ता द्वारा दर्ज कराया गया था, जिसमें प्रशांत किशोर के ‘बात बिहार की’ अभियान के लिए अभियान डेटा की चोरी का आरोप लगाया गया था। बीजेपी के इस नए हमले को प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज’ यात्रा और बिहार की राजनीति में उनकी बढ़ती सक्रियता पर रोक लगाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

क्या है 2020 का डेटा केस?

यह मामला 25 फरवरी, 2020 को कांग्रेस कार्यकर्ता शाश्वत गौतम द्वारा पटना में दायर एक एफआईआर से संबंधित है। गौतम ने आरोप लगाया था कि एक स्वयंसेवक ने उनका लैपटॉप लिया था जिसमें ‘बिहार की बात’ नामक एक अभियान का डेटा और बौद्धिक संपदा थी, जिसे वह विकसित कर रहे थे। गौतम का दावा है कि प्रशांत किशोर के ‘बात बिहार की’ अभियान का नाम और समय उनके अभियान से बहुत मेल खाता था। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर और उस स्वयंसेवक के बीच उनकी बौद्धिक संपदा का दुरुपयोग करने की एक आपराधिक साजिश थी। यह मामला फिलहाल पटना के सब जज XII-कम-एसीजेएम की अदालत में लंबित है।

बीजेपी के आरोप और हमला

बीजेपी के प्रवक्ता दानिश इकबाल ने इस पुराने मामले को फिर से उठाकर प्रशांत किशोर पर कई भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत जालसाजी, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आपराधिक साजिश का आरोप लगाया है। बीजेपी का कहना है कि यह मामला प्रशांत किशोर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है और यह दर्शाता है कि वे किस प्रकार डेटा का दुरुपयोग करते हैं। बीजेपी का आरोप है कि प्रशांत किशोर ने ‘बात बिहार की’ अभियान के नाम पर बिहार के लोगों से बड़े पैमाने पर व्यक्तिगत डेटा एकत्र किया था, जिससे मतदाताओं की निजता का उल्लंघन हुआ।

राजनीतिक निहितार्थ और डेटा सुरक्षा

बीजेपी के इस हमले के पीछे प्रशांत किशोर के बढ़ते राजनीतिक कद को रोकने का स्पष्ट मकसद है। प्रशांत किशोर इन दिनों बिहार में ‘जन सुराज’ यात्रा कर रहे हैं और राज्य की राजनीति में एक नए विकल्प के तौर पर अपनी पहचान बना रहे हैं। ऐसे में बीजेपी के लिए प्रशांत किशोर एक संभावित चुनौती हो सकते हैं। यह विवाद एक बार फिर से राजनीतिक अभियानों में डेटा सुरक्षा और निजता के उल्लंघन पर सवाल खड़ा करता है। यह मुद्दा न केवल राजनीतिक गलियारों में बल्कि आम जनता के बीच भी डेटा के दुरुपयोग को लेकर चिंता पैदा कर सकता है।

 

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