कोलकाता डॉक्टर की मौत का मामला: दिल्ली में माता-पिता ने CBI से लगाई न्याय की गुहार

स्थानीय पुलिस जांच से असंतुष्ट परिजनों का आरोप- बेटी की मौत प्राकृतिक नहीं, हत्या है; अब सीबीआई ही दिला सकती है न्याय।

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  • कोलकाता के एक डॉक्टर की मौत के मामले में उनके माता-पिता ने दिल्ली में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से न्याय की गुहार लगाई है।
  • परिजन स्थानीय पुलिस की जांच से असंतुष्ट हैं और उन्हें अपनी बेटी के साथ बलात्कार और हत्या का संदेह है, जिसे पुलिस ने पहले आत्महत्या का मामला बताया था।
  • यह मामला तब सीबीआई को सौंपा गया जब कलकत्ता हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए, जिससे परिवार की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 7 अगस्त, 2025 – कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई एक महिला ट्रेनी डॉक्टर की मौत का मामला अब राजनीतिक और कानूनी रूप से गरमा गया है। इस दुखद घटना के एक साल बाद भी, डॉक्टर के माता-पिता न्याय की तलाश में दिल्ली में हैं और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं। उनका आरोप है कि उनकी बेटी के साथ बलात्कार और हत्या की गई थी, लेकिन स्थानीय पुलिस ने इस मामले को आत्महत्या के रूप में दर्ज कर दिया था। परिवार का मानना है कि केवल सीबीआई की निष्पक्ष जांच ही उनके बच्चे के दोषियों को सजा दिला सकती है।

क्या है डॉक्टर की मौत का मामला?

पिछले साल 9 अगस्त को, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार हॉल में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर का शव मिला था। कोलकाता पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद इसे आत्महत्या का मामला माना। हालांकि, डॉक्टर के परिवार ने शुरू से ही इस दावे का खंडन किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी बलात्कार और हत्या की संभावनाओं को खारिज नहीं किया गया था। फॉरेंसिक रिपोर्ट में कहा गया कि डॉक्टर के निजी अंगों, आंखों और चेहरे पर चोट के निशान थे। इस रिपोर्ट ने परिवार के संदेह को और मजबूत कर दिया। परिवार ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन और स्थानीय पुलिस सबूतों से छेड़छाड़ कर रही है और मामले को दबाने की कोशिश कर रही है।

CBI जांच की मांग क्यों और कब हुई?

परिवार ने स्थानीय पुलिस की जांच पर अविश्वास जताते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। परिवार के अनुसार, पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में 14 घंटे की देरी की थी। इसके अलावा, क्राइम सीन को भी ठीक से संरक्षित नहीं किया गया। इन गंभीर आरोपों के बाद, हाईकोर्ट ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया। इसके बाद सीबीआई ने अपनी जांच शुरू की और कई संदिग्धों से पूछताछ की। सीबीआई को जांच में पता चला कि घटना वाली रात कुछ डॉक्टर और स्टाफ वहां मौजूद थे, और सीसीटीवी फुटेज में भी कई विसंगतियां थीं। सीबीआई ने पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष से भी कई बार पूछताछ की, जिन पर मामले को संभालने में लापरवाही का आरोप लगा था।

दिल्ली में न्याय की गुहार

अपने बेटे के लिए न्याय की लड़ाई लड़ रहे माता-पिता अब दिल्ली में हैं। उन्होंने सीबीआई मुख्यालय पहुंचकर अपनी बेटी के मामले में न्याय की मांग की है। वे मानते हैं कि सीबीआई ही एक ऐसी संस्था है जो बिना किसी राजनीतिक दबाव के सच सामने ला सकती है। परिवार के सदस्यों ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले ने न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल उठाती है।

 

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