भारत ने ट्रंप को दिया करारा जवाब: तेल खरीद पर मचा घमासान
अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान पर विदेश मंत्रालय का पलटवार, कहा- भारत अपने राष्ट्रीय हित में फैसले लेता है और अमेरिका भी रूस से व्यापार कर रहा है।
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूस से भारी मात्रा में रियायती तेल खरीदने का आरोप लगाया है।
- ट्रंप ने भारत पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी, जिसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने कड़ा और सीधा जवाब दिया।
- MEA ने अमेरिका और यूरोपीय संघ के दोहरे मानकों को उजागर करते हुए कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार फैसले लेता है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6 अगस्त, 2025 – रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत द्वारा रूस से तेल आयात करने के फैसले पर दुनिया भर में बहस जारी है। इसी कड़ी में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ट्रंप ने भारत पर रूस से भारी मात्रा में रियायती तेल खरीदने और उसे खुले बाजार में बेचने का आरोप लगाया है। उन्होंने इसके लिए भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी भी दी है। ट्रंप के इन तीखे बयानों पर भारत ने, अपने विदेश मंत्रालय के माध्यम से, बेहद स्पष्ट और करारा जवाब दिया है, जिसमें अमेरिका के दोहरे रवैये को उजागर किया गया है।
क्या बोले डोनाल्ड ट्रंप?
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयानों में भारत की ऊर्जा नीतियों पर सीधा हमला किया। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत यूक्रेन में रूसी आक्रमण से होने वाली मौतों की परवाह किए बिना रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा है। ट्रंप ने इस खरीद को “मुनाफे” के लिए किया गया सौदा बताया और धमकी दी कि वह अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए जाने वाले शुल्कों में भारी बढ़ोतरी करेंगे। उनके बयानों का लहजा भारत पर दबाव बनाने और उसे रूस से दूरी बनाने के लिए प्रेरित करने वाला था। ट्रंप ने यह भी कहा कि उनके कार्यकाल में भारत ने रूस से तेल नहीं खरीदा था, लेकिन अब ऐसा हो रहा है।
विदेश मंत्रालय (MEA) का सख्त पलटवार
ट्रंप के बयान के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। MEA ने अपने जवाब में कई महत्वपूर्ण बातें स्पष्ट कीं:
राष्ट्रीय हित सर्वोपरि: विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि भारत एक बड़ा अर्थतंत्र है और अपने राष्ट्रीय हितों और ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा।
यूरोप और अमेरिका पर सवाल: भारत ने अमेरिका और यूरोपीय संघ पर भी पलटवार किया। MEA ने बताया कि जहां एक ओर भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए निशाना बनाया जा रहा है, वहीं यूरोपीय संघ खुद रूस से बड़े पैमाने पर गैस और अन्य वस्तुओं का आयात कर रहा है।
अमेरिका का दोहरा रवैया: MEA ने अमेरिका के दोहरे मापदंडों की भी पोल खोली। भारत ने बताया कि अमेरिका खुद अपने परमाणु उद्योग के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पैलेडियम और अन्य रसायनों और उर्वरकों का आयात जारी रखे हुए है। यह जानकारी सामने आने के बाद खुद ट्रंप ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है और वह इसकी जांच कराएंगे।
रूस-भारत तेल व्यापार: वैश्विक परिप्रेक्ष्य
यूक्रेन युद्ध के बाद से, रूस पर लगे प्रतिबंधों के कारण वह अपने कच्चे तेल को रियायती दरों पर बेच रहा है। भारत ने अपने 140 करोड़ से अधिक नागरिकों के लिए सस्ती ऊर्जा सुनिश्चित करने के लिए इस अवसर का लाभ उठाया। भारत सरकार का यह कदम पूरी तरह से कानूनी है और किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं करता है। भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने से न केवल देश की आयात लागत कम हुई है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर रखने में भी मदद मिली है। खुद पिछले अमेरिकी प्रशासन ने भी भारत को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया था, जो मौजूदा स्थिति को और भी विरोधाभासी बनाता है।