इलाहाबाद हाई कोर्ट को मिले 5 नए जज, लंबित मामलों में कमी की उम्मीद
न्याय विभाग ने जारी की अधिसूचना, प्रमोद श्रीवास्तव, अब्दुल शाहिद समेत पांच न्यायिक अधिकारियों को मिली पदोन्नति।
- इलाहाबाद हाई कोर्ट में पांच नए जजों की नियुक्ति को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है।
- इन नियुक्तियों के बाद हाई कोर्ट में जजों की संख्या बढ़कर 85 हो गई है, जबकि स्वीकृत पद 160 हैं।
- इन नए जजों की नियुक्ति से लंबित मुकदमों के निपटारे में तेजी आने की उम्मीद है।
समग्र समाचार सेवा
प्रयागराज, 5 अगस्त, 2025 – देश के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण उच्च न्यायालयों में से एक, इलाहाबाद हाई कोर्ट को पांच नए जज मिल गए हैं। राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 217(1) के तहत इन पांच न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति को मंजूरी दी है। केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, प्रमोद कुमार श्रीवास्तव, अब्दुल शाहिद, संतोष राय, तेज प्रताप तिवारी और जफीर अहमद को इलाहाबाद हाई कोर्ट में जज के रूप में नियुक्त किया गया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब इलाहाबाद हाई कोर्ट में जजों की भारी कमी के कारण लाखों मुकदमे लंबित पड़े हैं।
कौन हैं इलाहाबाद हाई कोर्ट के पांच नए जज?
जिन पांच न्यायिक अधिकारियों को हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया है, वे सभी अपनी-अपनी जिम्मेदारियों में अनुभवी हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं:
प्रमोद कुमार श्रीवास्तव: न्यायिक सेवा में अपने लंबे अनुभव के लिए जाने जाते हैं।
अब्दुल शाहिद: कानूनी मामलों और न्यायिक प्रक्रिया की गहरी समझ रखते हैं।
संतोष राय: एक ईमानदार और अनुभवी न्यायिक अधिकारी के रूप में अपनी पहचान रखते हैं।
तेज प्रताप तिवारी: विभिन्न मुकदमों में अपनी दक्षता और निष्पक्षता के लिए जाने जाते हैं।
जफीर अहमद: न्यायिक प्रणाली के कुशल संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।
इन सभी की नियुक्ति उनके पदभार संभालने की तारीख से प्रभावी होगी।
लंबित मामलों पर लगाम लगाने की पहल
इलाहाबाद हाई कोर्ट, जिसकी स्वीकृत शक्ति 160 जजों की है, में वर्तमान में केवल 80 जज कार्यरत थे। अब इन पांच नई नियुक्तियों के बाद यह संख्या बढ़कर 85 हो गई है। हालांकि, यह अभी भी स्वीकृत पदों से काफी कम है। इलाहाबाद हाई कोर्ट में लगभग 9 लाख से ज्यादा मुकदमे लंबित हैं, जिनकी सुनवाई में सालों लग जाते हैं। इन पांच नए जजों के आने से लंबित मामलों के बोझ को कम करने में थोड़ी मदद मिलेगी और मुकदमों के निपटारे में तेजी आएगी। न्यायपालिका के लिए यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन अभी भी कई और नियुक्तियों की आवश्यकता है।
जजों की नियुक्ति प्रक्रिया और कॉलेजियम
जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सबसे पहले, हाई कोर्ट का कॉलेजियम जजों के नामों की सिफारिश करता है, जिसे राज्य के मुख्यमंत्री और राज्यपाल की मंजूरी के बाद सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के पास भेजा जाता है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम नामों की समीक्षा करता है और अपनी सिफारिशें केंद्र सरकार को भेजता है। अंत में, राष्ट्रपति इन नामों को मंजूरी देते हैं और नियुक्तियां की जाती हैं। यह प्रक्रिया समय लेने वाली होती है, जिसके कारण अक्सर नियुक्तियों में देरी होती है। इस बार, सरकार ने तेजी से यह नियुक्ति करके एक अच्छा संकेत दिया है।