राष्ट्रपति से PM-शाह की मुलाकात, सियासी गलियारों में हलचल तेज

मोदी-शाह की राष्ट्रपति से अलग-अलग मुलाकातें असामान्य, क्या सरकार कोई बड़ा फैसला लेने वाली है?

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  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अलग-अलग मुलाकात की।
  • इन मुलाकातों का कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया, जिससे राजनीतिक हलकों में कयासों का दौर शुरू हो गया है।
  • अटकलें लगाई जा रही हैं कि ये मुलाकातें संसद के हंगामे, उपराष्ट्रपति चुनाव या किसी बड़े सरकारी फैसले से जुड़ी हो सकती हैं।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 4 अगस्त, 2025 – देश की राजनीति में रविवार का दिन बड़ी हलचल भरा रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक ही दिन, कुछ ही घंटों के अंतराल पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। इन मुलाकातों ने राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है, क्योंकि न तो प्रधानमंत्री कार्यालय और न ही राष्ट्रपति भवन की ओर से इन बैठकों का कोई आधिकारिक कारण बताया गया है। आमतौर पर इस तरह की उच्च-स्तरीय बैठकें औपचारिक होती हैं या किसी विशेष मौके पर होती हैं, लेकिन एक ही दिन अलग-अलग मुलाकातों को असामान्य माना जा रहा है।

मुलाकातों का अनूठा क्रम और गोपनीयता

सबसे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति भवन पहुंचे और राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात की। उनकी मुलाकात के कुछ घंटे बाद ही, गृह मंत्री अमित शाह भी राष्ट्रपति से मिलने पहुंचे। दोनों नेताओं की अलग-अलग मुलाकातों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इतनी गोपनीयता तभी बरती जाती है जब सरकार कोई बड़ा और महत्वपूर्ण कदम उठाने वाली हो। यह बैठकें ऐसे समय में हुई हैं जब संसद का मानसून सत्र विपक्ष के हंगामे के कारण बाधित हो रहा है।

सियासी अटकलों के तीन संभावित कारण

इन मुलाकातों के पीछे कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। प्रमुख अटकलों में तीन बड़े कारण सामने आ रहे हैं:

उपराष्ट्रपति चुनाव: हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद चुनाव आयोग ने 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति चुनाव कराने का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की राष्ट्रपति से मुलाकात को इस चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।

संसद में गतिरोध: मानसून सत्र के पहले दिन से ही विपक्ष बिहार में चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया पर बहस की मांग कर रहा है। सरकार इस मुद्दे पर बहस के लिए तैयार नहीं है, जिससे संसद का कामकाज ठप है। संभव है कि दोनों नेताओं ने इस मुद्दे पर राष्ट्रपति को संवैधानिक विकल्पों से अवगत कराया हो।

कोई बड़ा सरकारी फैसला: एक और बड़ी अटकल 5 अगस्त की तारीख से जुड़ी है। मोदी सरकार में यह तारीख काफी अहम रही है। 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को खत्म किया गया था, और 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास हुआ था। ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार 5 अगस्त को एक बार फिर कोई बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठा सकती है।

एक बड़े कदम का संकेत?

इन बैठकों का कोई स्पष्ट कारण न होने के बावजूद, यह स्पष्ट है कि सत्ता के दो सबसे बड़े चेहरों का एक ही दिन राष्ट्रपति से मिलना कोई सामान्य घटना नहीं है। यह भारत की राजनीतिक और संवैधानिक व्यवस्था में एक बड़े बदलाव या महत्वपूर्ण फैसले का संकेत हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में सरकार कौन सा कदम उठाती है, और इन मुलाकातों के पीछे का असल कारण क्या था।

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