सहारा टीवी कर्मचारियों का 17वें दिन भी धरना जारी, वेतन भुगतान की मांग पर अड़े
वर्षों से लंबित वेतन भुगतान को लेकर सहारा मीडिया के कर्मचारी अनिश्चितकालीन धरने पर, प्रबंधन और कर्मचारी आमने-सामने।
- सहारा टीवी के कर्मचारियों का लंबित वेतन भुगतान को लेकर धरना प्रदर्शन 17वें दिन भी जारी है।
- कर्मचारियों का आरोप है कि उन्हें जनवरी 2014 से नियमित वेतन नहीं मिला है, और अब टोकन मनी भी बंद हो गई है।
- प्रबंधन द्वारा चैनलों का काम रोका गया है, जबकि कर्मचारी आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं।
समग्र समाचार सेवा
नोएडा, 3 अगस्त, 2025 – नोएडा स्थित सहारा इंडिया टीवी नेटवर्क के कर्मचारियों का वर्षों से लंबित वेतन भुगतान को लेकर चल रहा विरोध प्रदर्शन अपने 17वें दिन में प्रवेश कर चुका है। कर्मचारियों ने 17 जुलाई 2025 से टीवी चैनल परिसर के बाहर एक शांतिपूर्ण, अनिश्चितकालीन धरने की शुरुआत की थी, और अब भी वे अपनी मांगों पर डटे हुए हैं। यह आंदोलन तब शुरू हुआ जब कर्मचारियों ने जिला प्रशासन, श्रम विभाग और सहारा प्रबंधन को एक पत्र सौंपकर अपने बकाया भुगतान की मांग की।
लंबित वेतन: कर्मचारियों की आपबीती
कर्मचारियों का आरोप है कि जनवरी 2014 से उन्हें नियमित रूप से वेतन नहीं दिया गया है। इस दौरान उन्हें केवल “टोकन मनी” के रूप में नाममात्र की राशि मिलती थी, जो धीरे-धीरे घटकर 30-40% रह गई थी। पिछले तीन महीनों से तो यह मामूली राशि भी पूरी तरह से बंद हो गई है, जिससे कर्मचारियों के लिए अपने परिवारों का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है। एक कर्मचारी ने कहा, “हमने प्रबंधन से कई बार गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब हमारे पास धरना देने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा है।”
आर-पार की लड़ाई: काम रुका, विज्ञापन ठप
प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच तनाव तब और बढ़ गया जब प्रबंधन ने आंदोलनकारी कर्मचारियों से विभिन्न विभागों की चाबियां ले लीं और उन्हें परिसर से बाहर धरने पर बैठने को कहा। हालांकि, कुछ विज्ञापन आने के बाद प्रबंधन ने गार्डों के माध्यम से चाबियां वापस देने की कोशिश की, लेकिन कर्मचारियों ने इसे लेने से इनकार कर दिया। उनका स्पष्ट कहना है कि जब तक उनका पूरा वेतन बकाया नहीं चुकाया जाता, वे कोई भी विज्ञापन नहीं चलाएंगे। सूत्रों के अनुसार, प्रबंधन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर 4000 केस झेल रहे हैं तो 100 और सही, जिससे कर्मचारियों में और भी गुस्सा भर गया है।
सहारा इंडिया के भीतर का संकट
यह पहली बार नहीं है जब सहारा मीडिया में वेतन को लेकर आंदोलन हुआ है। 2015 से समय-समय पर इस तरह के विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं। सुब्रत राय की गिरफ्तारी के बाद से ही सहारा मीडिया (प्रिंट और टीवी चैनल) के कर्मचारियों को वेतन मिलने में दिक्कतें आने लगी थीं। अब सुब्रत राय का निधन भी हो चुका है, जिससे कर्मचारियों की चिंताएं और भी बढ़ गई हैं। इस बीच, निवेशकों और एजेंटों ने भी अपने पैसे के भुगतान को लेकर अलग से आंदोलन छेड़ रखा है, जिससे सहारा समूह कई मोर्चों पर संकट का सामना कर रहा है।
कर्मचारियों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनका बकाया भुगतान नियमित नहीं हो जाता, उनका धरना जारी रहेगा। यह देखना बाकी है कि प्रबंधन और प्रशासन इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए क्या कदम उठाते हैं। यह मामला न केवल कर्मचारियों के भविष्य से जुड़ा है, बल्कि यह मीडिया संस्थानों में कर्मचारियों के अधिकारों और कार्यस्थल पर उनके सम्मान से भी संबंधित है।