पतंजलि की ‘वर्ल्ड हर्बल एनसाइक्लोपीडिया’

पतंजलि की ‘ग्लोबल हर्बल एनसाइक्लोपीडिया’: वैश्विक औषधीय ज्ञान का अनुपम कोश

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पूनम शर्मा
पतंजलि की वर्ल्ड  हर्बल एनसाइक्लोपीडिया, आचार्य बालकृष्ण की अद्वितीय कृति है, जो विश्व की 50,000 से अधिक औषधीय वनस्पतियों का दस्तावेज है। यह ग्रंथ पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान को जोड़ते हुए आयुर्वेद, जनजातीय चिकित्सा और भाषाई विविधता को एक मंच पर प्रस्तुत करता है।
आचार्य बालकृष्ण का विश्व हर्बल एनसाइक्लोपीडिया (WHE) आधुनिक युग की सबसे महत्त्वाकांक्षी और व्यापक वनस्पति परियोजना मानी जा रही है। 109 खंडों में फैली यह महाग्रंथावली विश्व की लगभग 50,000 औषधीय पौधों की प्रजातियों को वैज्ञानिक और पारंपरिक दोनों दृष्टिकोणों से दर्ज करती है। इसमें 120,418 पृष्ठ हैं, और इसे अकेले आचार्य बालकृष्ण ने लिखा है—जो पतंजलि आयुर्वेद के सह-संस्थापक भी हैं।

हर्बल परंपरा का विश्वकोश: विज्ञान और परंपरा का संगम

यह विश्वकोश केवल एक पौधों की सूची नहीं है, बल्कि यह विश्व की विविध संस्कृतियों, भाषाओं और आदिवासी परंपराओं में छिपे हुए हर्बल ज्ञान का गहन दस्तावेज है। इसमें 7,500 से अधिक पौधों की जातियों का वर्गीकरण 600,000 से अधिक स्रोतों के आधार पर किया गया है—जिसमें प्राचीन ग्रंथ, जनजातीय ज्ञान, अनुसंधान पत्र, क्षेत्रीय सर्वेक्षण, और दुर्लभ पुस्तकों तक का समावेश है।

भाषा और सांस्कृतिक विविधता का संगम

WHE की सबसे विशेष बात है इसकी भाषाई विविधता। इसमें 2,000 से अधिक भाषाओं और बोलियों में 12 लाख से भी ज्यादा लोकल नाम दर्ज हैं। इसके साथ ही 2.5 लाख वनस्पति पर्यायवाची नामों का उल्लेख इसे एक अतुलनीय भाषाई और सांस्कृतिक सेतु बनाता है। यह उन शोधकर्ताओं के लिए वरदान है जो भाषायी अवरोध के कारण पारंपरिक ज्ञान से वंचित रह जाते थे।

चित्रों से समृद्ध

इस विश्वकोश में 35,000 से अधिक बॉटनिकल रेखाचित्र और 30,500 हाथ से बने चित्र शामिल हैं। ये चित्र न केवल पौधों के स्वरूप को दिखाते हैं—जैसे पत्तियां, तना, फूल, जड़—बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि कैसे परंपरागत कलाकारों ने पौधों को सांस्कृतिक संदर्भ में देखा है। यह संयोजन वैज्ञानिकों और पारंपरिक वैद्यों दोनों के लिए उपयोगी है।

भारत एवं विश्व की जनजातीय ज्ञान और औषधीय परंपराएँ

WHE में केवल पौधों का वर्गीकरण ही नहीं किया गया, बल्कि यह उन 2,000 से अधिक आदिवासी समुदायों की जीवंत परंपराओं का भी संग्रह है जो इन औषधियों का उपयोग करते आए हैं। इसमें 2,200 पारंपरिक उपचार विधियां और 900 प्रकार के हर्बल प्रथाएं शामिल हैं—जिनमें से कई आज विलुप्ति की कगार पर हैं।

यह ज्ञान सिर्फ उपचारात्मक नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को भी समेटे हुए है। ऐसे समय में जब वैश्वीकरण के कारण स्थानीय परंपराएं खतरे में हैं, यह विश्वकोश एक सांस्कृतिक संरक्षण का कार्य कर रहा है।

डिजिटल प्लेटफॉर्म:भारतीय आयुर्वेद के ज्ञान को वैश्विक बनाना

इस महान ग्रंथ को केवल प्रिंट संस्करण तक सीमित न रखते हुए एक डिजिटल मंच—WHE Portal—भी तैयार किया गया है। इस पोर्टल के माध्यम से छात्र, शोधकर्ता और वैद्यगण छह लाख से अधिक स्रोतों तक डिजिटल रूप से पहुंच बना सकते हैं। हालांकि इसका उपयोग कुछ शर्तों से नियंत्रित है, फिर भी यह शोध एवं सांस्कृतिक अध्ययन के क्षेत्र में एक अनमोल संसाधन बन चुका है।

पतंजलि की भूमिका एवं दृष्टिकोण

WHE के पीछे पतंजलि की शोध टीम और संस्थागत समर्थन भी अहम भूमिका में है। पतंजलि ने न केवल आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाया है, बल्कि प्राचीन पांडुलिपियों के संरक्षण, क्षेत्रीय सर्वेक्षणों और भाषाई मानचित्रण में भी करोड़ों रुपये निवेश किए हैं। यह एनसाइक्लोपीडिया पतंजलि के उसी मिशन का विस्तार है—प्राचीन ज्ञान को सहेजना और उसे आधुनिक विज्ञान से जोड़ना।

हर्बल चिकित्सा की प्रासंगिकता

आज की दुनिया रासायनिक दवाओं के साइड इफेक्ट्स से परेशान है। हर्बल चिकित्सा प्रणाली, जो प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर काम करती है, लोगों में फिर से विश्वास पा रही है। तुलसी, अश्वगंधा, ब्राह्मी, गिलोय जैसे पौधों के लाभ अब पश्चिमी चिकित्सा में भी स्वीकार किए जा रहे हैं।

WHE इन सभी औषधीय पौधों के उपयोग, प्रभाव, रसायनशास्त्र, और पारंपरिक प्रयोगों की विस्तृत जानकारी देता है—वह भी इस तरह कि आम जन भी इसे समझ सके और शोधकर्ता भी इसकी वैज्ञानिकता को परख सके।

हर्बल धरोहर का संरक्षक

वर्ल्ड हर्बल एनसाइक्लोपीडिया’ न केवल एक विश्वकोश है, बल्कि यह एक वैश्विक चेतना का प्रतीक है—जो यह दर्शाता है कि चिकित्सा केवल विज्ञान नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और प्रकृति के गहरे संबंधों का परिणाम है।

आचार्य बालकृष्ण ने यह कार्य अकेले किया है—यह दिखाता है कि जब उद्देश्य महान हो, तो सीमाएँ भी छोटी लगने लगती हैं। यह विश्वकोश ना केवल भारत का बल्कि पूरे मानव समाज का हर्बल नक्शा तैयार करता है—जो पीढ़ियों तक मानवता की सेवा करेगा।

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