समग्र समाचार सेवा
मुजफ्फरपुर, बिहार 1 अगस्त —बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में महावीरी झंडा जुलूस के दौरान भारी बवाल मच गया जब एक जुलूस पर मस्जिद के पास से गुजरते समय छत से अचानक पथराव शुरू हो गया। इस घटना में कई लोग घायल हुए हैं, जिनमें एक थानाध्यक्ष (SHO) भी शामिल हैं।
घटना शहर के सरैया थाना क्षेत्र के अंतर्गत हुई, जब स्थानीय श्रद्धालु परंपरागत रूप से महावीरी झंडा यात्रा निकाल रहे थे। जुलूस पूरी तरह शांतिपूर्वक चल रहा था, लेकिन जैसे ही वह एक मस्जिद के समीप पहुंचा, छत से अचानक पत्थर बरसने लगे। इससे अफरा-तफरी मच गई और कई श्रद्धालु चोटिल हो गए।
SHO पर भी हमला
सरैया थाने के प्रभारी SHO जब मौके पर स्थिति को संभालने पहुंचे, तब उन पर भी पत्थर फेंके गए, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं। उन्हें तुरंत इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रशासन ने बताया कि SHO की हालत स्थिर है और उन पर हमला करने वालों की पहचान की जा रही है।
स्थानीय प्रशासन की कार्रवाई
घटना के बाद इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। जिला प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तत्काल फ्लैग मार्च भी निकाला। कुछ उपद्रवियों की पहचान कर ली गई है और कई को हिरासत में भी लिया गया है।
जिला कलेक्टर ने कहा, “घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जो लोग सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ भी शुरू
घटना पर राजनीति भी गर्मा गई है। बीजेपी नेताओं ने इसे “हिंदू आस्था पर हमला” करार दिया है और सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। वहीं, राजद और जदयू नेताओं ने जनता से शांति बनाए रखने की अपील की है और कहा है कि प्रशासन को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए।
महावीरी झंडा जुलूस की परंपरा
बता दें कि महावीरी झंडा यात्रा श्रावण पूर्णिमा के अवसर पर निकलती है, जो हनुमान जी की वीरता और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है। इस यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं और यह बिहार के कई जिलों में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।
मुजफ्फरपुर की यह घटना राज्य के सांप्रदायिक सौहार्द के लिए एक चेतावनी है। ऐसे धार्मिक आयोजनों के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना अब प्रशासन की बड़ी चुनौती है। पथराव करने वाले चाहे जिस समुदाय से हों, उन पर समान रूप से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि समाज में भय का माहौल न बने और धार्मिक आयोजनों की गरिमा बनी रहे।