तवलीन सिंह का लेख सुर्खियों में: राहुल गांधी की राजनीति और गांधी परिवार की विरासत पर तीखी टिप्पणी

'बस करो राहुल बाबा': तवलीन सिंह ने अपने कॉलम में विपक्ष के नेता पर साधा निशाना, 'पप्पू' की छवि पर उठाए सवाल

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  • वरिष्ठ पत्रकार तवलीन सिंह ने अपने लेख में राहुल गांधी की राजनीतिक भूमिका पर कटु टिप्पणी की है।
  • उन्होंने राहुल गांधी को “पप्पू” की छवि से बाहर निकलने और संसद में सकारात्मक एजेंडा अपनाने की नसीहत दी।
  • लेख में गांधी परिवार के दशकों पुराने राजनीतिक वर्चस्व को खतरे में बताया गया है।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30 जुलाई, 2025: वरिष्ठ पत्रकार तवलीन सिंह का जनसत्ता में प्रकाशित हालिया कॉलम (27 जुलाई, 2025) राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। इस लेख में, उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की राजनीतिक कार्यशैली, गांधी परिवार की विरासत और उनकी लोकप्रिय छवि पर एक विस्तृत और आलोचनात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। तवलीन सिंह का मानना है कि राहुल गांधी को अपनी ‘पप्पू’ की छवि से उबरने के लिए अब गंभीर आत्ममंथन और रणनीतिक बदलाव की आवश्यकता है।

गांधी परिवार की विरासत और राहुल पर टिप्पणी

तवलीन सिंह ने अपने लेख में 1947 से लेकर अब तक भारत की राजनीति पर गांधी परिवार के वर्चस्व को रेखांकित किया है, जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के नेतृत्व का जिक्र है। उनका तर्क है कि इस “राज परिवार” ने दशकों तक देश की राजनीति पर हावी रहकर एक तरह का वंशवाद स्थापित किया। हालांकि, उनके अनुसार, गुजरात से उभरे एक नेता (संभवतः नरेंद्र मोदी का उल्लेख) ने इस वर्चस्व को चुनौती दी, जिसके कारण अब गांधी परिवार की सत्ता कमजोर पड़ गई है।

लेख में राहुल गांधी पर सीधा हमला करते हुए तवलीन ने कहा कि वे अपनी खोई हुई सत्ता को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं, जिसके कारण वे जानबूझकर संसद सत्रों को बाधित करते हैं।

‘पप्पू’ की छवि और जनता की अपेक्षाएं

लेख में तवलीन सिंह की भाषा व्यंग्यात्मक और उपदेशात्मक है। वे राहुल गांधी की राजनीतिक परिपक्वता पर सवाल उठाते हुए कहती हैं, “बस करो राहुल बाबा, अब बड़े हो गए हैं आप।” यह टिप्पणी राहुल के नेतृत्व की शैली और कांग्रेस की रणनीति पर एक आलोचनात्मक दृष्टिकोण को दर्शाती है। तवलीन का मानना है कि राहुल की वर्तमान कार्यप्रणाली लोकतंत्र के लिए हानिकारक है और यह उनकी उस नकारात्मक छवि को और मजबूत कर रही है, जिसे समाज में “पप्पू” के रूप में देखा जाता है।

यह लेख केवल एक पत्रकार की राय नहीं है, बल्कि समाज के एक बड़े वर्ग की सोच को दर्शाता है। जनता राहुल गांधी से अब सकारात्मक एजेंडा और प्रभावी नेतृत्व की अपेक्षा करती है, न कि केवल विरोध प्रदर्शनों की।

सुझाव: ‘पप्पू’ की छवि से उबरने का रास्ता

लेख में राहुल गांधी के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए गए हैं ताकि वे अपनी छवि सुधार सकें:

सकारात्मक एजेंडा: संसद में केवल गतिरोध पैदा करने के बजाय, राहुल को नीतिगत मुद्दों (जैसे बेरोजगारी, किसान कल्याण) पर ठोस प्रस्ताव लाने चाहिए और स्वस्थ बहस को प्रोत्साहित करना चाहिए।

क्षेत्रीय जुड़ाव: राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ राज्य स्तर पर भी सक्रिय रहना आवश्यक है, खासकर उन राज्यों में जहां कांग्रेस मजबूत है।

छवि सुधार: मीडिया और जनता के साथ संवाद में संयम और आत्मविश्वास दिखाना चाहिए। भावनात्मक बयानों से बचना चाहिए जो अक्सर उपहास का कारण बनते हैं।

टीम निर्माण: नेतृत्व की जिम्मेदारी केवल परिवार तक सीमित न रहे। युवा और अनुभवी नेताओं को आगे बढ़ाने से पार्टी की छवि मजबूत होगी।

लेख में कहा गया है कि राहुल को यह समझना होगा कि गांधी परिवार का इतिहास उनकी ताकत हो सकता है, लेकिन वर्तमान में जनता परिणाम चाहती है। यदि वे 2029 के चुनाव तक अपनी छवि में सुधार नहीं कर पाते हैं, तो यह नकारात्मकता स्थायी हो सकती है। तवलीन सिंह की इस नसीहत को राहुल के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।

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